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Health news – सर्वाइकल स्पॉन्डिलोसिस से परेशान हैं तो जानें ये खास बातें

इस रोग से स्पाइनल कॉर्ड और स्पाइनल नर्व रूट पर इरिटेशन या प्रेशर पड़ने लगता है, जिससे मरीज को कई तरह की परेशानियांं हो सकती हैं।

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जयपुर

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Vikas Gupta

Dec 16, 2018

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इस रोग से स्पाइनल कॉर्ड और स्पाइनल नर्व रूट पर इरिटेशन या प्रेशर पड़ने लगता है, जिससे मरीज को कई तरह की परेशानियांं हो सकती हैं।

गर्दन में रीढ़ की हड्डी 7 वर्टिब्र से मिलकर बनी होती है। इन्हीं 7 वर्टिब्रों और हर वर्टिब्र के बीच Disk (छल्ला) में उम्र के साथ आने वाले विकारों को सर्वाइकल स्पॉन्डिलोसिस कहते हैं। इस रोग से स्पाइनल कॉर्ड और स्पाइनल नर्व रूट पर इरिटेशन या प्रेशर पड़ने लगता है, जिससे मरीज को कई तरह की परेशानियांं हो सकती हैं। यह बीमारी बुजुर्ग व्यक्तियों में होती है। एक शोध के अनुसार 65 वर्ष से अधिक उम्र के 90 फीसदी लोगों में यह बीमारी हो सकती है।

इस रोग के लक्षण -
गर्दन में दर्द व तनाव रहना, कंधे या हाथ और अंगुलियों में सूनापन या झनझनाहट होना। पैरों में भारीपन, चलने में तकलीफ , हाथ-पैरों में कमजोरी, पेशाब करने में तकलीफ, सिरदर्द, चक्कर आना, आंखों के आगे अंधेरा छाना, कंधे व हाथ की अंगुलियों में दर्द होना इस समस्या के मुख्य लक्षण हैं।

ये भी हैं वजह -
गर्दन में चोट लगना या ऐसा काम करना जिससे गर्दन पर दबाव आए जैसे सिर पर वजन उठाने से यह बीमारी हो सकती है।

इलाज एवं जांच -
गर्दन का एक्स-रे, सीटी स्केन व एमआरआई की जाती है। हाथ व पैर की ईएमजी/ एनसीवी की जांच होती है।

दवा-व्यायाम : ज्यादा दर्द होने पर कुछ दिन तक गर्दन को आराम देने की जरूरत होती है। इसके लिए गर्दन का पट्टा (सर्वाइकल कॉलर) दिया जाता है और दर्द निवारक दवाओं से कुछ दिनों में आराम मिल सकता है, बशर्ते मरीज बाद में भी नियमित चेकअप कराए और सावधानियों का पालन करे। दर्द ठीक होने के बाद मरीज को गर्दन का नियमित व्यायाम करना चाहिए।

ऑपरेशन : वे मरीज जिन्हें आराम करने या दवा लेने से भी फायदा नहीं मिलता, उनमें गर्दन का साधारण ऑपरेशन कर मरीज की तकलीफ को कम या दूर किया जाता है। ऑपरेशन में जो भाग नर्व या स्पाइनल कॉर्ड पर दबाव डाल रहा होता है, उसे माइक्रोस्कोप एवं माईक्रोड्रिल की मदद से निकाल कर टाइटेनियम इम्प्लांट लगा दिया जाता हैं। टाइटेनियम इम्प्लांट शरीर में रिएक्शन नहीं करता तथा एमआरआई कम्पैटिबल होता है।

रखें ध्यान -
कम्प्यूटर के सामने हमेशा सही मुद्रा में बैठें, ना कि गर्दन झुकाकर। कंप्यूटर स्क्रीन आंखों की सीध में होनी चाहिए। हमेशा सोते समय तकिए का प्रयोग करना चाहिए और ध्यान रखें कि वह ना ज्यादा बड़ा हो, ना अधिक पतला और ना ही बहुत ज्यादा सख्त हो।