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कचरे का नहीं समाधान, डंपिंग यार्ड से स्थानीय लोग परेशान

सागरपाड़ा स्थित डंपिंग यार्ड स्थानीय लोगों के लिए समस्या का कारण बना हुआ है। यहां सालों से शहर से प्रतिदिन 70 से 72 टन कचरा पहुंचाया जाता है। कचरे का निस्तारण नहीं होने से यार्ड में आवारा मवेशी विचरण करते हैं जो कचरा और पॉलीथिन खाकर काल के गाल में समा रहे हैं।

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कचरे का नहीं समाधान, डंपिंग यार्ड से स्थानीय लोग परेशान There is no solution to garbage, local people are troubled by dumping yard

-दुर्गंग और प्रदूषण भरे वातावरण में रहने को मजबूर स्थानीय लोग

-निराश्रित गोवंश कचरा और पॉलीथिन खाकर बन रही काल का शिकार

-परिषद की आर्थिक स्थिति बन रही कचरा निस्तारण इकाई की राह में रोड़ा

धौलपुर. सागरपाड़ा स्थित डंपिंग यार्ड स्थानीय लोगों के लिए समस्या का कारण बना हुआ है। यहां सालों से शहर से प्रतिदिन 70 से 72 टन कचरा पहुंचाया जाता है। कचरे का निस्तारण नहीं होने से यार्ड में आवारा मवेशी विचरण करते हैं जो कचरा और पॉलीथिन खाकर काल के गाल में समा रहे हैं। वहीं वातावरण में फैलता प्रदूषण स्थानीय लोगों का हाल बेहाल किए हुए है। तो वहीं परिषद की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने के कारण कचरा निस्तारण इकाई का कार्य भी प्रारंभ नहीं हो सका।

शहर का विस्तार होने के साथ सुविधाएं मूर्त रूप नहीं ले पा रहीं। नगर परिषद क्षेत्र में 60 वार्ड हैं और इनमें से प्रतिदिन करीब 70 से 72 टन कचरा एकत्र करके डंपिंग यार्ड में पहुंचाया जाता है। कचरा लगातार तो पहुंच रहा है लेकिन उसका निस्तारण नहीं हो पा रहा है। हाल यह है कि डंपिंग यार्ड कचरे के पहाड़ खड़े हो गए हैं। यार्ड में दिनभर आवारा पशु विचरण करते रहते हैं जो कचरा और पॉलीथिन का भछण कर काल का ग्रास बन रहे हैं। तो वहीं स्थानीय निवासी भी बढ़ते प्रदूषण से परेशान हैं। स्थानीय वासियों का कहना है कि यार्ड में फैली गंदगी के कारण चहुंओर दुर्गंध फैली रहती है। यहां कचरा डंप करने वाले कचरा में आग भी लगा देते हैं जिससे उठने वाला धुआं प्रदूषण फैलाता है। नगर परिषद का जो ठोस अपशिष्ट प्रबंधन प्लांट था, वह काफी समय से बंद पड़ा है। जिससे कचरे को अलग करने की प्रक्रिया नहीं हो पा रही है। अब कचरे का ढेर स्थानीय लोगों के लिए संकट खड़ा कर रहा है। लोगों का आरोप है कि यहां दुर्गंध उठने से समस्या आ रही है।

शिकायत के बाद भी समस्या जस की तस

स्थानीय लोगों ने बताया कि डंपिंग यार्ड में नगर परिषद के कर्मचारी कचरे को यूं ही फेंक देते हैं जिसमें पशुओं के शव भी शामिल होते हैं। सालों से यहां कचरा यूं ही फेंका जा रहा। अब तो दुर्गंध से आसपास का वातावरण दूषित होने लगा है। शिकायत के बाद भी नगर परिषद कोई समाधान नहीं निकाल सकी। बल्कि अब तो समस्या और बढ़ती जा रही है। कई बार तो लोग कचरे में आग लगा देते हैं जिससे उठने वाला धुंआ सागरपाड़ा क्षेत्र के प्रदूषण को और खराब कर देता हैं। पशुओं के मृत शरीर को खाने के लिए कुत्तों का झुण्ड क्षेत्र में घूमता रहता है। तो वहीं गौवंश भी कचरा और पॉलीथिन खाकर बेमौत मारी जा रही हैं।

कचरे में लगा दी जाती है आग, उठता है धुआं

जिले के प्रशासनिक अधिकारी पर्यावरण को सुरक्षित रखने के लिए सभी अधिकारियों को निर्देश देते रहते है। लेकिन नगर परिषद की ओर से इसमें लापरवाही बरती जा रही है। डंपिंग यार्ड में प्रतिदिन किसी कर्मचारी की ओर आग लगा दी जाती है। जिससे प्रदूषण उठता रहता है। हाइवे से गुजरने वाले वाहन चालकों को भी काफी समस्या होती है। लेकिन उसके बाद भी कोई अधिकारी अंजान बने हुए है। स्थानीय लोग जिला कलक्टर तक से कार्रवाई और डंपिंग यार्ड में कचरा निस्तारण की मांग कर चुके हैं, लेकिन अभी तक समस्या जस की तस बनी हुई है।

परिषद की माली हालत से अटका प्रोजेक्ट

डंपिंग यार्ड में कचरा निस्तारण इकाई बनाने के लिए पिछले वर्ष नवंबर माह ही टेंडर जारी कर दिए गए थे। जिसके बाद वर्क आर्डर भी जारी हो चुके हैं, लेकिन इकाई बनने की मार्ग में नगर परिषद आर्थिक स्थित रोड़ा बने हुए हैं। क्योंकि इकाई बनाने के लिए यार्ड की जमीन को समतल किया जाना है, जिसका खर्चा ही 1 करोड़ 25 लाख आ रहा है। अभी परिषद की माली हालत को देखते हुए यह प्रोजेक्ट भी लटका हुआ है। हालांकि डंपिंग यार्ड में दो होल सहित मशीन लगाने का कक्ष बन चुका है।

डंपिंग यार्ड में कचरा निस्तारण इकाई बनाने को लेकर नगर परिषद प्रतिबद्ध है, लेकिन अभी आर्थिक कारणों से कार्य में बाधा आ रही है। जल्द ही कार्य प्रारंभ किया जाएगा।

- अशोक शर्मा, नगर आयुक्त नगर परिषद