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अस्तित्व खोता जा रहा बड़ा तालाब, लोगों ने की सौंदर्यीकरण की मांग

लोग पीते थे तालाब का पानी,गंदगी की वजह से कोई स्नान करना भी नहीं करता पसंद

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Big pond being lost in existence, people demanded beautification

Big pond being lost in existence, people demanded beautification

डिंडोरी/गोरखपुर. करंजिया विखं के अंतर्गत कस्बा गोरखपुर स्थित बड़ा तालाब धीरे-धीरे अपने अस्तित्व को खोता जा रहा हैं। यहां पर बनी सीढिय़ां जर्जर हो गई हैं। गंदगी की वजह से यहां पर आने वाले लोगों को भारी परेशानी होती है। धार्मिक कार्यक्रमों का केंद्र यह तालाब अपनी दुर्दशा के आंसू बहा रहा हैं। यह तालाब सौंदर्यीकरण और साफ. सफाई के अभाव में अपना अस्तित्व खोने लगा हैं। वर्तमान में तालाब की हालत तो यह हैं कि तालाब का पानी इतना दूषित हैं कि पानी को छूने का मन नहीं होता है। चारों तरफ शैवाल और गंदगी से पटा हुआ हैं। हालांकि कुछ वर्ष पूर्व पंचायत के द्वारा साफ सफाई और गहरीकरण का कार्य कराया गया था लेकिन वो भी किसी कारणवश पुरा नहीं हो पाया था बीच में ही गहरीकरण के काम को रोक दिया गया तब से लेकर आज तक इस तालाब के जीर्णोद्धार सौंदर्यीकरण के लिए प्रयास नहीं किया गया। जबकि कस्बा के एक मात्र उपयोग होने वाला तालाब हैं । कस्बा की बड़ी आबादी इस तालाब पर निर्भर हैं। इस दृष्टि से इसका उचित रखरखाव और देखभाल होना चाहिए । लेकिन इसे ऐसे ही छोड़ दिया गया हैं और स्थानीय लोग मजबूरीवश गंदे पानी से निस्तार करने बेबस हैं। इस गंदगीयुक्त तालाब के सौंदर्यीकरण की मांग कस्बा के नागरिकों ने की है।
तालाब में मिलता है गंदा पानी
गोरखपुर के इस बड़े तालाब के चारों ओर से कस्बा के नालियों का गंदा पानी प्रवेश कर रहा हैं। यह पानी लोगों के उपयोग का भी नहीं है। गंदगी का पर्याय बन चुका यह तालाब आसपास रहने वाले लोगों के लिए भी परेशानी का कारण बना हुआ है। प्रशासन की अनदेखी के चलते अब यह अवशेष का रूप लेता जा रहा हैं। तालाब के आसपास गंदगी का अंबार लगा हुआ हैं।
सौ वर्ष पहले हुआ था निर्माण
तालाब का निर्माण सौ वर्ष से अधिक समय पहले स्थानीय नागरिकों द्वारा कराया गया था। मंदिर में दर्शन करने आने वाले श्रद्धालु तालाब में स्नान करते थे। लबालब पानी से भरा यह तालाब कस्बा के गौरवशाली व्यापारिक व्यवस्था का प्रतीक माना जाता था। वर्तमान में यह अतिक्रमण के कारण गन्दा गढ्डा बनकर रह गया हैं। चारों तरफ से तालाब में घरों का कचरा फेंकने से पानी बदबूदार हो गया हैं। पानी खराब होने से अब लोग तालाब में स्नान करना तो दूर इसके निकट जाने से भी कतराने लगे हैं।
क्या है तालाब की खासियत
इस तालाब की खास बात यह हैं कि वर्षो पहले लोग इस तालाब के पानी को पीने के रूप में उपयोग करते थे। ये उन दिनों की बात हैं जब हैंडपंप अस्तित्व में नहीं आया था। इसी बात से अंदाजा लगा सकतें हैं कि उस दौर में इस तालाब का पानी कितना साफ और पवित्र माना जाता था आज उसी तालाब के पानी में लोग स्नान करना तो दूर उस पानी को देखना पसंद नहीं करते। हालांकि गर्मी हो या सर्दी इस तालाब का पानी कभी नही सूखा। धार्मिक भावना व जीवों में दयाभाव रखने वाले महिला पुरुष तालाब तक आकर मछलियों को आटा वगैरह खिलाते रहतें हैं जबकि इस तालाब में लोग धार्मिक कार्यक्रम भी किया करतें थे लेकिन गंदगी के कारण अब यहां कोई नहीं आता जाता हैं । राजेश सोनवानी बताते हैं कि यह तालाब वर्षों पुराना है जो कि अपना अस्तित्व खोता जा रहा हैं। इसके किनारे बनी सीढिय़ां व पक्की बाउंड्री जीर्ण शीर्ण अवस्था में पहुंच गई हैं। धार्मिक आस्थाओं का केंद्र इस तालाब को भव्य रूप प्रदान किया जाना चाहिए। कस्बा व क्षेत्र के लोग शाम को घूमने के लिए पहुंचते हैं।
अतिक्रमण की चपेट में
कस्बावासियों की मानें तो अतिक्रमणकारियों ने तालाब के तट को चारों ओर से घेर लिया हैं। तालाब के किनारों पर अतिक्रमणकारियों ने अपना कब्जा जमाने के बाद अब तालाब को पाटकर इस पर कब्जा जमा लिया हैं इस कारण तालाब का दायरा दिन ब दिन घटता जा रहा हैं जबकि यह बड़ा तालाब हैं। तालाब के तटों पर अतिक्रमण होने के कारण प्राकृतिक रूप से तालाब में जाने वाले बारिश के पानी का मार्ग बंद हो गया है। अब तालाब में सिर्फ घरों से निकलने वाला गंदा पानी ही मिल रहा हैं। अतिक्रमण करने वालों ं के खिलाफ अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई हैं। जिससे इनके हौसले बुलंद हैंं। तालाब तट में निर्माण पर पाबंदी के बाद भी पक्केे निर्माण किए जा रहे हैं। कस्बा के लोगों ने मांग की हैं कि सबसे पहले तालाब की जमीन की नाप राजस्व विभाग के अधिकारी से कराकर वास्तविक जमीन को निकाला जाएं कि कहां से कहां तक तालाब की जमीन हैं साथ ही अतिक्रमणकारियों से मुक्त कराया जाएं ।