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सिलिकोसिस: सीएचसी स्तर पर होगी जांच, सीधे जारी होंगे के प्रमाण पत्र, मिलेगी राहत

- त्रिस्तरीय चिकित्सक के स्थान पर केवल दो चिकित्सक ही करेंगे जांच - धौलपुर समेत कई जिलों में फैला है इस लाइलाज बीमारी का जाल   धौलपुर. जानलेवा बीमारी सिलिकोसिस से पीड़ित मरीजों को अब जिला अस्पताल आने या त्रिस्तरीय चिकित्सकीय दल के सामने पेश होने से निजात मिल गई है। नई व्यवस्था के तहत अब सीएचसी स्तर पर ही मरीजों की जांच कर रेडियोलॉजिस्ट को भेजने के बाद प्रमाण पत्र ऑनलाइन जारी किए जा सकेंगे।

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Silicosis: Investigation will be done at CHC level, certificates will be issued directly, relief will be given

सिलिकोसिस: सीएचसी स्तर पर होगी जांच, सीधे जारी होंगे के प्रमाण पत्र, मिलेगी राहत

सिलिकोसिस: सीएचसी स्तर पर होगी जांच, सीधे जारी होंगे के प्रमाण पत्र, मिलेगी राहत


- त्रिस्तरीय चिकित्सक के स्थान पर केवल दो चिकित्सक ही करेंगे जांच

- धौलपुर समेत कई जिलों में फैला है इस लाइलाज बीमारी का जाल

धौलपुर. जानलेवा बीमारी सिलिकोसिस से पीड़ित मरीजों को अब जिला अस्पताल आने या त्रिस्तरीय चिकित्सकीय दल के सामने पेश होने से निजात मिल गई है। नई व्यवस्था के तहत अब सीएचसी स्तर पर ही मरीजों की जांच कर रेडियोलॉजिस्ट को भेजने के बाद प्रमाण पत्र ऑनलाइन जारी किए जा सकेंगे। सिलिकोसिस से पीडि़तों के प्रमाण पत्र जारी करने के लिए सीएचसी स्तर पर कार्यरत चिकित्साधिकारी मेडिसन या टीबी (रेस्पीरेटरी मेडिसन) मरीजों की जांच कर प्रमाण पत्र जारी करने की सिफारिश करते हैं। साथ ही प्रमाण पत्र सत्यापन के लिए भी श्रमिकों को चक्कर लगाने की जरूरत नहीं है।

सिलिकोसिस प्रमाण पत्र की नई व्यवस्था के तहत सिलिकोसिस होने की आशंका पर श्रमिक ई-मित्र के माध्यम से आधार आधारित बायोमैट्रिक सत्यापन करवाकर आवेदन कर सकते हैं। मरीज के नजदीकी ऐसी सीएचसी जहां चिकित्साधिकारी मेडिसन या टीबी (रेस्पीरेटरी मेडिसन) होते हैं। वहां जांच के लिए एसएमएस से जानकारी दी जाएगी। मरीज के तय दिन उनके पास पहुंचने पर सिलिकोसिस के लक्षण मिलने पर मरीज का डिजिटल एक्सरे रेडियोलॉजिस्ट को ऑनलाइन भेजते हैं। रेडियोलॉजिस्ट की सलाह पर सक्षम प्राधिकृत चिकित्साधिकारी की ओर से सात दिन में प्रमाण पत्र जारी किया जाता है।

ऑफलाइन भी कर सकते हैं आवेदन

जो मरीज ऑनलाइन आवेदन नहीं कर पाते है या ऑनलाइन आवेदन के बाद सीएचसी पर चिकित्सक नहीं हो तो अन्य किसी चिकित्सा संस्थान में मरीज जा सकता है। वहां चिकित्सक खुद परीक्षण के बाद एक्सरे जांच करवाकर रेडियोलॉजिस्ट की सलाह पर प्रमाण पत्र जारी करेंगे। यह राय चिकित्सक को ऑनलाइन ही लेनी होगी।

भुगतान डीबीटी के माध्यम से सीधे खाते में

नए सिलिकोसिस पोर्टल माध्यम से सिलिकोसिस रोग का प्रमाण पत्र प्राप्त होते ही स्वत: स्वीकृति के माध्यम से पीड़ितों एवं उनके परिवारों को सहायता राशि मिलती है। यह राशि सीधे उनके बैंक खाते में डीबीटी के माध्यम से हस्तांतरित की जाती है।

वापस करवा सकते हैं पंजीयन

सीएचसी में प्रारंभिक स्तर पर आवेदन निरस्त होने पर छह माह बाद वापस पंजीयन करवाया जा सकता है। जिला स्तरीय मेडिकल बोर्ड की ओर से निरस्त आवेदन का वापस पंजीयन एक साल बाद करवाया जा सकता है।

बोर्ड को कर सकते हैं अपील

सिलिकोसिस संभावित मरीज का आवेदन सीएचसी स्तर पर निरस्त होने पर मरीज जिला स्तर पर चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की ओर से गठित अपीलीय बोर्ड के समक्ष अपील कर सकता है। अपील व निस्तारण के लिए भी सिलिकोसिस पोर्टल का उपयोग किया जाता है। अपील तीस दिन में करनी होती है।

यह है सिलिकोसिस

सिलिकोसिस बीमारी क्षय रोग की तरह ही है। जहां पत्थर की कटाई और खनन का कार्य किया जाता उस क्षेत्र में ज्यादा मरीज पाए जाते हैं। इस बीमारी का का इलाज सिर्फ ‘धूलकण से बचाव’ ही इसका उपाय है। सिलिकोसिस उनको अधिक होने की आशंका रहती है जो व्यक्ति पत्थर का काम करता है। उसकी सांसों में सिलिका युक्त धूल लगातार जाती रहती है। इस धूल से फेफड़ों में होने वाली बीमारी को सिलिकोसिस कहा जाता है। इसमें मरीज के फेफड़े खराब हो जाते हैं और उसकी सांस फूलने लगती है। इसके चलते फेफड़ों के कार्य करने की क्षमता कमजोर हो जाती है। इस बीमारी का कोई सटीक इलाज मौजूद नहीं है।

बॉक्स.. फोटो... पीडि़तों की मदद में जुटे इनकम टैक्स इंस्पेक्टर

प्रदेश में सिलिकोसिस पीडि़तों की व्यथा को देखकर आगे आए इनकम टैक्स इंस्पेक्टर मनीराम मीना लम्बे समय से मरीजों की मदद करने में जुटे हुए हैं। ‘सोच बदलो - गांव बदलो’ टीम के समन्वयक तथा डिजिटल मैन के नाम से पहचान रखने वाले मनीराम के अथक प्रयास से मरीजों को भी राहत मिल रही है। उनके प्रयास से ही राज्य सरकार ने सिलिकोसिस पीडि़तों के लिए सरल, सुगम और पारदर्शी बनाकर नई गाइडलाइन जारी की है। मीणा ने बताया कि सीएचसी स्तर पर जांच सुविधा शुरू होने से सर्टिफिकेट बनवाने और वेरिफिकेशन के नाम पर बार-बार दफ्तरों में अब चक्क लगाने से श्रमिकों को निजात मिलेगी। सर्वप्रथम मीणा ने करौली जिले में सिलिकोसिस पीडि़तों की मदद शुरू की थी और अब धौलपुर समेत कई जिलों में जुटे हुए हैं।

त्रिस्तरीय बोर्ड के समक्ष आने की जरूरत नहीं

सिलिकोसिस के मरीजों को पहले त्रिस्तरीय मेडिकल बोर्ड के समक्ष आना होता था। अब सीएचसी स्तर पर चिकित्साधिकारी के जांच कर रेडियोलॉजिस्ट को भेजने के बाद प्रमाण पत्र ऑनलाइन जारी किए जाते है। नई व्यवस्था से मरीजों को राहत मिलेगी।

डॉ. जयंतीलाल मीणा, सीएमएचओ, धौलपुर