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बच्चों को स्कूल भेजने से क्यों डर रहे अभिभावक, बड़े हादसे की बनी आशंका

स्कूल भवन के कायाकल्प की ओर नहीं दे रहे ध्यान

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Why are parents afraid of sending children to school, there is a possibility of a major accident

Why are parents afraid of sending children to school, there is a possibility of a major accident

डिंडोरी/गाडासरई. प्राथमिक शाला बसनिया स्कूल भवन जर्जर हो गया है। छत का प्लास्टर उखड़ रहा है। जिसके नीचे बैठकर छात्र-छात्रा शिक्षा ग्रहण करते हैं। ऐसे में हर समय बड़े हादसे की आशंका बनी रहती है। जर्जर हो चुके भवन के कायाकल्प के लिए जिम्मेदार ध्यान नहीं दे रहे हैं। प्राथमिक शाला बसनिया में 61 बच्चे अध्ययनरत हैं व 2 शिक्षक पदस्थ हैं। शिक्षक अमर सिंह परस्ते का कहना है कि वह 2001 में इस स्कूल में पदस्थ हुए हैं। जब वह इस स्कूल में पदस्थ हुए थे तब से लेकर आज तक इस स्कूल की स्थिति जस की तस है। 20 साल गुजर जाने के बाद भी संबंधित अधिकारी इस ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं। यहां की दीवारों से लगातार प्लास्टर गिर रहा है, दिनोंदिन स्कूल की स्थिति जर्जर होती जा रही है। जिससे कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है। प्राथमिक शाला बसनिया में 61 बच्चों के लिए तीन भवन बने हुए हैं। जिसमे दो भवनों की हालत बहुत ही खराब है। जबकि इस बात की जानकारी जन शिक्षा केंद्र से लेकर विकासखंड बजाग के अधिकारियों को कई बार दी जा चुकी है। जानकारी के बाद भी स्कूल भवन के कायाकल्प के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए। जिसके चलते स्कूल में पढऩे वाले बच्चों के साथ ही उनके अभिभावकों को भी हादसे का भय बना रहता है। बच्चे सही ढंग से पढ़ाई नहीं कर पा रहे है। वहीं स्कूल के बाहर बना हैंडबॉल शोपीस बना हुआ हैं। जहां बड़ी मोटर डाली गई है। गांव में हमेशा वोल्टेज की समस्या बनी रहती है। जिस कारण मोटर से पानी नहीं आ रहा है। ऐसे में स्कूल प्रांगण में लगा हैंडवाश शोपीस बनकर रह गया है।
इनका कहना है
एडब्ल्यूपी में 80 स्कूलों की मेजर रिपेरिंग के लिए दिया गया है। जैसे ही राशि प्राप्त होगी स्कूलो में मरम्मत का कार्य शुरू कर दिया जाएगा।
ब्रजभान गौतम, बीआरसी बजाग