धौलपुर.कहते हैं प्रतिभा किसी चीज की मोहताज नहीं होती, क्योंकि इतिहास लिखने हाथ-पैर से ज्यादा हौंसला और जज्बा की जरूरत होती है। अस्सी प्रतिशत दिव्यांग कृष्ण कुमार शास्त्री उन्हीं में से एक हैं। जिनका नाम आज देश के नामी ज्योतिषाचार्यों में शुमार है। उनके बेहतर कार्यों का ही परिणाम है कि लंदन बुक ऑफ वल्र्ड रिकॉर्ड भी उन्हें सजदा कर उनका नाम गिनीज वल्र्ड रिकॉर्ड में दर्ज कर चुका है।
धौलपुर जिला के गांव बहरावती निवासी कृष्ण कुमार एक साल की उम्र में ही पोलिया से ग्रस्त होने के कारण 80 फीसदी दिव्यांग हो गए। कृष्ण कुमार2012 से ज्योतिषाचार्य का काम कर रहे हैं। वह एस्ट्रो ऋषि, एस्ट्रो सोभाग्य, एस्ट्रो मंगल, एस्ट्रो दर्शन, ग्यानी टॉक और एस्ट्रो शिव जैसे ऑनलाइन प्लेटफार्म के माध्यम से लोगों की समस्याओं का समाधान करते हैं। इन प्लेटफार्मों पर देश के कई नामी ज्योतिषाचार्य भी जुड़े हैं। इन प्लेटफार्मों से जुडऩे वाले लोग अपनी बेहतर समस्याओं का समाधान होने के बाद एस्ट्रोलॉजिस्टों के बारे में अपना मत देते हैं।
गृह मंत्रालय करता है चयन ऑनलाइन चलने वाले ज्योतिषाचार्य प्लेटफॉर्मों में देश के सैकड़ों एस्ट्रोलॉजिस्ट जुड़े हुए हैं। इनमें बेस्ट ज्योतिषाचार्य का चयन लोगों के मतों के आधार पर होता है। और यह सब देश के गृह मंत्रालय के अधीन रहता है। गृहमंत्रालय ही मतों के आधार पर बेस्ट ज्योतिषाचार्य का चयन करता है। कृष्ण कुमार पिछले साल ज्योतिषाचार्य के माध्यम से 85 हजार से ज्यादा लोगों की समस्याओं का समाधान कर चुके हैं। जिस कारण उन्हें सरकार ने बेस्ट ज्योतिषाचार्य का खिताब दिया तो वहीं लंदन बुक ऑफ रिकॉर्ड ने देश सहित विदेशों में बेहतर कार्य के लिए कृष्ण कुमार को खिताब से नवाजते उनका नाम गिनीज वल्र्ड रिकॉर्ड में दर्ज किया।
यह मिल चुके हैं सम्मान 18 अपे्रल को कृष्ण कुमार को ‘लंदन बुक ऑफ रिकॉर्ड’ ने सम्मानित किया तो 29 अप्रेल को कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल, गजेंद्र सिंह शेखावत मिनिस्टर ऑफ कल्चर एवं फिल्म अभिनेता मुस्ताक खान ने ‘देश रत्न’ अवार्ड से सम्मानित किया। 22 मार्च को फिल्म अभिनेता गुलशन ग्रोवर ने उन्हें ‘इंडियाज बेस्ट ज्योतिषाचार्य’ का खिताब दिया था इसके अलावा उन्हें ‘बेस्ट श्रीमद भगवाताचार्य’ के सम्मान से भी नवाजा गया। यह सम्मान उनको 22 मार्च को ही फिल्म अभिनेत्री महिमा चौधरी ने अवार्ड सौंपकर सम्मानित किया। कृष्ण कुमार पिछले वर्ष ऑनलाइन माध्यम से 8 श्रीमद भागवत कथा कर चुके हैं।
युवाओं के लिए बने सीख कृष्ण कुमार की कामयाबी जितनी चमकदार है…उनका जीवन उतना ही पीड़ादायक रहा। शरीर से 80 प्रतिशत दिव्यांग कृष्ण कुमार के सपने जहां बड़े थे तो दिव्यांगता उनकी राह में रोड़ा, लेकिन उन्होंने इससे हार नहीं मानते ज्योतिषाचार्य बनने की सोची और निकल पड़े ज्योतिषार्च बनने। इस दौरान परिवार की दयनीय आर्थिक स्थिति और लोगों के कटाक्ष कृष्ण कुमार के मनोबल को कम न कर सके। उन्होंने वृंदावन के रंगलक्ष्मी संस्कृत महाविद्यालय से एमए किया, तो बनारस की हिन्दू यूनिवर्सिटी से ज्योतिषाचार्य में एमफिल की डिग्री हासिल की। उनकी कामयाबी युवाओं के लिए एक पे्ररणास्त्रोत सीख बन चुकी है।