विटामिन-डी शरीर में कैल्शियम का अवशोषण करता है। भोजन में इस विटामिन की कमी से कैल्शियम किडनी के आसपास जमकर स्टोन बनता है। ये पेशाब की थैली में ज्यादा बनते हैं। यूरिनरी इंफेक्शन भी प्रमुख वजह है।
– लकवे के रोगी में लेटे या बैठे रहने से हड्डियां गलती हैं और यूरिन में कैल्शियम बढ़कर स्टोन बनाता है।
– जिनमें पैराथायरॉइड ग्रंथि (गले में थायरॉइड ग्रंथि के पीछे स्थित) बढ़ने या इसकी गांठ (एडिनोमा) होती है उनमें पथरी बार-बार व एक से ज्यादा बार होने की समस्या होती है। ऐसा ग्रंथि द्वारा ज्यादा हार्मोन स्त्रावित करने व यूरिन में कैल्शियम बढ़ने से होता है।
कैल्शियम ऑक्सेलेट– यह आमतौर पर पाया जाने वाला किडनी स्टोन का प्रकार है। इसके ऊपर तीखे उभार होते हैं जिससे यूरिन में खून आता है। यह अक्सर एक ही होता है।
साधारणत: छोटे आकार की पथरी पानी ज्यादा पीने से निकल जाती है। लेकिन बड़े आकार की पथरी यदि किडनी की नली या ब्लैडर को नुकसान पहुंचा रही है तो इसे लेजर (ब्लाइंड लिथोट्रिप्टर), दूरबीन (लिथोट्रिप्सी) से तोड़कर बाहर निकालते हैं। या किरणों के जरिए पथरी को तोड़कर अंदर ही चूरा कर देते हैं जो यूरिन के रास्ते बाहर निकल जाती है। फिलहाल आसानी से मुड़ने वाली दूरबीन से पथरी को तोड़कर बाहर निकालते हैं। इसे रिट्रोग्रेड इंट्रारीनल सर्जरी कहते हैं।
केले में मौजूद विटामिन-बी6, सिट्रिक एसिड से युक्त नींबू ऑक्सेलेट एसिड को बनने से रोकता है जिससे स्टोन नहीं बनते। बादाम और नारियल में मौजूद पोटैशियम व मैंग्नीज स्टोन की समस्या से बचाते हैं। जौ, ओट्स, गाजर व करेले में अधिक खनिज होते हैं।