15 दिसंबर 2025,

सोमवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

डेढ़ माह में रेस्क्यू टीम के दो सदस्यों पर घातक हमले, अजगर के हमले ने वनकर्मी की बिगड़ी तबीयत, हाथ में गढ़ा दिए तीन दांत

- सहायक वन पाल को ग्वालियर में कराना पड़ा इलाज, धौलपुर में वैक्सीन नहीं लगा पाए स्वास्थ्यकर्मी - रेस्क्यू टीम के पास नहीं बेहतर संसाधन

3 min read
Google source verification
Fatal attack on two members of the rescue team in one and a half month, python attack worsened the forest worker's health, damaged three teeth in his hand

डेढ़ माह में रेस्क्यू टीम के दो सदस्यों पर घातक हमले, अजगर के हमले ने वनकर्मी की बिगड़ी तबीयत, हाथ में गढ़ा दिए तीन दांत

धौलपुर. वन विभाग की रेस्क्यू टीम ने गत दिनों गांव सूरजपुरा स्थित तालाब में जाल में फंसे अजगर का इलाज करा उसे नर्सरी में रखा। दो दिन पहले घायल अजगर के स्वास्थ्य की जानकारी लेने कमरे में घुसे वनकर्मी राधाकिशन पर अजगर ने अचानक से हमला करते हुए उसके हाथ में तीन दांत गढ़ा दिए और उसे जकड़ लिया। साथियों ने अजगर को अलग कर वनकर्मी को जिला अस्पताल में भर्ती कराया। जहां दो दिन चले उपचार के बाद वनकर्मी की हालत में सुधार है। जिले में अजगर को रेस्क्यू करने के दौरान हमले की यह दूसरी घटना है। जिसमें दोनों वनकर्मियों की जान के लाले पड़ गए।

गत माह हुई घटना में सहायक वनपाल गोपाल सिंह अचेत हो गया और ग्वालियर पहुंचने से पहले उसे आंखों से दिखने बंद हो गया था। यहां इलाज के बाद उसे होश आया। हालांकि, गोपाल का अभी भी इलाज चल रहा है। दोनों मामलों में वनकर्मियों पर बेहतर उपकरण नहीं होने से हमले के दौरान घायल होना बड़ी वजह रही। रेस्क्यू टीम के सदस्य साहस और अपनी सूझबूझ से ही अजगर पर काबू पा रहे हैं। हालांकि, वन विभाग के अधिकारी का कहना है कि विभाग के पास संसाधनों की कोई कमी नहीं है।

रेस्क्यू टीम पर संसाधनों की कमी

वन विभाग की रेस्क्यू टीम पर बेहतर संसाधन नहीं है। अजगर समेत अन्य सर्प को पकडऩे के लिए अच्छी गुणवत्ता के दस्ताने होने चाहिए। जिससे हमले से बचाव हो सके। वहीं, स्थानीय टीम पर पुराने दस्ताने से काम कर रही है। उक्त दस्ताने बिजली कार्य के दौरान इस्तमाल होते हैं। वहीं, विभाग ने हाल में नई स्टिक मंगाई है। भारी-भरकम अजगर को पकडऩे के दौरान कई दफा स्टिक मुड़ जाती है। वहीं, पकडऩे के बाद जीव-जन्तु को रखने के लिए भी कोई इंतजाम नहीं है। जिससे उसका बेहतर रख-रखाव हो सके।

केस 1:

गांव सूरजपुरा स्थित तालाब में गत दिनों करीब सात फुट लम्बा अजगर यहां मछली पकडऩे के जाल में जा फंसा था। वन विभाग की टीम ने उसे रेस्क्यू कराया और इलाज के लिए जिला पशु चिकित्सालय लेकर पहुंचे। जहां उसका उपचार कर घायल अजगर को वनकर्मी साथ ले गए और उसे नर्सरी के एक कमरे में छोड़ दिया। दो दिन पहले वनकर्मी राधाकिशन उसके स्वास्थ्य की जानकारी लेने कमरे में स्टिक लेकर घुसे। अचानक अजगर ने वनकर्मी पर हमला करते हुए हाथ पर जोर से तीन दांत गढ़ा दिए। हमले तीन दांत टूट गए और अजगर हाथ से लिपट गया। आवाज सुनकर अन्य साथी पहुंचे और बमुश्किल राधाकिशन को अलग किया। दांत गढ़ाने से वनकर्मी अचेतावस्था जैसी हालत होने पर उसे तुरंत जिला अस्पताल लेकर पहुंचे, जहां उसे भर्ती कराया। दो दिन इलाज के बाद वनकर्मी की हालत में अब सुधार है।

केस 2:

गत 1 सितम्बर को गांव खरगपुर में जोगेन्द्र सिंह गुर्जर के मकान में एक सांप होने की सूचना पर सहायक वन पाल गोपाल सिंह मय टीम मौके पर पहुंचे। यहां जहरीली प्रजाति का ब्लैक कोबरा दिखा। पकडऩे के प्रयास में वह गोपाल के हाथ फिसल गया और भीड़ की तरफ चला गया। जिस पर गोपाल ने उसे वापस पकड़ लेकिन इस दौरान ब्लैक कोबरा ने दाहिने हाथ में तीन बार अटैक कर दिया। घायल वनकर्मी को स्टाफ अस्पताल लेकर पहुंचा, जहां उसकी हालत बिगडऩे पर परिजन उसे ग्वालियर ले गए। ग्वालियर पहुंचने से पहले उसे दिखना कम हो गया और जीभ लडखड़़ाने लगी। बाद में उसे वालियर के जीआर मेडिकल कॉलेज ग्वालियर में भर्ती कराया और इलाज शुरू होने पर देर रात उसे होश आया। धौलपुर अस्पताल में उसे समय पर इलाज नहीं मिल पाया।

- रेस्क्यू के लिए विभाग पर सभी संसाधन हैं। टीम सावधानी से रेस्क्यू करती है। दो दिन पहले एक वनकर्मी पर अचानक से अजगर ने हमला कर दिया था। नवीन संसाधन मंगाए जा रहे हैं। इसमें स्टिक आ चुकी है।

- किशोर गुप्ता, डीएफओ, धौलपुर