काॅफी में कैफीन हाेने के कारण इसका सेवन स्तनपान कराने वाली महिलाआें के लिए अच्छा नहीं होता। विशेषज्ञों के अनुसार कैफीन की कुछ मात्रा भी स्तनों में दूध को कम कर सकती है। बड़ों की तरह नवजात कैफीन की मात्रा को नहीं पचा पाता है। कैफीन की उच्च मात्रा स्तन के दूध में लोहे के स्तर को कम कर सकती है और जिससे बच्चे में हीमोग्लोबिन का स्तर कम होने का खतरा हो सकता है। इसलिए जरूरी होने पर पूरे दिन में एक या अधिक से अधिक दो कप कॉफी पी सकते हैं। इससे ज्यादा का सेवन शिशु की सेहत के लिए अच्छा नहीं होगा। इसके अलावा चाय, सोडा, एनर्जी ड्रिंक्स और ओवर-द-काउंटर दवाओं का सेवन भी दूध की मा त्रा कम करता है।
चॉकलेट
चॉकलेट थियोब्रोमाइन नामक पदार्थ से भरपूर होता है, जिसका प्रभाव कैफीन के समान होता है। यदि एक माँ एक दिन में 750mg से अधिक कैफीन या थियोब्रोमाइन का सेवन करती है, तो बच्चा नींद की समस्या से पीड़ित होने के अलावा अनियमित और उधम मचाने वाला व्यवहार भी कर सकता है। ।
खट्टे फल विटामिन सी का एक स्रोत हैं, लेकिन उनके अम्लीय घटक शिशु का पेट खराब कर सकते हैं। स्तनपान कराने वाली महिलाओं को विटामिन सी की पूर्ति के नींबू, अंगूर या संतरे की जगह एक अन्य विटामिन सी युक्त खाद्य पदार्थों जैसे पपीता, अनानास, स्ट्रॉबेरी या पत्तेदार साग और आम का सेवन करना फायदेमंद हाेता है।
स्तनपान कराने वाली महिलाआें काे ब्रोकली,प्याज, फूलगोभी, पत्तागोभी और ककड़ी जैसी चीजाें का कम सेवन करना चाहिए। क्याें कि यह बच्चे में गैस की समस्या पैदा कर सकते हैं। मछली
स्तनपान के दाैरान मछली का सेवन शिशु की सेहत के लिए अच्छा नहीं हाेता, क्याेंकि मछली में उच्च मात्रा में पारा हाेता है। स्तनपान के दाैरान इसका सेवन दूध में पारे की मात्रा बढ़ाता है, जो बच्चे के न्यूरोलॉजिकल विकास को प्रभावित कर सकता है। यूनाइटेड स्टेट्स डिपार्टमेंट ऑफ़ एग्रीकल्चर के अनुसार, “यदि स्तनपान करने वाली महिला अधिक मात्रा में पारा युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन करती है, तो यह स्तन के दूध और फिर बच्चे में स्थानांतरित होने से बच्चे के विकास को नुकसान पहुंचा सकता है।
स्तनपान के दाैरान अल्कोहल का सेवन अच्छा नहीं है, क्योंकि दूध के माध्यम से यह शिशु में पहुंचता है जोकि उसके न्यूरोलॉजिकल विकास को प्रभावित कर सकता है। अध्ययनों से पता चला है कि सप्ताह में एक या दो बार एक-दो यूनिट आपके बच्चे को नुकसान नहीं पहुंचाते हैं। इनसे अधिक का स्तर मां के “लेट डाउन” रिफ्लेक्स (यानी निप्पल क्षेत्र को दूध छोड़ना) को रोक सकता है।
यदि आपके परिवार में मूंगफली से होने वाली एलर्जी का इतिहास है, तो आपको भी मूंगफली खाने से बचना चाहिए क्योंकि यह आपके बच्चे में भी एलर्जी कर सकता है। मूंगफली में एलर्जी प्रोटीन आपके स्तन के दूध में और फिर बच्चे में जा सकता है। जिससे वह चकत्ते, घरघराहट या पित्ती से पीड़ित हो सकता है। कुछ मूंगफली खाने से भी एक से छह घंटे के बीच मां के दूध में एलर्जी हो सकती है। शोध बताते हैं कि कम उम्र में मूंगफली के संपर्क में आने वाले बच्चों के लिए आजीवन मूंगफली एलर्जी विकसित होने की संभावना बढ़ जाती है।
अजमोद और पुदीना दो जड़ी बूटियां हैं, जाे ज्यादा मात्रा में लिए जाने पर स्तन के दूध को कम कर सकते हैं। जब भी आप इन जड़ी-बूटियों को खाते हैं, तो अपने दूध की आपूर्ति की निगरानी करें, खासकर जब आपका बच्चा विकास की गति में है – वह चरण जब उसे सामान्य से अधिक दूध की आवश्यकता होती है। वास्तव में, माताएं अक्सर पुदीने की चाय पीती हैं, जोकि दूध उत्पादन को रोकती है।
यदि आपको डेयरी प्रोडक्टस से एलर्जी की समस्या रहती है तो इनसे दूर बनाए रखें।जब माँ डेयरी उत्पाद खाती है या दूध पीती है, तो एलर्जी स्तन के दूध में प्रवेश कर सकती है और बच्चे को परेशान कर सकती है। यदि आप डेयरी उत्पादों का सेवन करने के बाद अपने बच्चे में उल्टी और दस्त जैसे लक्षणों का निरीक्षण करती हैं, तो इसका मतलब है कि आपको कुछ समय के लिए उन्हें खाना बंद करने की आवश्यकता है।
स्तनपान कराने वाली महिलाओं को मिर्च मसाले, लहसुन, प्याज आदि का कम सेवन करना चाहिए। क्योंकि इससे बच्चे को दस्त व अपच की शिकायत हो सकती है। कॉर्न व अंडे
कॉर्न से कई बच्चों को एलर्जी की शिकायत होती है। इससे शिशु का बेचैनी और चकत्ते पैदा हो सकते हैं। यदि आप मानते हैं कि आपके बच्चे को मकई से एलर्जी है, तो इसे अपने आहार से हटा दें। यदि आपके परिवार में अंडे से एलर्जी का इतिहास रहा है ताे आप भी अंडे का सेवन न करें क्याेंकि यह आपके शिशु काे भी एलर्जी का शिकार बना सकता है। अंडे की एलर्जी, ज्यादातर अंडे की सफेदी के प्रति संवेदनशीलता के रूप में, बहुत आम है।