महीने का नियत मिलता है मानदेय: भोजन को बनाने के लिए स्कूलों में कुक कम हेल्पर कार्यरत हैं, जिन्हें हर महीने नियत मानदेय मिलता है। 50 छात्रों पर एक कुक कम हेल्पर की नियुक्ति होती है। ब्लॉक में संचालित 151 राजकीय स्कूल, चार संस्कृत स्कूल व पांच मदरसों में करीब 250 कुक कम हेल्पर कार्यरत हैं। इनको प्रति माह 2143 रुपये मिल रहे हैं, लेकिन ये मानदेय भी एक मनरेगा कर्मी से कम है। फिर भी श्रम साधक अपने परिवार की स्थिति को देखते हुए कर्तव्यों को अंजाम दे रहे हैं।सरकारी स्कूलों, मदरसों आदि में कार्य करने वाले कुक कम हेल्पर त्योहार पर तीन माह से मेहनताना नही मिलने के कारण बेहद निराश है।
अधिकांश बीपीएल और गरीब परिवार के सदस्य: न्यूनतम मजदूरी मिलने के बावजूद समय पर भुगतान नही होने से कई कुक कम हेल्पर स्कूलों में खाने पकाने का काम छोड़ने को मजबूर है। संस्था प्रधान एवं पोषाहार प्रभारी इन्हें स्थायीकरण व मानदेय बढ़ाने के आश्वासन देकर मिड डे मील योजना को जैसे- तैसे संचालित करवा रहे हैं। अब दीपावली पर्व पर भी बकाया मानदेय भुगतान के आसार कम दिख रहे हैं। हकीकत यह है कि सिर्फ 71 रुपए प्रतिदिन मानदेय भोगी इन कुक कम हेल्पर को समय पर मानदेय नही मिलने से इनकी आर्थिक स्थिति खराब हो गई हैं।
ब्लॉक में संचालित राजकीय स्कूल व मदरसों में मिड डे मील योजनान्तर्गत खाना पकाने में लगे कुक कम हेल्परों को जुलाई माह से बजट नही आने के कारण भुगतान नही किया गया है, बजट मिलते ही भुगतान कर दिया जाएगा।
– जितेन्द्रसिंह जादौन सीबीईओ सरमथुरा