कुछ मरीजों में इसका कारण अज्ञात है। विशेषज्ञों के अनुसार मरीजों में फैमिली हिस्ट्री, शराब की लत, गंदे पानी में उगी सब्जियों के जरिए पेट के कीड़ो के अंडों या तेज बुखार का दिमाग तक पहुंचना, जन्म के समय दिमाग में ऑक्सीजन की कमी, अधूरी नींद, दिमागी चोट, मस्तिष्क में गांठ या संक्रमण इस रोग के कारण बन सकते हैं।
रोग की पुष्टि के लिए एमआरआई व ईईजी (इलेक्ट्रो इंसेफेलोग्राम) जांच की जाती है। इस दौरान दिमाग में न्यूरॉन की स्थिति देखी जाती है। मिर्गी के रोगियों का एंटी-एपिलेप्टिक दवाएं (एईडी) देकर इलाज किया जाता है। ये दवाएं लंबे समय तक लेनी पड़ती हैं। कई बार सर्जरी करके मस्तिष्क में रोग से प्रभावित भाग को हटा कर इलाज किया जाता है।
– रोगी की गर्दन के आसपास के कपड़ों को ढीला कर दें ताकि सांस लेने में रुकावट न हो।
– इस दौरान मरीज को न तो कुछ खिलाएं और ना ही मुंह में कोई वस्तु जैसे चम्मच, चाबी वगैरह रखें।
– मरीज को हल्के से करवट में लिटा दें और उसके सिर के नीचे कुछ कपड़ा आदि रख दें।
– दौरे के समय मरीज को जबरदस्ती पकड़कर न रखें।
– रात को ज्यादा देर तक न जागें।
– तले-भुने या तेज मिर्च मसाले वाले भोजन से परहेज करें।
– मांस, शराब, कड़क चाय, कॉफी से परहेज करें।
– अधिक ऊंचाई वाले स्थान पर न जाएं।