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जिला अस्पताल में एयरकंडीशनर खराब, मरीज बेहाल

जिला अस्पताल के आईसीयू वार्ड से लेकर अन्य वार्डों में मरीज और उनके परिजन गर्मी में तड़प रहे हैं। अस्पताल में लगे एयरकंडीशनर पिछले 15 दिनों से खराब होने के कारण महज शोपीस बनकर रह गए हैं। जो न तो चलते हैं और न ही ठंडक देते हैं। पंखों को छोडक़र इस उसम भरी गर्मी से राहत के कोई पुख्ता इंतजाम न होने के कारण मरीजों का हाल बेहाल है। स्थिति यह है कि आईसीयू वार्ड में मरीजों को अपने घर से लाकर पंखे लगाने पड़ रहे हैं।

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जिला अस्पताल में एयरकंडीशनर खराब, मरीज बेहाल Air conditioner is not working in the district hospital, patients are in distress

आईसीयू में मरीजों की हालत ज्यादा बदतर, अटेंडर घर से लाए पंखे

वार्डों सहित अस्पताल परिषर में आवारा श्वानों का जमावड़ा

धौलपुर.जिला अस्पताल के आईसीयू वार्ड से लेकर अन्य वार्डों में मरीज और उनके परिजन गर्मी में तड़प रहे हैं। अस्पताल में लगे एयरकंडीशनर पिछले 15 दिनों से खराब होने के कारण महज शोपीस बनकर रह गए हैं। जो न तो चलते हैं और न ही ठंडक देते हैं। पंखों को छोडक़र इस उसम भरी गर्मी से राहत के कोई पुख्ता इंतजाम न होने के कारण मरीजों का हाल बेहाल है। स्थिति यह है कि आईसीयू वार्ड में मरीजों को अपने घर से लाकर पंखे लगाने पड़ रहे हैं।

100 करोड़ की लागत से तैयार किया गया भव्य जिला अस्पताल में मरीजों की हर सुविधाओं का ध्यान रखा गया था। जिसमें मरीजों के बैठने से लेकर अस्पताल परिषर सहित मेडिकल वार्ड और आईसीयू में एयरकंडीशनर की सुविधा दी गई थी, लेकिन पिछले १५ दिनों से एयरकंडीशन खराब होने के कारण यह एसी डस्ट शोपोस बने हैं। जिससे अस्पताल में भर्ती मरीजों सहित अन्य आने वाले मरीजों का गर्मी से हाल बेहाल हो रहा है। मेल और फीमेल मेडिकल वार्डों में फिर भी छत के लगे पंखों से मरीजों को राहत मिल रही है, लेकिन आईसीयू वार्डों में भर्ती मरीजों का हाल बेहाल है। क्योंकि यहां दीवाल वाले पंखे लगे होने से यह गर्मी से राहत दिलाने में नाकाफी हैं। हालत यह है कि मरीजों के परिजनों ने घर से स्टैण्ड वाले पंखे लाकर लगा रखे हैं। आईसीयू के दोनों वार्डों में अभी 20 मरीज भर्ती हैं। जिला अस्पताल में प्रतिदिन 1400 से लेकर 1600 मरीज अपना इलाज कराने दूर दराज के क्षेत्रों से यहां पहुंचते हैं। जिनमें बच्चे और बुजुर्ग भी शामि होते हैं।

इमरजेंसी वार्ड में एसी क्या पंखा तक नहीं

एक ओर जहां अस्पताल में एयरकंडीशनर के खराब होने से मरीजों और उनके परिजन गर्मी से दो-चार हो रहे हैं तो वहीं इमरजेंसी के वार्ड में तो एयरकंडीशनर क्या पंखे तक भी नहीं लगे हैं। जिसमें अंदर जाने पर वार्ड तपता रहता है। इमरजेंसी वार्ड में गर्मी से राहत दिलाने की कोई व्यवस्था नहीं होने से इस उमस भरी गर्मी में अपना इलाज कराने आने वाले मरीजों सहित उनका उपचार करने वाले डॉक्टर तक पसीना-पसीना होते रहते हैं। देखा जाए तो इमरजेंसी वार्ड में अभी तक अस्पताल प्रबंधन ने एयरकंडीशनर की व्यवस्था नहीं की है, फिर भी अभी तक अस्पताल प्रशासन का ध्यान इस ओर नहीं गया है।

अस्पताल में आवारा श्वानों का राज

जिला अस्पताल में ओपीडी से लेकर पर्चा काउंटर या इमजेंसी तक में आवारा श्वानों का बोलबाला है। यह श्वान ओपीडी के बाहर, वार्ड, पर्चा काउंटरों के पास सहित इमरजेंसी ओपीडी में भी घूमते दिख जाएंगे। यही नहीं यह आवारा श्वान प्रथम माले और द्वतीय माले पर भी विचरण करते दिख जाएंगे। जब कभी कोई शिकायत होती है या किसी मरीज को कुत्ते काट लेते हैं तो कुत्ते भगाने के नाम पर खानापूर्ति कर कर दी जाती है। इसके बाद फिर से कुत्तों का राज कायम हो जाता है। श्वानों के इस तरह अस्पताल में घूमने से मरीजों, उनके परिवारजनों और अस्पताल कर्मचारियों को शारीरिक चोट या संक्रमण का खतरा हो सकता है।

न थूको गुटखा...अस्पताल को स्वच्छ रखने की हमारी भी जिम्मेदारी

धौलपुर जिला वासियों को भव्य अस्पताल की सौगात मिली थी। भवन निर्माण की लागत करीब 100 करोड़ रुपए है। भवन चार मंजिला होने के साथ विशाल क्षेत्रफल में फैला हुआ है। जिसमें बेहतर सुविधाओं के साथ अस्पताल को सुंदर बनाने पर भी जोर दिया गया था, लेकिन जिला वासियों की उदासीनता इस सुंदर और भव्य अस्पताल को गंदगी का ग्रहण लगाने पर उतारू हैं। दरअसल मरीजों के साथ आने वाले अटेंडर या अन्य लोग पान मसाले की पीक जगह-जगह धूककर अस्पताल परिषर को बदरंग कर रहे हैं। जिससे भव्य और सुंदर इमारत दशा बिगड़ती जा रही है। अस्पताल प्रबंधन ने कई बार लोगों को समझाश दी, और साफ-सफाई कराई लेकिन, लोगों पर इसका कोई असर देखने को नहीं मिल रहा। लोगों को भी समझना होगा कि यह भव्य अस्पताल उनके और उनके परिजनों के इलाज के लिए निर्मित कराया गया है न कि यह कोई थूकदान है। इसलिए अस्पताल को स्वच्छ रखने की जितनी जिम्मेदारी अस्पताल प्रशासन की होती है, उतनी जिम्मेदारी हम लोगों की भी होती है।