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युवाओं ने गौ सेवा में दिखाई पहल, घायल गायों का किया उपचार

रामगढ़ के युवाओं ने गोवंशों की सुरक्षा के लिए एक अनोखा पहल शुरू किया है। रात में सड़क दुर्घटनाओं से बचने के लिए गोवंशों के गले में रेडियम के पट्टे बांधे जा रहे हैं। साथ ही, घायल गोवंशों को रेस्क्यू करके उनका इलाज भी किया जा रहा है।

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Patrika Desk

Oct 25, 2024

रामगढ़ में सड़कों पर रात में गोवंश से होने वाली दुर्घटनाओं से बचाव के लिए युवाओं ने एक अनोखा पहल शुरू की है। इन दुर्घटनाओं में गोवंश घायल हो जाते हैं और वेटरिनरी डिपार्टमेंट की लापरवाही के कारण उन्हें उचित इलाज नहीं मिल पाता।

इस समस्या को दूर करने के लिए रामगढ़ के युवाओं ने गोवंश की सेवा का बीड़ा उठाया है। वे अलग-अलग टीमों में काम कर रहे हैं और घायल गोवंश को रेस्क्यू कर उनका इलाज कर रहे हैं।

गो सेवक धर्मेंद्र यादव ने बताया कि अब तक 50 से ज़्यादा गोवंश को रेडियम की बेल्ट पहनाई जा चुकी है। यह बेल्ट रात में गाड़ियों की रोशनी में चमकती है, जिससे वाहन चालक गोवंश को देखकर समय रहते ब्रेक लगा सकते हैं।

इस पहल से न केवल गोवंश की सुरक्षा सुनिश्चित हो रही है बल्कि वाहन चालकों को भी दुर्घटनाओं से बचाया जा रहा है। युवाओं की टीम गांव-गांव, ढाणी-ढाणी जाकर घायल गाय, बछड़े, सांड, बैल को रेस्क्यू कर उनका इलाज करते हैं।

युवाओं की टीम में ज्यादातर स्कूल-कॉलेज में पढ़ने वाले विद्यार्थी हैं। वे अपनी पढ़ाई के साथ-साथ गौ सेवा करने के लिए समय निकालते हैं।

टीम में हिन्दू जागरण मंच के धर्मेन्द्र यादव और उनकी गोरक्षा टीम के दिनेश कुमार, यतन, घनश्याम, शुभम्, राकेश, शुभम् बंसल, अश्वनी, कुशल, तुषार, हेमंत, मोनू, नितेश, किशन, अमित, सौरभ, महेंद्र, हिमांशु, सोनू व अन्य शामिल हैं।

कस्बा सहित आसपास के क्षेत्र के युवा एक टीम के रूप में काम करते हैं। टीम में करीबन 30 युवा हैं जो अलग-अलग टुकड़ियों में सुबह, दोपहर, शाम और रात में क्षेत्र में घायल गोवंश की तलाश करते हैं।

युवाओं की टीम अभी तक कस्बा सहित खेड़ी, लालवांडी पूठी, मस्ताबाद, यादव नगर, खिलोरा, अलावड़ा आदि गांवों में घायल गोवंश को रेस्क्यू के कार्य कर चुकी है।

यतन दत्त ने बताया कि वह सोशल मीडिया पर कई बार गोवंश को रेस्क्यू कर गोसेवा करने की वीडियो डालते हैं। इसके जरिए उनके पास फोन आदि से संपर्क किया जाता है और फिर बाद में टीम वहां पहुंचती है।

बुधवार को ग्राम खिलोरा में एक सांड के दोनों पैर टूट गए थे, साथ ही शरीर पर कई जख्म भी थे। जिसका दो दिन तक प्राथमिक उपचार भी किया गया, परंतु जब हालत नहीं संभाले तो खुद के जेब खर्चे से अलवर मुख्यालय पर वेटनरी हॉस्पिटल भेज दिया गया।

गायों के गले में रेडियम के पट्टे बांधने के अलावा सार संभाल करने दवा- गोली- पट्टी तथा अस्पताल भेजने का खर्चा युवा अपनी आय या सेविंग्स में से खर्च करते हैं।