
धौलपुर. प्रसिद्ध फिल्म एनएच10 का एक मशहूर डायलॉग है कि ‘इस हाइवे से उतरते ही एक अलग दुनिया है, जहां कानून का नहीं जंगल का राज चलता है।’ यह संवाद धौलपुर से होकर गुजरने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या तीन के संबंध में भी यह संवाद सटीक बैठता है। चंबल पुल को पार करते ही मध्यप्रदेश सीमा में ‘जंगल का राज’ साफ दिखाई भी देता है। यहां राजघाट पर प्रतिबंधित चंबल घडिय़ाल क्षेत्र में चंबल का सीना चीर रेता का अवैध उत्खनन जारी है। यहां एक या दो नहीं बल्कि हजारों की संख्या में ट्रेक्टर-ट्रॉली रेता भरकर ले जाया जा रहा है। यहां तक कि बजरी माफिया ने जेसीबी और हाइड्रा जैसी आधुनिक मशीनें भी रेता उत्खनन में लगी रखी हैं। बता दें कि चंबल नदी विलुप्तप्राय घडिय़ालों का भारत में सबसे बड़ा बसेरा है। यह संरक्षित क्षेत्र में शुमार है, इसलिए रेत उत्खनन वर्जित है। इसके बावजूद सालाना करोड़ों रुपए की रेत निकालकर वर्षों से चंबल की छाती छलनी की जा रही है। लाख सरकारी दावों के बाद भी कभी कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। सरकार भी बदलीं, लेकिन रेत की लूट जारी है। हाथ पर हाथ धरे बैठी दोनों राज्यों की पुलिसअवैध रेत के भरे ट्रेक्टर-ट्रॉली राजघाट से चंद कदम दूर मध्यप्रदेश की अल्लाबेली पुलिस चौकी और धौलपुर में सागरपाड़ा पुलिस चौकी के सामने से धड़ल्ले से गुजर रहे हैं। पुलिस की जिम्मेदारी है कि इन्हें रोक कर जब्त करे, लेकिन पुलिस जोखिम उठाने को तैयार नहीं हैं। उसके बाद यह ट्रेक्टर मुरैना व अन्य जिलों के लिए नेशनल हाईवे से होकर निकल जाते हैं। चंबल के राजघाट पुल से खनन होने वाले लगभग 70 प्रतिशत रेत की सप्लाई राजस्थान के धौलपुर में होती है।

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