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… तो रावण ने अपनी ही बेटी सीता का किया था हरण!

... तो रावण ने अपनी ही बेटी सीता का किया था हरण!

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भोपाल

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Pawan Tiwari

May 12, 2019

ravana

... तो रावण ने अपनी ही बेटी सीता का किया था हरण!

क्या आप जानते है की सीता रावण की बेटी थी। अगर नहीं जानते तो आज हम आपको रावण और सीता के बीच रिश्ते की हकीकत बताएंगे। दरअसल, राम-सीता के जीवन पर लगभग 125 से ज्यादा रामायण लिखी जा चुकी है। सीता और रावण के संबंध में कई कथाएं भी प्रचलित हैं। कई देशों में रामायण को एक ग्रंथ की तरह अपनाई गई है।

रावण की पुत्री थी सीता?

हमारे समाज में सीता और रावण के संबंध में कई कथाएं भी प्रचलित हैं। ऐसे में अब सवाल उठता है कि क्या सीता रावण की पुत्री थी? थाइलैंड रामायण के अनुसार, सीता रावण की बेटी थी, जिसे रावण ने एक भविष्यवाणी के बाद जमीन में दफना दिया था। थाइलैंड रामायण के अनुसार, भविष्यवाणी में कहा गया था कि यह लड़की तेरी मौत का कारण बनेगी। बताया जाता है कि इसी कारण रावण ने कभी सीता के साथ बुरा बर्ताव नहीं किया था।

इधर, अद्भुत रामायण के अनुसार, एक बार दण्डकारण्य मे गृत्स्मद नामक ब्राह्मण, माता लक्ष्मी को अपनी पुत्री के रूप में पाने के लिए हर दिन एक कलश में कुश के अग्र भाग से मंत्रोच्चारण के साथ दूध की बूदें डालता था। अद्भुत रामायण के अनुसार, एक दिन रावण उनकी अनुपस्थिति में वहां पहुंचा और ऋषियों का रक्त, उसी कलश में एकत्र कर के लंका लेकर चला गया। कहा जाता है कि उस कलश को उसने मंदोदरी के संरक्षण मे दे दिया और कहा कि इसमे विष है, सावधानी से रखें।

अद्भुत रामायण के अनुसार, रावण की उपेक्षा से दुखी होकर मंदोदरी ने आत्महत्या करने की इच्छा से घड़े में भरा वह रक्त जहर समझकर पी लिया। कहा जाता है कि इससे वह अनजाने में ही गर्भवती हो गई। जबकि उस वक्त रावण विहार करने सह्याद्रि पर्वत पर गया था। ऐसे में मंदोदरी सोची कि जब मेरे पति मेरे पास नहीं है। ऐसे में जब उन्हें इस बात का पता चलेगा। तो वह क्या सोचेंगे। यही सब सोचते हुए मंदोदरी तीर्थ यात्रा के बहाने कुरुक्षेत्र चली गई।

कहा जाता है कि वहीं पर उसने गर्भ को निकालकर एक घड़े में रखकर भूमि में दफन कर दिया और सरस्वती नदी में स्नान कर वह वापस लंका लौट गई। कहा जाता है कि वही घड़ा हल चलाते वक्त मिथिला के राजा जनक को मिला था, जिसमें से सीता प्रकट हुईं थी।

इन्हीं कथा के आधार पर विद्वान मानते हैं कि सीता और रावण में पिता-पत्री का संबंध था। हालांकि कई ग्रंथों में कई तरह की कथाएं प्रचलित हैं। कई ग्रंथों में सीता-रावण का संबंध पिता-पुत्री की तरह नहीं दर्शाया गया है।