
चौकोर कुण्ड की वजह से नाम पड़ गया चौपड़ा मंदिर, भोले के भक्तों की उमड़ती है भीड़
Chopra Mahadev Temple Dholpur news: धौलपुर. राष्ट्रीय राजमार्ग दिल्ली-मुंबई पर केन्द्रीय बस स्टैण्ड के पास जिले का ऐतिहासिक चोपड़ा मंदिर सैकड़ों सालों से श्रद्धालुओं की आस्था का केन्द्र बना हुआ है। मंदिर की खास बात ये है कि इस मंदिर के मुकाबले आसपास कोई इतना प्राचीन मंदिर नहीं है। भारतीय पुरातत्वविदें के अनुसार मंदिर की करीब 500 साल पुरानी संरचना बताया जाता है और यह धौलपुर एस्टेट का सबसे पुराना शिव मंदिर है।
सावन में इस मंदिर पर सोमवार के दिन पैर रखने लायक जगह तक नहीं बचती है। शहर समेत आसपास के इलाके से श्रद्धालु यहां भोले के दर्शन करने पहुंचते हैं। जगदगुरु शंकराचार्य स्वामी जयेंद्र सरस्वती ने भी इस मंदिर में शिव का रुद्राभिषेक किया है। यहां परिसर में एक कुण्ड भी मौजूद है। कहा जाता है कि उक्त कुण्ड की आकृति चौकोर होने की वजह से मंदिर को चौपड़ा मंंदिर के नाम से जाना जाता है। मंदिर के बारे में बताया जा है कि इसका निर्माण धौलपुर के महारावल भगवंत सिंह के मामा राजधर कन्हैया लाल ने करीब 1856 ईसवीं में करवाया था। कन्हैया लाल धौलपुर राजघराने के दीवान थे।
वास्तुकला का जीता-जागता उदाहरण मंदिर
चौपड़ा मंदिर की अलग पहचान है। मंदिर को करीब 500 पुराने होने का दावा किया जाता है। मंदिर की ऊंचाई करीब 150 फुट है। यह वास्तुकला के हिसाब से बेहद खूबसूरत और अपनी अलग छाप छोड़ता है। इसके गर्भगृह में जाने के लिए 25 सीढिय़ां चढऩी पड़ती हैं। गर्भ गृह अष्टकोणीय है। इसको शिव यंत्र के रूप में भी देखा जाता है। मंदिर परिसर की दीवारों पर आठ दरवाजे भी हैं। हर दरवाजे पर आकर्षक मूर्तियां उकेरी गई हैं और मन्दिर के प्रवेश द्वार पर ब्रह्मा की मूर्ति विराजमान है। इसका शिखर भी खूबसूरत है जो दूर से नजर आता है। मंदिर का मूल नाम प्राचीन कैलाश धाम बताया जाता है। हालांकि, मंदिर को लेकर कोई दस्तावेज उपलब्ध नहीं है।
सावन में यहां उमड़ती है शिवभक्तों की भीड़
इन दिनों सावन का महीना चल रहा है और सोमवार को यहां शिव भक्तों की भारी भीड़ पहुंचती है। खास बात ये है कि यह मंदिर अन्य शहरों की तरह शहर के अंदर या कुंज गलियों में नहीं है। यह हाइवे स्थित कुछ दूरी पर है जिससे पर्यटक या बाहर से आने वाले लोग आसानी से पहुंच जाते हैं और शिवजी का आशीर्वाद लेकर रवाना हो जाते हैं। मंदिर पर महाशिवरात्रि, सावन माह एवं साप्ताहिक सोमवार को बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां पूजा-अर्चना और जलाभिषेक करने पहुंचते हैं।
Published on:
17 Jul 2023 06:54 pm
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