प्रमुख कारण
हार्मोंस की गड़बड़ी, पोषक तत्त्वों व विटामिन-डी की कमी, सिलियक डिजीज, किडनी-लिवर से जुड़ी दिक्कत, कैंसर व विशेष दवाओं के प्रयोग से आंतों की लाइनिंग विटामिन-डी को सही से अवशोषित नहीं होने देती। अप्रत्यक्ष रूप से यह हड्डियों को कमजोर करता है।
हार्मोंस की गड़बड़ी, पोषक तत्त्वों व विटामिन-डी की कमी, सिलियक डिजीज, किडनी-लिवर से जुड़ी दिक्कत, कैंसर व विशेष दवाओं के प्रयोग से आंतों की लाइनिंग विटामिन-डी को सही से अवशोषित नहीं होने देती। अप्रत्यक्ष रूप से यह हड्डियों को कमजोर करता है।
बढ़ती दिक्कत
आमतौर पर 30 की उम्र के बाद हड्डियों के कमजोर होने की प्रक्रिया शुरू होती है। विटामिन-डी की कमी हड्डियों को कमजोर करने के साथ भोजन पचाने में दिक्कत का कारण बनती है। लंबे समय तक ऐसी स्थिति बनी रहने पर हड्डियों का घनत्व घटने लगता है, इसे ऑस्टियोपीनिया कहते हैं।
आमतौर पर 30 की उम्र के बाद हड्डियों के कमजोर होने की प्रक्रिया शुरू होती है। विटामिन-डी की कमी हड्डियों को कमजोर करने के साथ भोजन पचाने में दिक्कत का कारण बनती है। लंबे समय तक ऐसी स्थिति बनी रहने पर हड्डियों का घनत्व घटने लगता है, इसे ऑस्टियोपीनिया कहते हैं।
लक्षण क्या
अधिक उम्र में विटामिन-डी तेजी से घटता है जिस कारण हड्डी के बार-बार फ्रेक्चर होने, चलने-फिरने में दिक्कत, हड्डियों में दर्द खासकर कूल्हे में दर्द जैसी दिक्कत होती है। यह दर्द धीरे-धीरे कमर के निचले हिस्से, पैरों और रीढ़ की हड्डी तक फैल जाता है।
अधिक उम्र में विटामिन-डी तेजी से घटता है जिस कारण हड्डी के बार-बार फ्रेक्चर होने, चलने-फिरने में दिक्कत, हड्डियों में दर्द खासकर कूल्हे में दर्द जैसी दिक्कत होती है। यह दर्द धीरे-धीरे कमर के निचले हिस्से, पैरों और रीढ़ की हड्डी तक फैल जाता है।
ये है इलाज
यदि पहले से किसी बीमारी से पीड़ित हैं तो उसके इलाज के बाद विटामिन-डी के साथ कैल्शियम व फॉस्फेट युक्त चीजें (दूध, पालक, दही, अंडा, अखरोट, दालें, ओट्स) लें।
यदि पहले से किसी बीमारी से पीड़ित हैं तो उसके इलाज के बाद विटामिन-डी के साथ कैल्शियम व फॉस्फेट युक्त चीजें (दूध, पालक, दही, अंडा, अखरोट, दालें, ओट्स) लें।