
गर्मी में दिखें ये लक्षण तो तुरंत लें डॉक्टर की सलाह
तापमान का चढ़ता पारा और तेज धूप सेहत के लिए खतरनाक हो सकती है। गर्मी की वजह से शरीर में इलेक्ट्रोलाइट्स का असंतुलन होता है। जिस वजह से तकलीफ शुरू होती है। इलेक्ट्रोलाइट्स से ही शरीर के सभी अंग ठीक से काम करते हैं। इलेक्ट्रोलाइट्स सोडियम, पोटैशियम, क्लोराइड, बाई-कार्बोनेट, मैग्नीशियम क्लोराइड का मिश्रण होता है जो दिल से लेकर दिमाग और किडनी तक को सुरक्षित रखने का काम करता है। शरीर में पानी या सोडियम की कमी होने से चिड़चिड़ेपन की शिकायत होती है। ब्लड प्रेशर का स्तर तेजी से कम होता है। किडनी में सोडियम होता है जिसका स्तर 135 से 140 के बीच होता है। सोडियम का लेवल 135 से कम होने पर दिमाग में सूजन आने लगती है जिससे व्यक्ति को झटके आने शुरू होते हैं। इसका स्तर 110 के नीचे पहुंच गया तो व्यक्ति कोमा तक में जा सकता है। इसी तरह पोटैशियम का काम है जो खून में दो फीसदी और 98 फीसदी शरीर की कोशिकाओं में होता है। पोटैशियम का स्तर लगातार कम होने से हार्ट ब्लॉक हो सकता है और व्यक्ति की मौके पर मौत सकती है। किडनी में किसी तरह का संक्रमण या तकलीफ है तो पोटैशियम की मात्रा बढ़ती है। ऐसे में किडनी को बचाने के लिए जल्द से जल्द डायलिसिस करनी पड़ती है। इसमें देरी होने पर किडनी फेल हो सकती है।
क्यों और कब होता है इलेक्ट्रोलाइट इंबैलेंसइ
लेक्ट्रोलाइट इंबैलेंस की स्थिति तब होती है जब व्यक्ति को लगातार उल्टी और दस्त की शिकायत होती है। इसके अलावा पानी कम पीने से शरीर से नमक की मात्रा तेजी से निकलती है। इसके अलावा पेट दर्द के साथ लगातार लूज मोशन हो रहा है तो शरीर में जरूरी तत्वों की मात्रा बहुत अधिक कम हो जाती है। अधिक दौड़ भाग और एक्सरसाइज करने वाले लोगों को पसीना आता है जिससे शरीर के जरूरी मिनरल्स बाहर आ जाते हैं पर समय रहते उनकी पूर्ति नहीं हो पाती है।
इलेक्ट्रोलाइट इंबैलेंस के लक्षणों को पहचानें
दिन में तीन बार से अधिक उल्टी- दस्त होना, मुंह अचानक सूखने लगना, आंखों के नीचे सूजन, अधिक नींद आना, पेट में मरोड़ के साथ हल्का दर्द होना, कमजोरी व थकान महसूस होना, हाथ-पैरों में कंपन होना, बदन दर्द करना, भूख न लगना, चक्कर आना, आंखों से धुंधला दिखाई देना, पेशाब में तकलीफ होना इसके प्रमुख लक्षण हैं।
एलोपैथी में इलाज
इलेक्ट्रोलाइट इंबैलेंस की स्थिति में ओआरएस का घोल सबसे बढिय़ा होता है। इमरजेंसी में रिकवरी के लिए पहले तो जरूरी फ्लूयड चढ़ाया जाता है जिससे शरीर में मिनरल्स की भरपूर पूर्ति हो सके। इसके साथ ही कुछ जरूरी दवाएं चलाई जाती हैं। रोजाना कम से कम पांच ग्राम नमक खाने में लेना चाहिए। इसके साथ हरी पत्तेदार सब्जी, दाल और दूसरे पौष्टिक आहार लेने से बीमारी दूर रहेगी। अधिक गर्मी में शिकंजी या नींबू पानी फायदेमंद होता है। दिन में कम से कम तीन लीटर पानी पीना चाहिए।
आयुर्वेद में इलाज
इलेक्ट्रोलाइट इंबैलेंस से बचने के लिए खाना खाने के बाद एक केला जरूरी खाना चाहिए। रात को सोते समय दूध पीना लाभदायक होता है। सुबह के समय पिंड खजूर और मौसमी फलों का सेवन किया जाए तो तकलीफ नहीं होगी। गोक टुर खाने से किडनी संबंधी समस्या नहीं होगी। अमृता का रस पीने से पीएच लेवल ठीक रहता है। खाने में सेंधा नमक का प्रयोग फायदेमंद होता है। इसके अलावा मोटे दरदर्रे अनाज, अंकुरित मूंग, भुट्टा, ओट्स और नारियल का पानी लाभदायक होता है।
होम्योपैथी में इलाज
इलेक्ट्रोलाइट इंबैलेंस होने पर रोगी को कैलीम्यूर दवा दी जाती है जो पोटैशियम, क्लोराइट की मात्रा को संतुलित रखती है। नाइट्राम्यूर सोडियम क्लोराइड का लेवल जबकि कैलकेरिया दवा कैल्शियम और फॉसफेट की मात्रा को संतुलित रखती है। होम्योपैथी में ऐसी कई तरह की दवाएं हैं जो शरीर में इलेक्ट्रोलाइट इंबैलेंस को समय रहते ठीक कर सकती हैं।
डॉ. पुनीत भार्गव, फिजिशियन, एसएमएस, जयपुर
Published on:
20 May 2018 02:27 pm
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