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मोबाइल और लैपटॉप पर काफी समय बितानें से बच्चों की आंखों और दिमाग पर पड़ रहा बुरा असर

जिले में पहली से पांचवीं तक के कुल 3625 बच्चे रजिस्टर्ड-

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Spending a lot of time on mobiles and laptops has a bad effect on chil

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डिंडौरी. लॉकडाउन की वजह से ऑनलाइन स्टडी की अनिवार्यता और स्क्रीन में टाइम बढऩे से शहरी क्षेत्र के बच्चों की सेहत पर बुरा असर पड़ रहा है। जहां पहले वह दिन में 2-4 घंटे स्क्रीन का इस्तेमाल करते थे, अब वह समय बढ़कर 7 से 8 घंटे पर पहुंच गया है। इस वजह से बच्चों की आंखों को बहुत नुकसान पहुंच रहा है। इससे बच्चों में भेंगापन, आंखों में तनाव, ड्राई आई जैसी कई सेहत संबंधी समस्याएं सामने आ रही हैं। जिले के ग्रामीण इलाकों में कई घंटों तक अघोषित बिजली कटौती, तकनीकी ज्ञान में कमी, वॉट्सएप व इंटरनेट न होने की समस्या के कारण बच्चे ऑनलाइन पढ़ नहीं पा रहे। वहीं शहरों में बच्चे 4.5 घंटे ऑनलाइन रहने के कारण सेहत संबंधी समस्याओं से जूझ रहे हैं।
सरकार ने पहली से 12वीं कक्षा तक के स्टूडेंट्स की ऑनलाइन स्टडी के लिए प्रतिदिन कुल 2 घंटे का समय अनिवार्य किया है। वहीं दूरदर्शन पर भी हफ्ते में पांच दिन स्टडी मटेरियल का प्रसारण किया जा रहा है। जिले के स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं कि ऑनलाइन स्टडी एक दो हफ्ते के लिए वैकल्पिक व्यवस्था हो सकती ह,ै लेकिन रेगुलर स्टडी के रूप में यह बच्चों के लिए काफी घातक साबित हो रहा है। जिले में भी पैरेंट्स की ओर से ऑनलाइन स्टडी के कारण बच्चों में उपजी समस्याओं का जिक्रकिया गया है। कोरोना वायरस के चलते स्कूल, ट्यूशन, कॉलेज सहित सभी शिक्षण संस्थान बंद हैं। ऐसे में ऑनलाइन ही पढ़ाई की जा रही है। खासकर स्कूल स्टूडेंट्स को 3 से 4 घंटे तक लगातार ऑनलाइन पढ़ाया जा रहा है जिसका नतीजा यह हो रहा है कि बच्चे मायोपिया जैसी समस्या तक पहुंच रहे हैं।
आंखों और मस्तिष्क पर पड़ रहा प्रभाव-
वरिष्ठ शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. सुनील जैन ने बताया कि ज्यादा देर तक मोबाइल और लैपटॉप स्क्रीन पर समय बिताने वाले बच्चों की आंखों और मस्तिष्क पर बुरा असर पड़ता है। कम उम्र के बच्चों के दिमाग पर रेडिएशन का काफी निगेटिव असर देखने को मिलता है। यह रेडिएशन बच्चों की ग्रोथ में बाधा डालता है। शहपुरा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के मेडिकल ऑफीसर डॉ. विवेक साहू ने बताया कि 1.2 घंटे तक ऑनलाइन रहकर पढ़ाई करने से बहुत ज्यादा समस्या नहीं होगी लेकिन अगर स्क्रीन टाइम 4.6 घंटे होगा तो बच्चों में कई तरह की परेशानी हो सकती है।
डॉक्टरों के पास रोजाना पहुंच रहे पैरेंट्स के फोन-
डॉक्टरों के पास रोजाना पैरंट्स टेली कंसल्टेशन ले रहे हैं। जिला अस्पताल के मेडिकल ऑफीसर डॉ. अमित द्विवेदी ने बताया कि बच्चों का मोबाइल या लैपटॉप स्क्रीन पर ज्यादा देर तक काम करने ये देखने से आंखों में दर्द होना, धुंधला दिखाई देना, आंखों से पानी निकलते रहना, कई बार आंखों में लालिमा हो जाना, सर में दर्द के अलावा अन्य समस्याएं आ रही हैं।
क्या है मायोपिया-
मायोपिया में हमें पास की चीजें तो साफ दिखती हैं, लेकिन दूर की चीजें साफ नहीं दिखाई देती हैं। यदि कोई चीज हमसे 2 मीटर या 6 मीटर की दूरी पर है, तो वह हमें साफ दिखाई नहीं देगी। वह चीजें धुंधली दिखाई देती हैं।
जिला शिक्षा अधिकारी रावेंद्र मिश्रा ने बताया कि ऑनलाइन स्टडी के लिए जिले के पहली से पांचवीं तक के 12612 स्टूडेंट्स में से 3625 यानी 25 प्रतिशत से भी कम स्टूडेंट्स ने रजिस्ट्रेशन कराया है। सरकार ने ऑनलाइन पढ़ाई के लिए हर दिन कुल दो घंटे का समय तय किया है।