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सावधान! बारूद के ढेर पर खड़ा धौलपुर का सरमथुरा कस्बा

सरमथुरा क्षेत्र से कुछ दूरी पर में खुले में पड़े खतरनाक विस्फोटकों का ढेर तथा अश्रु गैस के खाली पड़े खोखे बड़े खतरे की घंटी बजा रहे हंै। इतनी बड़ी मात्रा में अति संवेदनशील विस्फोटकों की मौजूदगी क्षेत्र को संकट में डाल सकती है।

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सावधान! बारूद के ढेर पर खड़ा धौलपुर का सरमथुरा कस्बा

सावधान! बारूद के ढेर पर खड़ा धौलपुर का सरमथुरा कस्बा
बड़े खतरे की घंटी बजा रहा खुले में पड़ा विस्फोटक
- सरमथुरा क्षेत्र के खैमरी गांव के समीप का मामला
-खुले में पड़े है सैकड़ों बड़े कारतूस और अश्रु गैस के हथगोलों के खोखे
-सेना का फायरिंग रेंज एरिया, नहीं कोई भी संकेतक
-फायरिंग के अवशेष बन रहे ग्रामीणों की आजीविका का साधन
धौलपुर. सरमथुरा क्षेत्र से कुछ दूरी पर में खुले में पड़े खतरनाक विस्फोटकों का ढेर तथा अश्रु गैस के खाली पड़े खोखे बड़े खतरे की घंटी बजा रहे हंै। इतनी बड़ी मात्रा में अति संवेदनशील विस्फोटकों की मौजूदगी क्षेत्र को संकट में डाल सकती है। गंभीर बात तो खुले में पड़े खतरनाक विस्फोटकों के ढेर को नष्ट करने का कोई साधन मौजूद नहीं होना है। यहां पड़े कारतूस पूरी तरह से भरे हुए है और यह बड़े विस्फोट की ओर संकेत भी कर रहे है। वहीं, जिस स्थान पर विस्फोटक सामग्री पड़ी हुई है, यहां पहले भी कई हादसे होने की जानकारी मिल रही है। इधर, पुलिस अधिकारियों को विस्फोटकों के संबंध में कोई भी स्पष्ट जानकारी नहीं है।
उल्लेखनीय है कि सरमथुरा से करीब पांच किलोमीटर की दूरी पर स्थित गांव खैमरी से सिद्ध बाबा का छज्जा जाने वाले मार्ग पर खुले में करीब पांच से छह इंच की लम्बाई के कारतूस व अश्रु गैस हथगोला(मैनुफैक्चर वाई बीएसएफ टेकनपुर) खुले में पड़े हुए है। इसमें कारतूस के भारीपन का होना इसमें विस्फोटक की ओर से संकेत कर रहा है, जबकि अश्रु गैस के हथगोले के खाली खोखों में विस्फोट सामग्री लगी हुई है। स्थानीय थाना पुलिस का कहना है कि यह क्षेत्र सेना का फायरिंग रेंज एरिया है, यहां फायरिंग करने के पूर्व पुलिस से अनुमति ली जाती है। लेकिन क्षेत्र में फायरिंग के अनुपयोगी विस्फोटकों के नष्ट करने की प्रक्रिया के बारे में पुलिस को कोई भी जानकारी नहीं है।

ग्रामीण खेल रहे मौत का खेल
सरमथुरा के खैमरी गांव के समीपवर्ती करीब आधा दर्जन गांवों के ग्रामीणों की सेना की फायरिंग रेंज आजीविका का साधन भी बनी हुई है। जीवन को दांव पर लगाकर स्थानीय ग्रामीण मात्र थोड़े से लालच में सेना फायरिंग रेंज से गोलों के अवशेषों को उठा लेते है और उनसे धातु निकाल कर बाजार में बेच देते हंै। स्थानीय ग्रामीण वर्ष में दो-तीन महीने इस प्रकार का काम करके वर्षभर की अपनी आजीविका चला लेते हैं। इस प्रकार की आजीविका का काम कई ग्रामीणों की पीढ़ी दर पीढ़ी चला आ रहा है।

जान भी गंवा चुके है ग्रामीण
गौरतलब है कि सरमथुरा के डांग इलाके में सेना का फायरिंग रेंज एरिया है। यहां प्रतिवर्ष सेना की टुकड़ी फायरिंग करने का अभ्यास करने के लिए आती है। इस दौरान एक चिन्हित स्थान पर गोला बारूद की फायरिंग का अभ्यास किया जाता है। फायरिंग रेंज एरिया से सटे गांवों के ग्रामीण दागे हुए गोलों के बीच में पहुंच जाते हैं और गोलों के अवशेषों को एकत्र करके ले जाते है। गंभीर बात यह है कि इस काम में ग्रामीण महिलाएं भी सहयोग करती हंै। क्षेत्र के गांव खैमरी, दीवानपुरा में कई ग्रामीण अपनी जान भी गवां चुके हंै, लेकिन कम मेहनत में ज्यादा मुनाफे के लालच में ग्रामीण जान हथेली पर लेने से नहीं चूक रहे हंै। करीब एक दशक पहले सरमथुरा क्षेत्र में कबाड़ का काम करने वाले व्यक्ति के यहां हादसा घटित हुआ, जिसमें यहां मौजूद व्यक्ति के शरीर के अवशेष करीब 100 मीटर के दायरे में फैल गए।

जानकारी मिलने पर संबंधित थाना पुलिस को सूचना दी गई है, विस्फोटक को नष्ट कराने की कार्रवाई कराई जाएगी।
अजय सिंह, जिला पुलिस अधीक्षक, धौलपुर