
- बंदोबस्त विभाग ने तीन दफा की जांच, पर नहीं पेश की फाइनल रिपोर्ट
- 5 करोड़ की सरकारी जमीन को खुद प्रशासन नहीं करा पा रहा खाली
- सीएम तक गुहार और आधा दर्जन बार नापतौल, नतीजा अभी भी अतिक्रमण
- राजकीय बालिका विद्यालय को जमीन आवंटन का मामला
मनीष उपाध्याय
dholpur, राजाखेड़ा. राजनीतिज्ञों, अधिकारियों और प्रभावशालियों का गठजोड़ उपखंड में इस कदर हावी हो चुका है कि साल 2002 में राजकीय बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय के लिए आवंटित 13 बिस्वा जमीन अब गुम हो गई है। वर्तमान में इस भूमि का बाजार भाव करीब 5 करोड़ रुपए बताई जा रही है। उक्त 13 बिस्वा भूमि को नगर पालिका ने अतिक्रमण मुक्त करवाने के स्थान पर विद्यालय को शहरी क्षेत्र से दूर अन्य स्थान पर दूसरी भूमि का आवंटन कर दिया और करोड़ों की कीमती भूमि को शहरी सरकार भूल गई। हालांकि आवंटन के समय इस भूमि पर कोई अतिक्रमण नहीं था और यह पूरी तरह खाली थी, लेकिन बजट के अभाव में विद्यालय चारदीवारी नहीं करवा सका। लोगों का आरोप है कि शिक्षा विभाग की लापरवाही और नगर पालिका की कथित अनदेखी से कुछ ही वर्षों में प्रशासनिक शह पर इस पर कब्जा कर लिया गया। वहीं, दरियादिल नगर पालिका ने भी इस कब्जे को हटवाकर अतिक्रमियों पर कार्रवाई करने के स्थान पर बालिका विद्यालय को अन्यत्र जमीन आवंटित कर अतिक्रमियों को इस पर बाजार बनाने की मूक और अघोषित स्वीकृति दे दी। जमीन को अतिक्रमण मुक्त करवाने के लिए विभिन्न संगठनों और संस्थाओं ने स्थानीय नगर पालिका, तहसीलदार, उपखंड अधिकारी, जिला कलक्टर, शिक्षा सचिव, शिक्षा मंत्री से लेकर मुख्यमंत्री तक गुहार लगाई, लेकिन स्थानीय प्रशासन में यह फाइल एक सीट से दूसरी सीट पर घूम रही, पर एक दशक में निर्णायक कार्रवाई नहीं हो पाई है। खुुद बालिका विद्यालय प्रशासन 2015 से इस बेशकीमती जमीन को मुक्त करवाने के लिए प्रयास कर रहा है, पर किसी के भी कानों पर जूं नहीं रेंग रही।
2002 में हुई आवंटित, अब लापता हो गई
बालिका विद्यालय दशकों से एक छोटे से निजी भवन में संचालित हो रहा था जिसमे 500 से अधिक बालिकाएं अमानवीय हालात में अध्ययनरत थीं। पत्रिका के इस संबंध में पूर्व में चलाए अभियान के बाद प्रशासन ने नगर पालिका से वर्ष 2002 में हाट मैदान बाइपास मार्ग पर 13 बिस्वा जमीन बालिका विद्यालय के नवीन भवन निर्माण के लिए आवंटित करवाई, लेकिन बजट के अभाव में जमीन पर भवन तो नहीं बना पर भू-माफिया की इस पर कुदृष्टि पड़ गई और कुछ दिनों में कब्जा हो गया। आम जनता की मांग पर बालिका विद्यालय ने अतिक्रमण हटवाने के लिए तमाम पत्र तहसीलदार को लिखे पर कार्रवाई नहीं हुई। स्थानीय तत्कालीन प्रशासन कार्रवाई के नाम गुमराह करता रहा। कीमती जमीन से ध्यान हटाने के लिए बालिका विद्यालय के लिए कोर्ट के पास नवीन भूमि आवंटन कर भवन निर्माण आरम्भ करवा दिया गया। और इस बेशकीमती जमीन को अन्य उपयोग में लेने की भूमि उपकृत कर दिया गया।
प्रशासन को नहीं मिल रही जमीन!
आमजन के बढ़ते दवाब के बीच तहसीलदार ने भूमि की नाप करवाई लेकिन इसे आबादी के बीच आ जाने का कारण बताते हुए पैमाइश नहीं किए जाने के संबंध में रिपोर्ट लगाकर मामला बंद कर दिया गया। नाराज लोगों के आंदोलन को देख बालिका विद्यालय ने जिला कलक्टर की मदद से बंदोबस्त विभाग से इस जमीन की पैमाइश के निर्देश करवाए, लेकिन जुलाई से अब तक कई बार पैमाइश के बाद भी बंदोबस्त विभाग की रिपोर्ट न आना अब लोगों के समक्ष प्रश्नचिह्न खड़े कर रहा है।
तीन बार आ चुकी टीम...
खास बात ये है कि उक्त जमीन की खोज करने के लिए बंदोबस्त विभाग की टीम तीन दफा दौरा कर चुकी है। अब स्थानीय प्रशासन मामले में देरी के लिए अन्य तर्क दे रहा है। हालांकि, टीम ने अभी तक फाइनल पैमाइश को अभी तक पेश नहीं किया है जबकि तहसील कार्यालय रिपोर्ट आने का इंतजार कर रहा है।
बंदोबस्त विभाग की टीम जुलाई से अब तक तीन बार आ चुकी है, लेकिन भारी बारिश और खराब मौसम के चलते पैमाइश नहीं हो पाई। फाइनल पैमाइश एक नवंबर को हो चुकी है, लेकिन अभी तक उन्होंने रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं कि है। रिपोर्ट आने पर ही कार्रवाई हो पाएगी।
- दीप्ति देव, तहसीलदार राजाखेड़ा
Updated on:
26 Nov 2025 06:11 pm
Published on:
26 Nov 2025 06:10 pm
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