scriptसंकटग्रस्त कछुआ प्रजाति के 3267 बच्चे चंबल नदी में छोड़े, किनारे पर बनाए थे 160 नेस्ट | 3267 babies of endangered turtle species were released in Chambal river | Patrika News
धौलपुर

संकटग्रस्त कछुआ प्रजाति के 3267 बच्चे चंबल नदी में छोड़े, किनारे पर बनाए थे 160 नेस्ट

राष्ट्रीय चंबल घडिय़ाल अभयारण्य, वन विभाग और टीएसए फाउण्डेशन इंडिया के संयुक्त प्रयास से इन कछुओं की दोनों प्रजाति के अंडों को संरक्षण परियोजना के तहत चंबल नदी किनारे प्राकृतिक रूप से संरक्षित रखा गया था।

धौलपुरMay 24, 2025 / 09:44 am

Lokendra Sainger

turtle released in Chambal river

चंबल नदी में कछुआ के बच्चों को छोड़ते हुए (फोटो- पत्रिका)

धौलपुर शहर से सटी चंबल नदी में पिछले कुछ दिनों में संकटग्रस्त बाटागुर कछुआ की दो प्रजातियों के करीब 3267 बच्चे चंबल नदी में छोड़े गए। दोनों प्रजाति के के संकटग्रस्त अंडों को नदी पर बनी हेचरी में रखकर सुरक्षा प्रदान की गई थी। इन कछुओं के इन अंडों को चंबल नदी इलाके मोर बसईया गांव के पास संरक्षित रखा गया था। राष्ट्रीय चंबल घडिय़ाल अभयारण्य, वन विभाग और टीएसए फाउण्डेशन इंडिया के संयुक्त प्रयास से इन कछुओं की दोनों प्रजाति के अंडों को संरक्षण परियोजना के तहत चंबल नदी किनारे प्राकृतिक रूप से संरक्षित रखा गया था। बता दें कि चंबल में बड़ी संख्या में कछुआ और घडिय़ाल, मगरमच्छ समेत अन्य जलीय जीवों का डेरा है।
इस परियोजना में जिले में करीब 160 नेस्ट संरक्षित किए गए। जिसमें कुल करीब 3267 बच्चों को वापस चंबल नदी में छोड़ा गया। बता दें कि चंबल नदी में बाटापुर की दो प्रजाति पाई जाती है। जिसमें एक लाल तिलक धारी और ढोर है। राष्ट्रीय चंबल घडिय़ाल अभयारण्य के उप वन संरक्षक डॉ. आशीष व्यास और डीएफओ धौलपुर वी. चेतन कुमार ने बताया कि इन दोनों प्रजाति के कछुओं के अंडों को हर साल संरक्षित करने का प्रयास किया जाएगा। जिससे इनकी संख्या बढ़ सके और यह सुरक्षित रहे।

बजरी माफिया से बचा कर रखा…

चंबल नदी किनारे बजरी माफिया का राज है। धौलपुर और एमपी के पड़ोसी जिले मुरैना की सीमा पर बहने वाली चंबल नदी किनारे जगह-जगह अवैध बजरी खनन होता है। ऐसे में इन्हें संरक्षित करना बड़ा मुश्किल कार्य था। चंबल अभयारण्य और वन विभाग की टीमों ने लगातार मॉनिटरिंग की और इन अंडों पर नजर रखी। अंडे से बच्चे बाहर आने पर इन्हें चंबल नदी में छोड़ दिया गया। साथ ही अंडों को सियार इत्यादि जानवर से भी खतरा रहता है। ये आसान शिकार होते हैं।

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