मुंहासे, हिचकी, दर्द, खून की कमी के लिए बहुत लाभकारी है गिलोय, जानें इसके फायदे
कान में दर्द है तो भी गिलोय की पत्तियों का रस निकाल लें। इसे हल्का गुनगुना कर लें। इसकी एक-दो बूंद कान में डालें। इससे कान का दर्द ठीक हो जाएगा।

गिलोय का इस्तेमाल कई तरह की बीमारियों में किया जाता है। गिलोय की पत्तियों में कैल्शियम, प्रोटीन, फॉस्फोरस पर्याप्त मात्रा में होता है। इसके अलावा इसके तनों में स्टार्च की भी अच्छी मात्रा होती है। गिलोय एक ऐसी औषधि है, जिसे अमृत तुल्य वनस्पति माना जाता है। गिलोय को आयुर्वेदिक द्रष्टिकोण से रोगों को दूर करने में सबसे उत्तम औषधि के रूप में गिना जाता है। यह मनुष्य को किसी भी प्रकार के रोगों से लड़ने कि ताकत प्रदान करता है। गिलोय की पत्तियों और तनों से सत्व निकालकर इस्तेमाल में लाया जाता है।
कान में दर्द है तो भी गिलोय की पत्तियों का रस निकाल लें। इसे हल्का गुनगुना कर लें। इसकी एक-दो बूंद कान में डालें। इससे कान का दर्द ठीक हो जाएगा।
गिलोय बेहद कारगर औषधि है। इससे बुखार, टायफाइड, कब्ज, हिचकी व रक्त संक्रमण जैसी बीमारियां दूर होती हैं।
बुखार : गिलोय की छाल को पानी में उबाल कर काढ़ा बनाएं, ठंडा होने पर दिन में दो बार पीएं।
कब्ज : गिलोय के पत्तों को सुखाकर चूर्ण बना लें, इसे गुड़ के साथ खाने से कब्ज नहीं रहती।
तलवों की जलन : पिसे हुए गिलोय को दही में मिलाकर तलवों पर लगाएं।
हिचकी : गिलोय चूर्ण को सोंठ के साथ लें, हिचकी बंद होगी।
मुंहासे : मुंहासों या झाइयों पर पीसकर लगाने से लाभ होगा।
खून में कमी : गिलोय चूर्ण का सेवन गुड़ या शहद के साथ करने पर खून बढ़ता है।
पीलिया : गिलोय चूर्ण को शहद के साथ लेने से पीलिया में आराम मिलता है।
पेट से जुड़ी कई बीमारियों में गिलोय का इस्तेमाल करना फायदेमंद होता है। इससे कब्ज और गैस की प्रॉब्लम नहीं होती है और पाचन क्रिया भी दुरुस्त रहती है।
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