स्ट्रोक क्या है?
स्ट्रोकया ब्रेन अटैक दो प्रकार के होते हैं। ‘इसकेमिक’ ब्रेन अटैक मस्तिष्क में रक्तकी आपूर्ति कम होने के कारण होता है जिसकी वजह रक्तकी आपूर्ति करने वाली आर्टरी में ब्लॉकेज या रुकावट होना है। यह ब्लॉकेज शरीर में कहीं भी रक्तका थक्का बन जाने से हो सकती है जो धीरे-धीरे मस्तिष्क की आर्टरी तक पहुंच जाती है। वहीं एथेरोस्क्लेरोटिक गंदगी के कारण रक्तनलिका (आर्टरी) संकीर्ण होने के बाद हुई ब्लॉकेज से होता है। वहीं हेमोरेजिक ब्रेन अटैक मस्तिष्क में रक्तस्राव के कारण होता है जिसकी वजह हाइपरटेंशन, धमनियों की कमजोर दीवारों में दरार और विकृत रक्तनलिकाएं फूलने से बना क्षेत्र आदि होता है।
स्ट्रोकया ब्रेन अटैक दो प्रकार के होते हैं। ‘इसकेमिक’ ब्रेन अटैक मस्तिष्क में रक्तकी आपूर्ति कम होने के कारण होता है जिसकी वजह रक्तकी आपूर्ति करने वाली आर्टरी में ब्लॉकेज या रुकावट होना है। यह ब्लॉकेज शरीर में कहीं भी रक्तका थक्का बन जाने से हो सकती है जो धीरे-धीरे मस्तिष्क की आर्टरी तक पहुंच जाती है। वहीं एथेरोस्क्लेरोटिक गंदगी के कारण रक्तनलिका (आर्टरी) संकीर्ण होने के बाद हुई ब्लॉकेज से होता है। वहीं हेमोरेजिक ब्रेन अटैक मस्तिष्क में रक्तस्राव के कारण होता है जिसकी वजह हाइपरटेंशन, धमनियों की कमजोर दीवारों में दरार और विकृत रक्तनलिकाएं फूलने से बना क्षेत्र आदि होता है।
स्ट्रोक के लक्षण क्या होते हैं?
– चेहरा, बाजू, पैर (खासकर शरीर के एक तरफ) में अचानक संवेदनशून्यता या कमजोरी। अचानक भ्रम की स्थिति, बोलने या किसी बात को समझने में दिक्कत।
– एक या दोनों आंखों से देखने में अचानक से दिक्कत, चलने में तकलीफ, चक्कर आना और संतुलन का अभाव।
– आमतौर पर सब्राकनोइड हेमरेज में बिना वजह अचानक भयंकर सिरदर्द होने लगता है। साथ ही उल्टी, दौरा या मानसिक चेतना का अभाव जैसी शिकायतें भी होती हैं। इन मामलों में नॉन-कॉन्ट्रास्ट सीटी जांच तत्काल करा लेनी चाहिए।
– चेहरा, बाजू, पैर (खासकर शरीर के एक तरफ) में अचानक संवेदनशून्यता या कमजोरी। अचानक भ्रम की स्थिति, बोलने या किसी बात को समझने में दिक्कत।
– एक या दोनों आंखों से देखने में अचानक से दिक्कत, चलने में तकलीफ, चक्कर आना और संतुलन का अभाव।
– आमतौर पर सब्राकनोइड हेमरेज में बिना वजह अचानक भयंकर सिरदर्द होने लगता है। साथ ही उल्टी, दौरा या मानसिक चेतना का अभाव जैसी शिकायतें भी होती हैं। इन मामलों में नॉन-कॉन्ट्रास्ट सीटी जांच तत्काल करा लेनी चाहिए।
कितनी खतरनाक है यह बीमारी?
स्ट्रोक के कारण मस्तिष्क में नुकसान से पूरा शरीर प्रभावित हो सकता है- जिसके परिणामस्वरूप आंशिक से लेकर गंभीर विकलांगता तक हो सकती है। इनमें पक्षाघात, सोचने व बोलने में समस्या और भावनात्मक दिक्कतें शामिल हैं। भारत जैसे निम्न आय और मध्य आय वर्ग वाले देश में असमय मौत और विकलांगता के लिए स्ट्रोक एक अहम कारण बनता जा रहा है।
स्ट्रोक के कारण मस्तिष्क में नुकसान से पूरा शरीर प्रभावित हो सकता है- जिसके परिणामस्वरूप आंशिक से लेकर गंभीर विकलांगता तक हो सकती है। इनमें पक्षाघात, सोचने व बोलने में समस्या और भावनात्मक दिक्कतें शामिल हैं। भारत जैसे निम्न आय और मध्य आय वर्ग वाले देश में असमय मौत और विकलांगता के लिए स्ट्रोक एक अहम कारण बनता जा रहा है।
भारतीय युवा इसके शिकार ज्यादा क्यों?
स्ट्रोक झेलने वाले 15 प्रतिशत लोगों की आयु 50 वर्ष या इससे कम होती है। युवाओं में स्ट्रोक के मामले बढ़ते जा रहे हैं। डायबिटीज, उच्च रक्तचाप, हृदय रोग, धूम्रपान तथा शराब का सेवन युवाओं के लिए स्ट्रोक का सबब बन सकता है।
स्ट्रोक झेलने वाले 15 प्रतिशत लोगों की आयु 50 वर्ष या इससे कम होती है। युवाओं में स्ट्रोक के मामले बढ़ते जा रहे हैं। डायबिटीज, उच्च रक्तचाप, हृदय रोग, धूम्रपान तथा शराब का सेवन युवाओं के लिए स्ट्रोक का सबब बन सकता है।
स्ट्रोक की वजह क्या है?
– इसके कई खतरे हो सकते हैं जैसे उम्र बढ़ने के साथ ही खतरा भी बढ़ जाता है।
– पारिवारिक पृष्ठभूमि।
– 140/90 एमएमएचजी से अधिक रक्तचाप।
– एट्रियल फाइब्रिलेशन जैसे हृदय रोग व अन्य डिसऑर्डर।
– कैरोटिड आर्टरी रोग, दरअसल कैरोटिड (ग्रीवा) धमनियां मस्तिष्क को रक्तकी पूर्ति कराती हैं। लेकिन जब ये धमनियां संकुचित हो जाती हैं तो अटैक की आशंका बढ़ जाती है।
– हाई कोलेस्ट्रॉल, धूम्रपान और मादक पदार्थों का अधिक सेवन। डायबिटीज, अधिक वजन खासकर कमर के आसपास और व्यायाम न करने से भी स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है।
– इसके कई खतरे हो सकते हैं जैसे उम्र बढ़ने के साथ ही खतरा भी बढ़ जाता है।
– पारिवारिक पृष्ठभूमि।
– 140/90 एमएमएचजी से अधिक रक्तचाप।
– एट्रियल फाइब्रिलेशन जैसे हृदय रोग व अन्य डिसऑर्डर।
– कैरोटिड आर्टरी रोग, दरअसल कैरोटिड (ग्रीवा) धमनियां मस्तिष्क को रक्तकी पूर्ति कराती हैं। लेकिन जब ये धमनियां संकुचित हो जाती हैं तो अटैक की आशंका बढ़ जाती है।
– हाई कोलेस्ट्रॉल, धूम्रपान और मादक पदार्थों का अधिक सेवन। डायबिटीज, अधिक वजन खासकर कमर के आसपास और व्यायाम न करने से भी स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है।
स्ट्रोक से बचे रहने के लिए क्या सावधानी बरतें ?
उच्च रक्तचाप, स्ट्रोक का सबसे बड़ा खतरा है। जो ब्लॉकेज (इसकेमिक स्ट्रोक) के कारण 50 प्रतिशत स्ट्रोक की वजह बनता है। रक्तचाप पर नियंत्रण और आर्टरी पर जमाव रोकने में जीवनशैली में बदलाव मददगार होते हैं।नमक कम लें। प्रतिदिन कम से कम पांच प्रकार की सब्जियों और फलों का सेवन करें।वजन कम करें। वसायुक्त भोजन कम खाएं।
मीठी चीजें सीमित मात्रा में खाएं। धूम्रपान त्याग दें। अल्कोहल का सेवन न करें। अधिक सक्रिय रहें। तनाव का स्तर कम करें और शरीर को पूरी तरह से आराम दें।
उच्च रक्तचाप, स्ट्रोक का सबसे बड़ा खतरा है। जो ब्लॉकेज (इसकेमिक स्ट्रोक) के कारण 50 प्रतिशत स्ट्रोक की वजह बनता है। रक्तचाप पर नियंत्रण और आर्टरी पर जमाव रोकने में जीवनशैली में बदलाव मददगार होते हैं।नमक कम लें। प्रतिदिन कम से कम पांच प्रकार की सब्जियों और फलों का सेवन करें।वजन कम करें। वसायुक्त भोजन कम खाएं।
मीठी चीजें सीमित मात्रा में खाएं। धूम्रपान त्याग दें। अल्कोहल का सेवन न करें। अधिक सक्रिय रहें। तनाव का स्तर कम करें और शरीर को पूरी तरह से आराम दें।
छोटा स्ट्रोक झेल चुका शख्स स्वस्थ जीवन किस तरह जी सकता है?
स्ट्रोक झेल चुके लोगों को चलने-फिरने और संतुलन बनाने में फिजिकल थैरेपिस्ट मददगार होता है। ऑक्यूपेशनल थैरेपिस्ट स्ट्रोक सर्वाइवर को खाने, नहाने, कपड़े पहनने जैसी दैनिक गतिविधियों के तौर-तरीके बताता है। स्पीच-लैंग्वेज पैथोलॉजिस्ट भाषाई दक्षता में मदद करता है। अंत में न्यूरोसाइकोलॉजिस्ट ऐसे मरीजों का इलाज करता है जिन्हें स्ट्रोक के बाद सोचने, याद रखने व व्यवहार में बदलाव का सामना करना पड़ सकता है। चाँद मोहम्मद शेख
स्ट्रोक झेल चुके लोगों को चलने-फिरने और संतुलन बनाने में फिजिकल थैरेपिस्ट मददगार होता है। ऑक्यूपेशनल थैरेपिस्ट स्ट्रोक सर्वाइवर को खाने, नहाने, कपड़े पहनने जैसी दैनिक गतिविधियों के तौर-तरीके बताता है। स्पीच-लैंग्वेज पैथोलॉजिस्ट भाषाई दक्षता में मदद करता है। अंत में न्यूरोसाइकोलॉजिस्ट ऐसे मरीजों का इलाज करता है जिन्हें स्ट्रोक के बाद सोचने, याद रखने व व्यवहार में बदलाव का सामना करना पड़ सकता है। चाँद मोहम्मद शेख
इस बीमारी से बचने के लिए एक्सरसाइज या घूमना कितना फायदेमंद है?
एक ही जगह स्थूल होकर न बैठें। अपने डॉक्टर से नियमित व्यायाम के गुर जानें। शुरुआती दौर में प्रतिदिन 30 मिनट का हल्का-फुल्का व्यायाम कारगर रहता है। ज्यादातर डॉक्टर आपको टहलने की सलाह देंगे ताकि आप खुली हवा में सांस ले सकें और दिल तक ताजा रक्त का संचार हो सके। नियमित व्यायाम से आपका वजन घटेगा और रक्तचाप भी कम होगा।
एक ही जगह स्थूल होकर न बैठें। अपने डॉक्टर से नियमित व्यायाम के गुर जानें। शुरुआती दौर में प्रतिदिन 30 मिनट का हल्का-फुल्का व्यायाम कारगर रहता है। ज्यादातर डॉक्टर आपको टहलने की सलाह देंगे ताकि आप खुली हवा में सांस ले सकें और दिल तक ताजा रक्त का संचार हो सके। नियमित व्यायाम से आपका वजन घटेगा और रक्तचाप भी कम होगा।