
आयुर्वेद की चरक संहिता के मुताबिक हर व्यक्ति को अपने एक समय के आहार में इन छह रसों से भरपूर भोजन करना चाहिए।
आयुर्वेद की चरक संहिता के मुताबिक हर व्यक्ति को अपने एक समय के आहार में इन छह रसों से भरपूर भोजन करना चाहिए। स्वस्थ रहने के लिए संतुलित खानपान का होना जरूरी है। आयुर्वेद के अनुसार हमारे आहार में यदि इन छह रसों को सीमित मात्रा में शामिल किया जाए तो इससे अवसाद और जोड़ों में दर्द जैसी समस्याएं दूर होती हैं। साथ ही रोग प्रतिरोधक क्षमता में इजाफा होता है।
हमारे शरीर में हर अंग एक दूसरे से जुड़ा हुआ है। इन अंगों की कार्यप्रणाली सक्रिय रहने से हमारा मस्तिष्क स्वस्थ रहता है और शरीर को सभी क्रियाओं के लिए संकेत देता है। जब यह पूरी प्रक्रिया गड़बड़ा जाती है तो हम रोगों से ग्रसित हो जाते हैं। आयुर्वेद के अनुसार छह रसों से युक्त भोजन हमें बीमारियों से दूर रखकर सेहतमंद बनाता है।
मीठा (मधुर)
ऐसा खाना जो कार्बोहाइड्रेट, वसा और प्रोटीन से युक्त हो मधुर रस की श्रेणी में आता है। इस रस को सामान्य मात्रा में प्रयोग करने से शरीर में ऊर्जा बनती है और पाचन क्रिया, त्वचा, पेट व बाल संबंधी रोग दूर होते हैं। यह रस शरीर का तापमान सामान्य बनाए रखता है।
स्रोत : फल, दूध, घी, चावल, खीरा, गाजर, चुकंदर, खजूर, नारियल और गेहूं से बने पदार्थ खाएं। ये प्राकृतिक रूप से मीठे होते हैं।
ज्यादा से नुकसान : इस रस को अधिक मात्रा में लेने से डायबिटीज, मोटापा, गले की तकलीफ और शरीर में विषैले पदार्थों का निर्माण जैसी समस्या होने लगती हैं।
खट्टा (अम्ल)
यह रस भूख को बढ़ाता है, पाचन प्रक्रिया सुधारता है और सांस संबंधी रोग दूर करता है। इससे शरीर से विषैले पदार्थ निकल जाते हैं।
स्रोत : आंवला, सिरका, इमली, टमाटर, फर्मेंटेड फूड(ब्रेड, पाओ), नींबू, दही, बेर, कांजी और अचार।
ज्यादा से नुकसान : अपच, एसिडिटी, सीने में जलन और अल्सर जैसे रोग हो सकते हैं।
नमकीन (लवण)
सीमित मात्रा में इसे खाने से यह शरीर में पानी की पूर्ति करता है और ऊर्जा का स्तर बनाए रखता है। इससे भूख बढ़ती है व पाचनतंत्र में सुधरता है।
स्रोत : सभी प्रकार के नमक, अचार, प्रोसेस्ड फूड, सोया सॉस और सब्जियों में प्राकृतिक रूप से मौजूद नमक।
ज्यादा से नुकसान : उच्च रक्तचाप, सूजन, बाल सफेद होना, अल्सर, त्वचा संबंधी रोग और एसिडिटी हो सकती है।
कड़वा (कटु)
यह खाने में हल्का व सूखा होता है जिससे पाचन व रक्तसंचार दुरुस्त रहता है। यह शरीर में वसा को बढऩे से रोकता है और साइनस पैसेज को खोलता है। इससे हमारे मेटाबॉलिज्म में सुधार होता है।
स्रोत : प्याज, लहसुन, मूली, अदरक।
ज्यादा से नुकसान : अपच, सूजन,एसिडिटी, सीने में जलन, बार-बार प्यास लगना, जी मिचलाना, दस्त व कमजोरी।
चरपरा (तिक्त )
रक्त के शुद्धिकरण के अलावा मोटापा, बुखार, फेफड़ों संबंधी रोग, त्वचा पर चकते और चक्कर आने जैसी समस्याओं में तिक्त रस काफी फायदेमंद होता है।
स्रोत : करेला, कॉफी, हल्दी, पालक।
ज्यादा से नुकसान : अनिद्रा, पेट में गड़बड़ी, कब्ज व जोड़ों का दर्द।
कसाय (कसैला)
यह सूजन को दूर कर, शुगर लेवल सामान्य रखता है।
स्रोत : फलियां, त्रिफला, दालें, आम।
ज्यादा से नुकसान : कब्ज, पाचन में गड़बड़ी व रक्तसंचार में अवरोध।
Published on:
08 Oct 2018 06:51 pm
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