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जानें पाइल्स के लिए होम्योपैथिक व आयुर्वेदिक उपाय

खराब खानपान व अनियमित जीवनशैली से बवासीर होती है। इसे अर्श (आयुर्वेद में), फिशर (होम्योपैथी में) या पाइल्स भी कहते हैं।

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जयपुर

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Vikas Gupta

May 04, 2019

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खराब खानपान व अनियमित जीवनशैली से बवासीर होती है। इसे अर्श (आयुर्वेद में), फिशर (होम्योपैथी में) या पाइल्स भी कहते हैं।

खराब खानपान व अनियमित जीवनशैली से बवासीर होती है। इसे अर्श (आयुर्वेद में), फिशर (होम्योपैथी में) या पाइल्स भी कहते हैं। यह रोग आजकल युवाओं में भी बढ़ रहा है। जानें होम्योपैथिक व आयुर्वेदिक इलाज-

कारण : असमय भोजन, फाइबरयुक्त चीजें न खाना, अधिक पेनकिलर लेना व मल-मूत्र रोकना।
लक्षण : मोशन के दौरान अधिक जोर लगाना व रक्त आना, अत्यधिक दर्द होना। अधिक रक्तस्त्राव से कई बार एनीमिया व कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता की शिकायत होने लगती है।

होम्योपैथिक इलाज -
होम्योपैथी विशेषज्ञ के अनुसार इस पद्धति से पाइल्स का बिना सर्जरी के इलाज संभव है। पहली व दूसरी स्टेज तक ये दवाएं कारगर होती हैं।
दवाएं : पेट साफ होने के दौरान तेज दर्द के साथ फिशर की समस्या हो तो साइट्रिक एसिड दवा देते हैं।
मरीज को मोशन के समय पाइल्स के साथ रक्त आए तो सल्फर दवा देते हैं।
जब मरीज को गुदा मार्ग पर त्वचा संवेदनशील लगे तो ऐसे में पायोनिया दवा से आराम दिलाया जाता है।
पाइल्स के साथ कमरदर्द और गुदा मार्ग पर सुई जैसी चुभन होने पर मरीज को एस्कुलस दवा देते हैं।
लंबे समय से कब्ज की समस्या के बाद यदि पाइल्स की परेशानी हो तो साइलेशिया दवा का प्रयोग करते हैं।
ध्यान रखें : दवाओं के अलावा मरीज दिनचर्या में बदलाव लाएं। एक ही स्थान पर एक घंटे से ज्यादा न बैठें। रोजाना कम से कम आधा घंटा व्यायाम जरूर करें।

आयुर्वेदिक उपचार -
आयुर्वेद विशेषज्ञ के अनुसार इसका इलाज चार अवस्थाओं में होता है।
फस्र्ट डिग्री : दवाओं से
सेकेंड डिग्री : क्षार कर्म (क्षार लेप) से। इसके लिए थोड़ा अपामार्ग क्षार, 10 एमएल थुअर पौधे का दूध और एक ग्राम हल्दी को मिलाकर पेस्ट बनाते हैं। इसके बाद एक मेडिकेटेड धागे पर लगाकर सुखा लेते हैं और मस्सों पर बांधते हैं।
थर्ड डिग्री : एलोवेरा की मदद से अग्निकर्म चिकित्सा की जाती है।
फोर्थ डिग्री : इसमें शल्य चिकित्सा से मस्सों को हटाते हैं।

औषधियां : कांकायन वटी (2 गोली सुबह व शाम), अर्श कुठार रस (1 गोली सुबह व शाम), अभ्यारिष्ट व द्राक्षासव (4-4 चम्मच भोजन के बाद, बराबर मात्रा में पानी मिलाकर), कुटज धन वटी (1 गोली सुबह व शाम), मस्सों पर लगाने के लिए कासीसादि तेल व जात्यादि तेल मस्सों पर लगाएं। इसके अलावा गुनगुने पानी में हल्दी डालकर सेक करें।