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बेलगाम बजरी माफिया: वन विभाग तो गिनती में ही नहीं! पुलिस का भी नहीं भय

- चंबल से भरतपुर और आगरा तक बजरी का परिवहन - उत्खनन से लेकर मंडी तक पुलिस ही पुलिस, फिर भी नहीं कोई रोक-टोक - बेधडक़ शहर से गुजरते हैं सैकड़ों ट्रेक्टर, कार्रवाई कभी-कभार - एक-दो ट्रेक्टर होते हैं जब्त, बाकी आराम से निकलते

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Unbridled gravel mafia: Forest department is not even in the count! no fear of police

बेलगाम बजरी माफिया: वन विभाग तो गिनती में ही नहीं! पुलिस का भी नहीं भय

बेलगाम बजरी माफिया: वन विभाग तो गिनती में ही नहीं! पुलिस का भी नहीं भय

- चंबल से भरतपुर और आगरा तक बजरी का परिवहन

- उत्खनन से लेकर मंडी तक पुलिस ही पुलिस, फिर भी नहीं कोई रोक-टोक

- बेधडक़ शहर से गुजरते हैं सैकड़ों ट्रेक्टर, कार्रवाई कभी-कभार

- एक-दो ट्रेक्टर होते हैं जब्त, बाकी आराम से निकलते

धौलपुर. चंबल की छाती चीर बजरी निकाल रहे बजरी माफिया वन विभाग और पुलिस को लगातार धता बता रहे हैं। हालात यह हैं कि वन विभाग को तो बजरी माफिया किसी गिनती में ही नहीं रखता है। वहीं, पुलिस भी थोड़ी-बहुत कार्रवाई कर इतिश्री कर लेती है। पुलिस की इस अनदेखी से बजरी माफिया का दुस्साहस इस कदर बढ़ गया है कि वे पुलिस या ग्रामीणों पर फायरिंग तक करने से नहीं चूकते हैं। आए दिन बजरी माफिया द्वारा फायरिंग के समाचार आते हैं। समीपवर्ती भरतपुर जिले में तो ऐसा महीने में एक-दो बार हो ही जाता है। हालात यह हैं कि राजघाट से उत्खनन हो आगरा या भरतपुर पहुंचने तक करीब एक दर्जन स्थानों पर पुलिस मिलती है लेकिन, रोजाना सैकड़ों की संख्या में निकलने वाली इन ट्रेक्टर-ट्रॉलियों या ट्रकों पर यदाकदा ही कार्रवाई होती है।धौलपुर के घाट भी नहीं अछूतेजिले में समोना घाट, टिडवाली घाट, दगरा-वरसला, गढ़ी जाफर, दुर्गसी घाट, शंकरपुर घाट, जैतपुर, भूड़ा, शंकरपुरा घाट, मौरोली घाट, रेलवे पुल घाट, तिघरा घाट, भमरोली घाट, सेवर घाट, झीरी, हल्लुपुरा घाट, पाली घाट आदि प्रमुख घाटों से बजरी का खनन होता है। जिले में इन प्रमुख घाटों में धौलपुर का मौरोली घाट, राजाखेड़ा का जैतपुर, भूड़ा व शंकरपुरा एवं सरमथुरा का झीरी हल्लुपुरा घाट, बाड़ी का पाली घाट शामिल हैं। यहां बड़ी मात्रा में चंबल की बजरी का खनन होता है।रात-दिन निकलते हैं ट्रेक्टरजिले में करीब 100 किमी क्षेत्र में बह रही चंबल नदी के करीब दो दर्जन से अधिक घाटों में रोजाना 500 से 700 ट्रैक्टर-ट्रॉलियों में अवैध बजरी परिवहन होता है। यह परिवहन देर रात से शुरू हो जाता है और सुबह तक चलता है। इन बजरी वाहनों को पड़ोसी प्रदेश के आगरा, मथुरा के अलावा पड़ोसी जिले भरतपुर व करौली जिलों में पहुंचाया जाता है।मध्यप्रदेश में तो सुव्यवस्थित तरीके से अपराध मध्यप्रदेश में राजघाट पर सरेआम बजरी का दोहन किया जा रहा है। यहां हजारों की संख्या में ट्रेक्टर-ट्रॉलियां दिनभर बजरी के खनन में लगी रहती हैं। यहां बजरी माफिया ने एकदम प्रोफेशनल तरीके से जेसीबी और हाइड्रा तक लगा रखी हैं। इनसे फटाफट ट्रॉलियां भरी जाती हैं और फिर दिनभर हाइवे पर ये ट्रॉलियां दनदनाती दौड़ती हैं।घडिय़ालों पर संकटचंबल नदी में हो रहे अवैध बजरी खनन से चंबल घडिय़ाल संरक्षित क्षेत्र में जलीय जीवों का सुकून छिन गया है। हाल यह है कि राजघाट में घडिय़ालों के नेस्टिंग पॉइंट पर ही बजरी का खनन किया जा रहा हैं। जलीय जीव यहां बजरी में अंडे देते हैं, लेकिन इंसानी आवाजाही और रेता उत्खनन से उनके वजूद पर ही संकट खड़ा हो गया है। अवैध हथियारों से रहते हैं लैस बजरी माफिया का नेटवर्क काफी सशक्त है। वे इस कारोबार में हर हथकंडा अपनाते हैं। यहां तक कि हिंसा का रास्ता भी अपनाते हैं। इसके लिए ये 10-12 ट्रॉली के ग्रुप में अवैध हथियार लेकर चलते हैं। एक ट्रेक्टर-ट्रॉली पर तीन से 4 लोग होते हैं। जबकि रास्ते में रेकी करने वाले भी होते हैं। जैसे ही कोई खतरा महसूस करते हैं तो पुलिस तक पर फायरिंग कर देते हैं। ज्यादा सख्ती होने पर ये लोग सडक़ पर बजरी फैलाकर भाग जाते हैं।