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पुराने कब्ज की समस्या से होता है फिस्टुला

मलत्याग के समय रक्तस्त्राव और मस्सों का बाहर निकलना, तेज दर्द होना व बैठने पर और बढ़ जाना फिस्टुला के लक्षण है।

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Fistula

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फिस्टुला क्या है?
फिस्टुला (भगंदर) ऐसा रोग है, जिसके इलाज में लापरवाही बरतने पर भविष्य में कई समस्याएं पैदा हो जाती हैं। जैसे गुदा (एनस) में फोड़ा और सूजन, आंतों में विकार या कैंसर। इसमें मरीज को दर्द होता है, जो लंबे समय तक होता है।
इसके लक्षण क्या हैं?
मलत्याग के समय रक्तस्त्राव और मस्सों का बाहर निकलना, तेज दर्द होना व बैठने पर और बढ़ जाना। मरीज को गुदा के आसपास खुजली हो सकती है। इसके अलावा सूजन, त्वचा का लाल होना और मस्से के फटने से मवाद या खून भी निकल सकता है।
क्या परेशानी हो सकती हैं?
गुदा के मार्ग में एक से अधिक पिंडिकाएं बन जाती हैं। इसमें रोगी उठ-बैठ नहीं पाता। सही समय पर इलाज नहीं मिलने पर ये पिंडिकाएं नासूर बन कर गुदा के दूसरी तरफ मार्ग बना लेती हैं। धीरे-धीरे ये बढ़कर नितंब या जांघों तक भी बढ़ जाती है। इन मार्गों से लगातार खून और स्टूल निकलता रहता है।
इसका कारण क्या है?
तेज मिर्च-मसालों का अधिक प्रयोग। चाय-कॉफी ज्यादा पीना और पेट में हमेशा कब्ज की शिकायत रहना इसके प्रमुख कारण हैं।
इसका उपचार क्या है?
फिस्टुला की जांच के लिए डिजिटल एनस टैेस्ट किया जाता है, लेकिन कई रोगियों को इसके अलावा अन्य परीक्षणों की जरूरत पड़ सकती है, जैसे फिस्टुलोग्राम और फिस्टुला के मार्ग को देखने के लिए एमआरआई जांच की जाती है। सर्जरी इस रोग के उपचार का एकमात्र उपाय है।
नई तकनीक का फायदा?
नवीनतम उपचार वीडियो असिस्टेड एनल फिस्टुला ट्रीटमेंट सुरक्षित और दर्दरहित माना जाता है। यह डे केयर प्रक्रिया है और फिस्टुला का कारगर उपचार है। यह बीमारी को दोबारा होने से रोकता है। इसमें पतली एंडोस्कोपी प्रोब का इस्तेमाल किया जाता है। एंडोस्कोप पूरे फिस्टुला के रास्ते से गुजरती है। इसके बाद मिलने वाले परिणाम के आधार पर सर्जन लेजर के जरिए फिस्टुला के मार्ग को बंद करते हैं।
डॉ. आशीष भनोट, सीनियर लैप्रोस्कोपिक सर्जन