पैरों में सूनापन, चक्कर आना, चिड़चिड़ापन, भूख कम लगना, शारीरिक कमजोरी, जल्दी थकना आदि जैसे लक्षण महसूस होने पर सीरम बी12 लेवल का टैस्ट करवाने में देरी ना करें। कमी होने पर : प्रोटीन की कमी होने पर विटामिन बी12 का अवशोषण नहीं हो पाता और शरीर में इस तत्त्व की कमी हो जाती है। आमतौर पर 40 से ज्यादा उम्र्र के लोगों में इस तत्त्व का अवशोषण क्षमता कम होने से कई रोग पनपने लगते हैं। व्यक्ति अकारण थकावट महसूस करने के अलावा हर दूसरे-तीसरे दिन सिरदर्द, आलस, हृदयगति बढऩे, हाथ-पैरों में झुुनझुनी व चक्कर आने जैसी शिकायत करता है। लंबे समय तक किसी रोग के लिए ली जा रही दवाओं से भी विटामिन-बी12 की अवशोषण क्षमता बाधित होने लगती है। विशेषज्ञों के अनुसार स्वस्थ व्यक्तिको रोजाना 2.4 माइक्रोग्राम विटामिन-बी12 की जरूरत होती है।
इसलिए जरूरी: विटामिन बी12 लाल रक्त कोशिकाओं और डीएनए निर्माण के लिए जरूरी है। दिमाग व तंंत्रिका तंत्र के सुचारू काम करने के अलावा इन्हें स्वस्थ रखकर वसा को ऊर्जा में बदलने और शरीर के सभी हिस्से की नसों को प्रोटीन देने में यह विटामिन मददगार है। जन्मजात विकृतियों और आनुवांशिक बीमारियों से बचाव के लिए गर्भावस्था के दौरान महिला के शरीर में इसकी कमी को दूर करना जरूरी है।
ऐसे दूर करें कमी : आमतौर पर यह विटामिन शरीर में नहीं बनता इसलिए इसकी मात्रा डाइट या सप्लीमेंट के जरिए पूरी की जाती है। अंकुरित दालें, दूध व इससे बना दही, पनीर व मक्खन, गाजर, मूली, शलजम, चुकंदर आदि विटामिन- बी12 के बेहतरीन स्त्रोत हैं। नारियल, बादाम और सोयाबीन से निकले दूध से भी इस तत्त्व की पूर्ति की जा सकती है। डॉक्टरी सलाह के बाद सप्लीमेंट लें।