
Krishna Morpankh
Krishna Morpankh:भगवान श्रीकृष्ण का अवतार मानव समाज के लिए विशेष मत्वपूर्ण माना गया है। वहीं उनकी बाल लीलाओं को याद करते हैं तो उनके नटखट रूप की छवि दिखाई देती है। जिसमें वह माखन चोरी करते दिखते हैं तो कभी किसी की मटकी फोड़ते नजर आते हैं। लेकिन उनकी एक ऐसी भी छवि है। जिसमें वह बहुत सुंदर और मनमोहक दिखते हैं। हाथ में बांसुरी और गले में वैजंती माला माथे पर मोरपंख। लेकिन क्या आपको पता है कि भगवान अपने सिर पर मोरपंख क्यों धारण करते हैं? आइए जानते हैं।
ऐसे तो मोरपंख को पवित्रता, सौंदर्य और ज्ञान का प्रतीक माना जाता है। लेकिन धार्मिक कथाओं के अनुसार माना जाता है कि श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलराम शेषनाग के अवतार थे। मान्यता है कि मोर और शर्प एक दूसरे के दुश्मन हैं। लेकिन भगवान ने मोरपंख को अपने सिर पर लगाकर दुनिया को यह संदेश दिया कि वह दुश्मन को भी स्थान देते हैं। इसलिए यह उनके दिव्य स्वरूप का एक हिस्सा है।
मोर का नृत्य और उसकी सुंदरता श्रीकृष्ण के जीवन के रसपूर्ण और आनंदमयी दृष्टिकोण को दर्शाती है। जब श्रीकृष्ण बांसुरी बजाते थे, तो मोर आनंदित होकर नृत्य करते थे। यह कहा जाता है कि एक बार मोरों ने प्रसन्न होकर अपने पंख श्रीकृष्ण को अर्पित किए, और भगवान ने उसे अपने मुकुट पर स्थान दिया।
मान्यता है कि मोरपंख बुरी शक्तियों और नकारात्मक को उर्जा को रोकता है। यह शांति, सद्भाव और आध्यात्मिक उन्नति का प्रतीक भी माना जाता है। श्रीकृष्ण के सिर पर मोरपंख उनके चरित्र के विनम्र, दयालु और मनमोहक छवि को दर्शाता है। साथ ही धार्मिक, आध्यात्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी विशेष महत्वपूर्ण है। यह प्रकृति, प्रेम और सौंदर्य के प्रति उनकी गहरी निष्ठा को दर्शाता है।
Published on:
29 Nov 2024 11:06 am
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