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धौलपुर

हाल-ए-जिला अस्पताल: 250 करोड़ खर्च…फिर भी इलाज औसतन बीमारियों का

250 करोड़ रुपए खर्च होने के बाद भी जिले के 15 लाख लोग आज भी बेहतर स्वास्थ सुविधाओं से मरहूम हैं। इस राशि से मेडिकल कॉलेज और जिला अस्पताल तो खोल दिए गए, लेकिन कई स्वास्थ्य विभाग सहित विशेषज्ञ डॉक्टरों और तमाम संसाधनों का अभाव क्षेत्र के लोगों को आज भी आगरा, जयपुर, दिल्ली की दौड़ करा रहा है।

धौलपुरApr 28, 2025 / 06:15 pm

Naresh

हाल-ए-जिला अस्पताल: 250 करोड़ खर्च...फिर भी इलाज औसतन बीमारियों का Condition of district hospital: 250 crores spent...yet treatment of diseases is average
क्षेत्र के 15 लाख लोग बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं से अब भी दूर

विशेषज्ञ डॉक्टरों से लेकर बेहतर जांच तक की सुविधाओं का अभावलोगों को करना पड़ रहा आगरा, दिल्ली, ग्वालियर और जयपुर का रुख
-150 करोड़ रुपए में तैयार किया गया मेडिकल कॉलेज-१०० करोड़ रुपए खर्च हुए जिला अस्पताल बनाने में

-58 एकड़ की जमीन पर बना है जिले का प्रमुख चिकित्सा केन्द्र

धौलपुर. 250 करोड़ रुपए खर्च होने के बाद भी जिले के 15 लाख लोग आज भी बेहतर स्वास्थ सुविधाओं से मरहूम हैं। इस राशि से मेडिकल कॉलेज और जिला अस्पताल तो खोल दिए गए, लेकिन कई स्वास्थ्य विभाग सहित विशेषज्ञ डॉक्टरों और तमाम संसाधनों का अभाव क्षेत्र के लोगों को आज भी आगरा, जयपुर, दिल्ली की दौड़ करा रहा है।
2023 में 58 एकड़ जमीन पर 250 करोड़ की राशि से स्वस्थ्य केन्द्रों का शुभारंभ किया गया। जिसमें100 करोड़ जिला अस्पताल तो 150 करोड़ मेडिकल कॉलेज पर खर्च किए गए। उस वक्त पीएम ने मेडिकल कॉलेज का शुभारंभ किया था। तब जिला अस्पताल में सर्व सुविधा देने की बात कही गई, लेकिन आज तीन साल होने को हैं लेकिन यहां अभी भी औसतन बीमारियों का ही इलाज हो पा रहा है। 300 बेड वाले जिला अस्पताल में प्रतिदिन1000 से 1500 रोगी अपना इलाज कराने आते हैं। जिनमें कई गंभीर बीमारियों से भी ग्रसित होते हैं। जिन्हें यहां इन बीमारियों का इलाज क्या बड़ी जांचें तक नहीं हो पाती।
यह असुविधाएं झेल रहा अस्पताल

स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव की बात करें तो यहां अभी तक कॉर्डियोलॉजी, यूरोलॉजी, नेफ्रोलॉजी, एन्डोक्रिनोलॉजी, गेस्ट्रोलॉजी विभाग ही नहीं है। विभाग तो दूर यहां इनका विशेषज्ञ चिकित्सक तक उपलब्ध नहीं है। तो वहीं कैथ लेब, ब्लड इन्वेस्टिगेशन थायराइड, विटामिन्स की जांचें, कैंसर, २डीईसीएचओ, एमआरआई, डेक्सा स्केन नहीं होने से लोगों को बड़े शहरों की ओर ही रुख करना पड़ रहा है।
17 विशेषज्ञ चिकित्सकों का अभाव

जिला अस्पताल को 300 बेड की सर्व सुविधाओं को ध्यान में रख बनाया गया था। लेकिन धीरे-धीरे इस अस्पताल को 400 बेड का बना दिया गया, लेकिन विशेषज्ञ चिकित्सकों से लेकर तमाम प्रकार के संसाधन सरकार ने उपलब्ध नहीं कराए। यह कमी अभी की नहीं शुरुआत से ही बनी हुई है। अस्पताल में अभी 38 चिकित्सक कार्यरत हैं तो वहीं 22 मेडिकल ऑफिसर, 17विशेषज्ञ चिकित्सक सहित 40 के आसपास चिकित्सकों का अभाव है।
अभी यह सुविधाएं अस्पताल में

जिला अस्पताल में अभी सर्जरी विभाग, मेडिसन विभाग, ईएनटी विभाग, स्क्रीन विभाग, नेत्र विभाग, मनोविकार विभाग, आर्थोपेडिक विभाग, रेडियोलॉजी विभाग, सामान्य आउटडोर विभाग, कीमोथेरेेेपी, क्षयरोग विभाग ही उपलब्ध हैं। साथ ही यहां एक्स-रे जांच, सोनोग्राफ्री जांच, ईसीजी मशीनें ही लगी हुई हैं। तो वहीं राज्य सरकार ने अभी हाल ही बजट में जिला अस्पताल के लिए एमआरआई और सीटी स्केन मशीन की घोषणा की जा चुकी है।
चिकित्सकों की परेशानी से जूझ रहा अस्पताल

साल 2023 में जिले में स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने को लेकर तो काम हुआ। कई सुविधाएं बढ़ी, परंतु जिले में चिकित्सकों की कमी परेशानी बनी रही। मरीजों को उपचार के लिए झोलाछापों तक की शरण लेनी पड़ती है। अस्पताल में अभी एक सीएमएस, तीन अर्थो, ईएनटी, जरनल सर्जन, फिजीशियन, चेस्ट फिजीशियन, तीन आई सर्जन, तीन ईएमओ, एक रेडियोलाजिस्ट, एक बाल रोग विशेषज्ञ, एक दंत चिकित्सक ही मरीजों को स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया करा रहे हैं।
मेडिकल कॉलेज में सिर्फ 4 प्रोफेसर

जिला अस्पताल की तरह ही मेडिकल कॉलेज का भी हाल बेहाल है। यहां एमबीबीएस की पढ़ाई करने वाले 300स्टूडेंट्सों को पढ़ाने वाले चिकित्सक प्रोफेसरों की कमी का सामना करना पड़ रहा है। यहां कॉलेज के डीन सहित केवल 4 प्रोफेसर ही स्टूडेंट्सों को पढ़ा रहे हैं। प्रोफेसरों की कमी के कारण जिला अस्पताल से चिकित्सकों से पढ़ाने के लिए बुलाया जाता है। मेडिकल कॉलेज में अभी एनाटॉमी, फीजियो, पेथो, फार्मा, माइक्रो विभाग में प्रोफेसर ही नहीं हैं।

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