scriptधीरेंद्र शास्त्री की यात्रा राजनीति से प्रेरित”धर्म प्रेरित नही——शंकराचार्य | Dheerendra Shastri's visit was politically motivated, not religiously motivated------- Shankaracharya | Patrika News
धौलपुर

धीरेंद्र शास्त्री की यात्रा राजनीति से प्रेरित”धर्म प्रेरित नही——शंकराचार्य

.उत्तराखंड के बद्रिकाश्रम में ज्योर्तिमठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद महाराज ने अपने राजाखेड़ा प्रवास के आखिरी दिनधर्मसभा को संबोधित करते हुए धर्म के प्रति जागरूक होने का संदेश दिया और कहा कि सनातन धर्म ही इकलौता ऐसा धर्म है जिसमे करुणा और मानवता समाहित है।

धौलपुरDec 09, 2024 / 05:51 pm

Naresh

धीरेंद्र शास्त्री की यात्रा राजनीति से प्रेरित''धर्म प्रेरित नही------शंकराचार्य Dhirendra Shastri's journey inspired by politics, not religion - Shankaracharya
dholpur, राजाखेड़ा.उत्तराखंड के बद्रिकाश्रम में ज्योर्तिमठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद महाराज ने अपने राजाखेड़ा प्रवास के आखिरी दिनधर्मसभा को संबोधित करते हुए धर्म के प्रति जागरूक होने का संदेश दिया और कहा कि सनातन धर्म ही इकलौता ऐसा धर्म है जिसमे करुणा और मानवता समाहित है। यह किसी भी अन्य धर्म का अनादर नहीं करता। सनातन धर्म से ही मुक्ति का द्वार खुलता है।
शंकराचार्य ने वहां मौजूद लोगों की शंकाओं का भी समाधान किया । धर्मसभा में राजाखेड़ा विधायक रोहित बोहरा, जिला प्रमुख प्रतिनिधि अजयपाल सिंह जादौन, नगरपालिका चेयरमैन वीरेंद्र सिंह जादौन, प्रधान प्रतिनिधि राजकुमार तोमर सहित बड़ी संख्या में महिला-पुरुष मौजूद रहे।
जतियों में बट रहा समाज

जातियों में समाज बट रहा है। एक जाति एक पार्टी को वोट दे रही है। दूसरी जाति दूसरी पार्टी को वोट दे रही है। इसको रोकना है तो एक पार्टी ने यह तय किया है कि जाति विभाजन ना रहे और थोक वोट एक ही पार्टी को मिले। तो यह राजनीतिक मामला है अगर उनको राजनीति के लिए ऐसा करना है तो हमें कोई बाधा नहीं है। हर राजनीतिक पार्टी अपने-अपने ढंग से काम करती है ताकि वह जीत सके। लेकिन इसका धर्म से कोई लेना-देना नहीं है। क्योंकि धर्म की जो एकता है वह जात-पात की विदाई करके नहीं बन सकती है बल्कि जातियों मे सामंजस्य बनाकर अपने-अपने धर्म पर रहते हुए भी की जा सकती है। और यही बात तुलसीदास जी के रामचरितमानस में उत्तरकांड में भी कही गई है। जिसमें बताया है कि रामजी जब राजा बने थे तो उन्होंने सब वर्णों को, सब आश्रमों को अपने-अपने धर्म के अनुसार चलने को कहा था और उससे समाज में एकता आ गई थी। तो जो सनातन की एकता है वह इसी तरह से बनती है।

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