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अब एक ट्रेक पर नहीं आएंगी दो ट्रेनें, कवच करेगा इंजन को जाम

देश मे ट्रेनों में अब और सुरक्षित सफर होगा। रेलवे अब ट्रेक पर आमने सामने के ट्रेन हादसों को रोकने के लिए कवच प्रणाली से रेलवे लाइनों लैस कर रही है। इसमें उत्तर मध्य रेलवे ने करीब 309 करोड़ की लागत से 790 रूट किलोमीटर मार्गों पर ष्कवचष् प्रणाली को हरी झंडी दिखाई है। इस योजना में आगरा मंडल की धौलपुर-सरमथुरा नई रेलवे लाइन की 70 किमी लाइन भी शामिल है। यह लाइन पहले चरण में धौलपुर को अभी सरमथुरा तक जोड़ेगी। इसके बाद द्वितीय फेस में करौली जिले को जोड़ते हुए पश्चिम मध्य रेलवे की गंगापुर सिटी लाइन से कलेक्ट होगी। जो कोटा मंडल का हिस्सा है। उधर, आगरा से कोटा-रतलाम और बडोदरा रुट पर भी कवच प्रणाली को लेकर काम चल रहा है।

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अब एक ट्रेक पर नहीं आएंगी दो ट्रेनें, कवच करेगा इंजन को जाम Now two trains will not come on one track, Kavach will jam the engine

- धौलपुर-सरमथुरा नई रेल लाइन भी कवच प्रणाली से होगी लैस

- आगरा रेल मंडल कवच प्रणाली के सफल परीक्षण

- उत्तर मध्य रेलवे में 790 किमी रूट को सुरक्षा कवच को हरी झंडी

धौलपुर. देश मे ट्रेनों में अब और सुरक्षित सफर होगा। रेलवे अब ट्रेक पर आमने सामने के ट्रेन हादसों को रोकने के लिए कवच प्रणाली से रेलवे लाइनों लैस कर रही है। इसमें उत्तर मध्य रेलवे ने करीब 309 करोड़ की लागत से 790 रूट किलोमीटर मार्गों पर ष्कवचष् प्रणाली को हरी झंडी दिखाई है। इस योजना में आगरा मंडल की धौलपुर-सरमथुरा नई रेलवे लाइन की 70 किमी लाइन भी शामिल है। यह लाइन पहले चरण में धौलपुर को अभी सरमथुरा तक जोड़ेगी। इसके बाद द्वितीय फेस में करौली जिले को जोड़ते हुए पश्चिम मध्य रेलवे की गंगापुर सिटी लाइन से कलेक्ट होगी। जो कोटा मंडल का हिस्सा है। उधर, आगरा से कोटा-रतलाम और बडोदरा रुट पर भी कवच प्रणाली को लेकर काम चल रहा है।

बताते कि भारतीय रेलवे अगले 6 वर्षों में देशभर के प्रमुख रेलमार्गों पर कवच 4.0 को लागू करने जा रही है। यह उत्तर मध्य रेलवे के प्रयागराज, झांसी और आगरा मंडलों के कुल 14 रेलखंडों को कवर करेगी। जो पूर्णतया कवच प्रणाली से कवर होंगे। जिससे यात्री बेझिझक और आनंद के साथ अपना सफर कर सकेंगे।

आमने-सामने की पोजिशन में सफल रहा परीक्षण

भारतीय रेलवे ने संरक्षा के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। उत्तर मध्य रेलवे के आगरा मंडल के मथुरा.पलवल खंड में कवच प्रणाली के साथ लोको ट्रायल्स सफलतापूर्वक पूरा किया है। इन परीक्षणों में पीछे की ओर से टक्कर और आमने-सामने की टक्कर के सिमुलेशन शामिल थे, जिन्हें कवच प्रणाली ने सफलतापूर्वक पूर्ण किया।

...326 मीटर पहले रुका इंजन

कवच प्रणाली के परीक्षण के लिए कवच युक्त लोको गाजियाबाद तथा एचबीएल कवच युक्त लोको तुगलकाबाद का उपयोग किया गया। रियर एंड कोलिजन (पिछली तरफ से टक्कर) के दौरान लोको.1 को होम सिग्नल के आगे खड़ा किया तथा लोको.2 को होम सिग्नल के पीछे ऑटो सिग्नल पर खड़ा किया गया था। फिर लोको-2 में सिग्नल ओवरराइड किया गया और लोको-1 की ओर बढ़ाया गया। कवच प्रणाली से युक्त होने के परिणामस्वरूप लोको.2 में ब्रेक लग गए और यह लोको-1 से लगभग 326 मीटर पीछे रुक गयाए जिससे रियर एंड टक्कर से बचाव हुआ। इसी तरह हेड-ऑन कोलीजन (आमने.सामने की टक्कर) परीक्षण के दौरान लोको-1 को होम सिग्नल के आगे खड़ा किया गया तथा फिर कैब बदली गई और लोको को विपरीत दिशा में चलाया गया और दो टैग पढऩे के बाद दिशा स्थापित की गई और लोको रुक गया। लोको-2 ने एडवांस स्टार्टर को पार करने के बाद ब्लॉक खंड में प्रवेश किया और लोको-1 की ओर बढ़ा। जिसके परिणामस्वरूप लोको-2 ट्रिप मोड में चला गया और ब्रेक लग गए तथा लोको-1 से 5 किमी से अधिक दूरी पर रुक गया, जिससे हेड-ऑन टक्कर को रोका गया।

रेलवे में नए युग की शुरुआत

इन परीक्षणों ने बताया कि कवच प्रणाली रेलवे सुरक्षा में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। इस प्रणाली के उपयोग से रेलवे यात्रियों की संरक्षा में सुधार होगा और दुर्घटनाओं को रोका जा सकेगा। यह प्रणाली रेलवे सुरक्षा में एक नए युग की शुरुआत करेगी और यात्रियों को सुरक्षित यात्रा का अनुभव प्रदान करेगी।

रेलवे में यात्रियों की सुरक्षा मुख्य प्राथमिकता है। रेलवे सफर को सुरक्षित करने पर लगातार कार्य कर रहा है। आगरा मंडल में कवच प्रणाली की शुरुआत होगी।

- प्रशस्ति श्रीवास्तव, पीआरओ, आगरा रेल मंडल