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बीहड़ में भोले के जयकारे, शिवलिंग बदलता है दिन में तीन बार रंग!

देश भर में कई ऐसे मंदिर हैं जो अपनी अनोखी विशेषताओं के लिए जाने जाते हैं। ऐसा ही एक अद्भुत मंदिर धौलपुर शहर से लगा हुआ है, नाम है अचलेश्वर महादेव मंदिर। चम्बल के बीहड़ों में धौलपुर शहर से करीब 5 किलोमीटर दूर चंबल नदी के किनारे स्थित अचलेश्वर महादेव मंदिर है। रास्ता पुराने हाइवे की तरफ से नीचे बीहड़ की तरफ जाता है। कहते है कि यहां मंदिर में स्थित शिवलिंग दिन में तीन बार अपना रंग बदलता है।

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बीहड़ में भोले के जयकारे, शिवलिंग बदलता है दिन में तीन बार रंग! Cheers for Bhole in the ravines, Shivling changes color three times a day!

- चंबल किनारे स्थित अचलेश्वर महादेव मंदिर

धौलपुर. देश भर में कई ऐसे मंदिर हैं जो अपनी अनोखी विशेषताओं के लिए जाने जाते हैं। ऐसा ही एक अद्भुत मंदिर धौलपुर शहर से लगा हुआ है, नाम है अचलेश्वर महादेव मंदिर। चम्बल के बीहड़ों में धौलपुर शहर से करीब 5 किलोमीटर दूर चंबल नदी के किनारे स्थित अचलेश्वर महादेव मंदिर है। रास्ता पुराने हाइवे की तरफ से नीचे बीहड़ की तरफ जाता है। कहते है कि यहां मंदिर में स्थित शिवलिंग दिन में तीन बार अपना रंग बदलता है। सावन माह में कांवडिय़ां यहां पर जल चढ़ाते हैं।मंदिर का इतिहास भी रहस्यमयी है। किसी को नहीं पता कि इस मंदिर का निर्माण कब और किसने करवाया था। हालांकि, स्थानीय लोगों का मानना है कि यह मंदिर हजारों साल पुराना है। दावा है कि अचलेश्वर महादेव मंदिर में स्थित शिवलिंग का रंग दिन में तीन बार बदलता है। कहते हैं कि सुबह के समय शिवलिंग का रंग लाल होता है, दोपहर के समय केसरिया और शाम के समय सांवला हो जाता है। हालांकि, इसकी वजह क्या है, यह स्पष्ट नहीं है।

नहीं मिला आखिरी छोर, खुदाई की बंद

मंदिर में स्थित शिवलिंग की एक और खास बात यह है कि इस शिवलिंग की गहराई कितनी है, इसका पता आज तक नहीं चल पाया है। एक बार शिवलिंग के आखिरी छोर तक पहुंचने के लिए खुदाई करवाई गई थी, लेकिन जमीन के बहुत नीचे तक खोदने के बाद भी जब शिवलिंग का आखिरी छोर नहीं मिल पाया तो खुदाई को बंद करवा दिया गया।

सावन माह में भक्ति की रहती है भीड़

सावन के माह में बड़ी संख्या में मंदिर में भगवान शिव के भक्त यहां पहुंचते हैं। स्थानीय लोगों का मानना है कि इस मंदिर में सच्चे मन से मांगी गई हर मनोकामना पूरी होती है। इस मंदिर के बारे में मान्यता है कि यहां कुंवारे लडक़े और लड़कियां अपने मनचाहे जीवनसाथी की कामना लेकर आते हैं और भोलेनाथ के आशीर्वाद से उनकी इच्छा पूरी होती है। यहां प्रत्येक सोमवार के दिन तथा श्रावण मास में शिवजी को जल चढ़ाने व उन्हें मनाने के लिए भारी भीड़ उमड़ती है। मंदिर चंबल नदी पास और बीहड़ में होने से यहां पर अलग तरह की शांति है। भक्त यहां आकर काफी देर तक बैठते हैं।