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स्कूलों में न्यूनतम मजदूरी मिलने के बाद भी श्रम साधकों की दीवाली फीकी

स्कूलों में मिड-डे मील में लगी कुक कम हेल्परों को 3 माह से नही हुआ भुगतान

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स्कूलों में न्यूनतम मजदूरी मिलने के बाद भी श्रम साधकों की दीवाली फीकी Even after getting minimum wages in schools, Diwali of labor seekers pales

-स्कूलों में मिड-डे मील में लगी कुक कम हेल्परों को 3 माह से नही हुआ भुगतान

dholpur, सरमथुरा. सरकार ने कर्मचारियों के डीए में बढोत्तरी, दीपावली से पूर्व वेतन सहित बोनस देने की घोषणा कर कर्मचारी वर्ग को खुश करने की कवायद की है। लेकिन एक वर्ग ऐसा भी है जिन्हें न्यूनतम मजदूरी मिलने के बाद भी दीपावली की मिठास फीकी नजर आ रही है। सरकारी स्कूलों में कक्षा प्रथम से 8 वीं तक के छात्रों को मिड डे मील में भोजन बनाने वाली कुक कम हेल्परों को तीन माह गुजरने के बाद भी दीपावली पर भुगतान नही किया गया है। जबकि घर के कामकाज को छोड़कर दिन भर सैकड़ों विद्यार्थियों का भोजन बनाने के साथ-साथ मिड डे मील अंतर्गत बने रसोई बर्तन आदि कार्य को अंजाम दे रही है। श्रम साधकों ने मेहनताना के लिए शिक्षा विभाग के अधिकारियों तक से गुहार लगाई है लेकिन बजट के अभाव में श्रम साधकों को रोशनी की किरणें कम ही दिखाई दे रही है। स्कूलों में कुक कम हेल्पर दिनभर मेहनत करते हैं इसके बाद भी इतना कम मानदेय निर्धारित है। महंगाई के दौर में इतने कम मानदेय में घर का खर्च चलाना भी मुश्किल है। फिर भी समय पर भुगतान नही होने के कारण इस वर्ग में मायूसी छाई हुई है। सबसे बड़ी समस्या यह है कि एक वित्त वर्ष में कुक कम हेल्पर को मात्र दस महीने का भुगतान किया जाता है। फिर भी बजट के अभाव में चार से पांच माह में भुगतान हो पाता है। जिन्होंने सरकार से त्योहार से पूर्व मानदेय देने की मांग की हैं।

महीने का नियत मिलता है मानदेय:

भोजन को बनाने के लिए स्कूलों में कुक कम हेल्पर कार्यरत हैं, जिन्हें हर महीने नियत मानदेय मिलता है। 50 छात्रों पर एक कुक कम हेल्पर की नियुक्ति होती है। ब्लॉक में संचालित 151 राजकीय स्कूल, चार संस्कृत स्कूल व पांच मदरसों में करीब 250 कुक कम हेल्पर कार्यरत हैं। इनको प्रति माह 2143 रुपये मिल रहे हैं, लेकिन ये मानदेय भी एक मनरेगा कर्मी से कम है। फिर भी श्रम साधक अपने परिवार की स्थिति को देखते हुए कर्तव्यों को अंजाम दे रहे हैं।सरकारी स्कूलों, मदरसों आदि में कार्य करने वाले कुक कम हेल्पर त्योहार पर तीन माह से मेहनताना नही मिलने के कारण बेहद निराश है।

अधिकांश बीपीएल और गरीब परिवार के सदस्य:

न्यूनतम मजदूरी मिलने के बावजूद समय पर भुगतान नही होने से कई कुक कम हेल्पर स्कूलों में खाने पकाने का काम छोड़ने को मजबूर है। संस्था प्रधान एवं पोषाहार प्रभारी इन्हें स्थायीकरण व मानदेय बढ़ाने के आश्वासन देकर मिड डे मील योजना को जैसे- तैसे संचालित करवा रहे हैं। अब दीपावली पर्व पर भी बकाया मानदेय भुगतान के आसार कम दिख रहे हैं। हकीकत यह है कि सिर्फ 71 रुपए प्रतिदिन मानदेय भोगी इन कुक कम हेल्पर को समय पर मानदेय नही मिलने से इनकी आर्थिक स्थिति खराब हो गई हैं।

ब्लॉक में संचालित राजकीय स्कूल व मदरसों में मिड डे मील योजनान्तर्गत खाना पकाने में लगे कुक कम हेल्परों को जुलाई माह से बजट नही आने के कारण भुगतान नही किया गया है, बजट मिलते ही भुगतान कर दिया जाएगा।

- जितेन्द्रसिंह जादौन सीबीईओ सरमथुरा