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पानी के लिए एक बार फिर ग्रामीणों ने खाली बर्तन रखकर सडक़ को किया जाम

पानी की आपूर्ति बड़ी चुनौती, कागजी दावों तक सिमटा विभागीय अमला

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Once again the villagers jammed the road by keeping empty utensils for water

Once again the villagers jammed the road by keeping empty utensils for water

डिंडोरी. नल जल मिशन योजना अंतर्गत सरकार करोड़ों रुपए पानी की तरह बहा रही है। इसके बाद भी विभागीय अधिकारी कर्मचारी जलापूर्ति करने में असफल साबित हो रहे है। स्थिति यह है कि जिला मुख्यालय से लगे गांवों में ही पानी के लिए त्राहि-त्राहि मची हुई है। लोगों को पानी के लिए सडक़ पर उतरकर प्रदर्शन करना पड़ रहा है। वहीं क्षेत्रीय जनप्रतिनिधि सिर्फ स्वार्थ साधने आंदोलन और मांग करते हैं। जमीनी स्तर पर लोगों को 18 साल की भाजपा सरकार और 15 साल से कांग्रेस विधायक के कार्यकाल में मुख्यालय में ऐसी कोई योजना साकार रूप नहीं ले पाई जिससे कि लोगों को मूलभूत सुविधा मुहैया हो सके। अब तक जनप्रतिनिधि मुख्यालय व इसकी सीमा से लगे ग्रामीण अंचलो के वासिंदो को पानी मुहैया नहीं करा पाए। इसके लिए लोगों को सडक़ पर उतकर विरोध प्रदर्शन करना पड़ रहा है। ताजा मामला जबलपुर-अमरकंटक मार्ग पर डिंडोरी मुख्यालय से लगे गांव बडा सूबखार का प्रकाश में आया है। यहां के ग्रामीणों ने पानी की समस्या को लेकर सडक़ पर जाम लगा दिया। ग्रामीणों के विरोध प्रदर्शन के चलते दोनों तरफ वाहनों की लंबी कतार लग गई। इस दौरान खाली बर्तन रखकर महिलाओं ने जमकर प्रदर्शन किया और जिला प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की। सूचना मिलते ही प्रदर्शन स्थल पर पहुंचे कोतवाली प्रभारी सी के सिरामे और डिंडोरी तहसीलदार ने ग्रामीणों को समझाने का प्रयास किया पर ग्रामीण नहीं माने। इसके बाद क्षेत्रीय विधायक ओमकार सिंह मरकाम मौके पर पहुंचे लेकिन आक्रोशित ग्रामीणों ने उनकी बात भी नहीं सुनी। ग्रामीणों के बढ़ते विरोध को देखते हुए कलेक्टर विकास मिश्रा ग्रामीणों की समस्या सुनने मौके पर पहुंचे और प्रदर्शन कर रहे ग्रामीणों से चर्चा की। उन्होने आश्वासन दिया कि तत्काल पानी परिवहन कर गांव में पहुंचाया जाएगा। इसके बाद कलेक्टर ने प्रदर्शन कर रही महिलाओं से गांव चलकर समस्या दिखाने की बात कही। कलेक्टर के कहने पर ग्रामीण उनके साथ गांव की ओर चल दिए तब कहीं जाकर यातायात बहाल हुआ। सोचनीय पहलू यह है कि मुख्यालय से लगे गांव में यह स्थिति है तो फिर जिले के सुदूर में बसे ग्रामीण क्षेत्रों में क्या स्थिति होगी। क्षेत्रीय जनप्रतिनिधि भी ग्रामीणों की इस गंभीर समस्या के त्वरित निदान के लिए कोई ठोस पहले नहीं कर रहे हैं।