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धौलपुर से विदा लेने लगे प्रवासी पक्षी, फिर सर्द प्रदेशों की ओर भरी उड़ान

- मौसम में अचानक बढ़ी गर्माहट, रवानगी हुई शुरू धौलपुर. मौसम के बदलते रंग अब विदेशी परिंदे मेहमान परिंदों को खलने लगे हैं। पारा चढऩे के साथ ही प्रवासी पक्षी भी अपने वतन लौटने लगे हैं। चंबल समेत जिलेभर के जलस्रोतों के किनारे इन पक्षियों का कलरव थमने सा लगा है। सर्द देशों में बर्फ पडऩे से दाना-पानी के लिए नवंबर-दिसंबर माह में हजारों किलोमीटर दूर का सफर

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Migratory birds started taking off from Dholpur, then flew towards cold regions

धौलपुर से विदा लेने लगे प्रवासी पक्षी, फिर सर्द प्रदेशों की ओर भरी उड़ान

धौलपुर से विदा लेने लगे प्रवासी पक्षी, फिर सर्द प्रदेशों की ओर भरी उड़ान

- मौसम में अचानक बढ़ी गर्माहट, रवानगी हुई शुरू

धौलपुर. मौसम के बदलते रंग अब विदेशी परिंदे मेहमान परिंदों को खलने लगे हैं। पारा चढऩे के साथ ही प्रवासी पक्षी भी अपने वतन लौटने लगे हैं। चंबल समेत जिलेभर के जलस्रोतों के किनारे इन पक्षियों का कलरव थमने सा लगा है। सर्द देशों में बर्फ पडऩे से दाना-पानी के लिए नवंबर-दिसंबर माह में हजारों किलोमीटर दूर का सफर तय कर प्रवासी पक्षी चंबल के बीहड़ों में बहने वाली चंबल नदी में आकर ठहरते हैं। रूस के साइबेरिया, यूरेशिया, यूरोपियन देशों व अन्य एशियाई देशों से धौलपुर के इलाके में आने वाले रंग- बिरंगे दुर्लभ प्रजाति के पक्षी प्राकृतिक छटा को और मनोहारी बना देते हैं। सर्दी के मौसम में जलस्रोतों के किनारे इन पक्षियों के दुर्लभ नजारे लोगों को बरबस ही आकर्षित कर लेते हैं। अब फागुन माह में गर्मी के चलते यह पक्षी समय से पहले ही अपने ठीए की ओर लौटने लगे हैं। चंबल राष्ट्रीय अभयारण्य समेत अन्य जलस्रोतों पर कार्बोनेट, पेंटेड स्टार्क, रूडी शेलडक, विसलिंग टील, बार हेडेड गूज, ब्लैक नेक्ड स्टार्क, प्लेसिस गल, ब्लैक आइविस समेत हजारों की संख्या में प्रवासी पक्षी ठहराव किए थे। अब ये धीरे-धीरे अपने वतन लौटने लगे हैं।जिले में यहां आते हैं प्रवासी पक्षीजिले में आंगई बांध, निभी का ताल, हुसैन सागर, तालाब-ए-शाही, समेत लगभग सभी जलस्रोतों पर प्रवासी पक्षियों का डेरा लगता है। वहीं चंबल अभयारण्य इन प्रवासी पक्षियों का बड़ा ठिकाना है। इन इलाकों से हैं आतेयह यूरोप, साइबेरिया, मंगोलिया, तुर्कमेनिस्तान, अफगानिस्तान, ईरान, चीन, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, रूस, आस्ट्रेलिया समेत अन्य कई देशों से प्रवासी पक्षी हजारों किलोमीटर की उड़ान भर कर यहां आते हैं।ताल-तलइया हो रहे सूनेइस वर्ष जिलेभर के तालाब-बांध समेत अन्य जलस्रोतों में मेहमान पक्षियों ने डेरा था। हालांकि, इनकी संख्या गत वर्षों की तुलना में कम थी। अब यहां एशियाई देशों से आने वाले गिने-चुने बार गूज हैडेड व व्हीसलिंग बड्र्स, पेलिकन आदि ही बचे हैं। यह पक्षी भी वापसी की तैयारी कर रहे हैं।गंभीर संकटग्रस्त पक्षी भी आएइस बार गंभीर संकटग्रस्त में शामिल प्रवासी पक्षी इंडियन स्कीमर, ब्लैक-बेल्ट टर्न और जनसंख्या में गिरावट वाला पक्षी इजिप्शियन वल्चर धौलपुर और आसपास के इलाकों में पहुंचा था। इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेेशन आफ नेचर (आइयूसीएन) की सूची में शामिल दुलर्भ प्रजातियों के पक्षियों ने चंबल सेंचुरी, रामसागर बांध, हुसैनपुर बांध, निभी, आंगई बांध आदि स्थानों पर बसेरा बनाया।पांच से सात हजार पक्षी होने का अनुमानपक्षीप्रेमियों का अनुमान है कि टेल टिंगो, प्लेसिस गल, ब्लैक नेक्ड स्टार्ड, ब्लैक आइविस, विसलिंग टील, रूडी शेल्डक, पेंटेड स्टोर्क, कार्बोनेट, बारहेडेड गूज समेत दो दर्जन से अधिक प्रजातियों के करीब पांच से 7 हजार प्रवासी पक्षियों ने जिले मेें डेरा डाला था।इनका कहना हैमौसम में गर्मी का असर शुरू होने के साथ ही प्रवासी पक्षियों का लौटना शुरू हो गया है। वैसे इस बार कम पक्षी धौलपुर के जलस्रोतों पर देखे गए। - राजीव तोमर, मानद वन्यजीव प्रतिपालक