पेड़ों ही टहनियों की कांट-छांट आदि मरम्मत करने की कवायद कागजों तक ही सिमटी रहती है। हकीकत में देखा जाए तो शहर से लेकर गांवों तक कई स्थानों पर बिजली के तार पेड़ों की टहनियों के बीच से गुजर रहे हैं। कई जगह तो बिजली के तारों में टहनियां उलझी हुई रहती हैं। ऐसे में बिजली खंभों के आसपास रह रहे लोगों को डर सताने लगा है। निर्बाध आपूर्ति का दावा भी खोखला साबित हो रहा है क्योंकि डालियों के तार से टकराने पर बिजली आपूर्ति बाधित हो जाती है। मानसून का पूरा सीजन इसी तरह निकल गया। लेकिन इन टहनियों की कांट-छांट तक को बिजली विभाग ने मुनासिब नहीं समझा।
शॉर्ट सर्किट का रहता है भय शहर से गांव तक तारों और पोलों पर पेड़ों की टहनियां लटकी हुई हैं। आंधी या तेज हवा चली तो शार्ट सर्किट के चलते आपूर्ति गुल होने से कोई रोक नहीं पाएगा। अपितु तेज हवा के कारण जब पेड़ की टहनियां जर्जर विद्युत तारों के संपर्क में आतीं हैं तो अक्सर तार टूटकर गिर भी जाते हैं, इससे हादसे की आशंका बनी हुई है।स्थानीय लोगों में रहता है भयस्थानीय लोगों का कहना है कि पेड़ की टहनियों में उलझे बिजली के जर्जर तार व पोल हादसे को न्योता दे रहे हैं। तेज हवा, आंधी और बारिश के दौरान यह विद्युत तार हवा में झूलते हैं। टहनियों में से निकले वाले विद्युत तारों से सदा भय बना रहता है, कि कहीं कोई अनहोनी न हो जाए। कई बार इसकी शिकायत भी है। डिस्कॉम के कर्मचारी जल्द ही समस्या को दुरुस्त करवाया जाना चाहिए।
शहर में फैला विद्युत तारों का मकडज़ाल डिस्कॉम की कार्यप्रणाली को देखना हो तो आप शहर भर में कुछ देर के लिए भ्रमण कर लें। आप जहां जिस मोहल्ले या गली से गुजरेंगे वहां तारों का मकडज़ाल पाएंगे। तो जगह-जगह झूलते हुए विद्युत तार लोगों के लिए आफत का कारण बने हैं। साथ ही शहर की सुंदरता को भी बट्टा लगा रहे हैं। ऐसा नहीं है कि विभाग के जिम्मेदार अधिकारी इन सबसे बेखबर हैं सब जानते और देखते हुए भी जिम्मेदार इन विद्युत तारों के मकडज़ाल और झूलते तारों को सुदृढ़ कराने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखा रहा।