
दर्द, अकड़न की वजह पता न होने पर मरीज की क्लिनिकल हिस्ट्री जानने के बाद फ्लूड का सैंपल लेते हैं।
जॉइंट फ्लूड एनालिसिस इसे सायनोवियल फ्लूड एनालिसिस भी कहते हैं। इसमें जोड़ में सूजन, थक्का, रक्तस्त्राव, संक्रमण और ट्यूमर जैसे रोगों की जड़ का पता लगाते हैं। दर्द, अकड़न की वजह पता न होने पर मरीज की क्लिनिकल हिस्ट्री जानने के बाद फ्लूड का सैंपल लेते हैं।
क्यों होती है परेशानी -
शरीर के सभी जॉइंट्स में सायनोवियल फ्लूड होता है। आर्थराइटिस जैसी जोड़ की दिक्कत में इस फ्लूड की मात्रा बढ़ने-घटने से जोड़दर्द, जकड़न व सूजन आ जाती है।
रोग की पुष्टि -
फ्लूड के रंग में बदलाव, लाल-सफेद रक्त कणिकाओं की संख्या काफी अधिक या कम होने, थक्का और तरल में किसी प्रकार के बैक्टीरिया की मौजूदगी रोग की आशंका बताती है। माइक्रोस्कोप से बैक्टीरिया की सूक्ष्म स्तर पर पहचान कर रोग की पुष्टि की जाती है।
ध्यान रखें -
सैंपल देने से पहले मरीज ने किसी प्रकार की एंटीबायोटिक दवा न ली हो। सैंपल की रिपोर्ट 2-3 दिन में आ जाती है।
ऐसे लेते सैंपल -
प्रभावित जोड़ की बाहरी सतह से स्टेरेलाइज्ड सूई से फ्लूड को थोड़ी मात्रा निकालते हैं। यह 1-2मिनट की प्रक्रिया होती है। इसके बाद सैंपल को लैब में भेजते हैं। जहां इसके कलर व टैक्सचर के अलावा सैंपल में लाल व सफेद रक्त कणिकाओं की संख्या, ग्लूकोज, प्रोटीन, यूरिक एसिड और लेक्टेट डिहाइड्राजिनेज (एलडीएच) की मात्रा देखी जाती है। इस दौरान यदि किसी बैक्टीरिया की आशंका हो तो कल्चर टैस्ट कराते हैं। विशेषज्ञ पहले एक्स-रे व एमआरआई जैसी प्रमुख जांचें कराने की सलाह देते हैं। इनमें यदि रोग के बैक्टीरिया या वायरस की पहचान नहीं हो तो सायनोवियल फ्लूड सैंपलिंग के लिए कहते हैं।
Published on:
11 Jun 2019 01:27 pm
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