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जानिए एमडीआर टीबी के बारे में, क्या हैं इसके कारण और उपचार

मल्टी ड्रग रेजिस्टेंट (एम.डी.आर) व एक्सटेन्सिव ड्रग रेजिस्टेंट (एक्स.डी.आर) टीबी के नए नाम हैं।

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जयपुर

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Vikas Gupta

May 11, 2019

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मल्टी ड्रग रेजिस्टेंट (एम.डी.आर) व एक्सटेन्सिव ड्रग रेजिस्टेंट (एक्स.डी.आर) टीबी के नए नाम हैं।

एम.डी.आर. और एक्स.डी.आर टीबी क्या है ?

वैसे तो टीबी (ट्यूबरक्लोसिस) आम लोगों के लिए जाना पहचाना नाम है। लेकिन मल्टी ड्रग रेजिस्टेंट (एम.डी.आर) व एक्सटेन्सिव ड्रग रेजिस्टेंट (एक्स.डी.आर) टीबी के नए नाम हैं। इन्हें बिगड़ी हुई या गंभीर प्रकार की टीबी भी कहते हैं। जब सामान्य टीबी में काम आने वाली दो मुख्य दवाएं आइसोनियाजिड व रिफाम्पीसीन रोगी पर बेअसर हो जाती हैं यानी टीबी के कीटाणु इन दवाओं के लिए रेजिस्टेंट हो जाते हैं तो उस रोगी की टीबी को एम.डी.आर टीबी कहते हैं। एम.डी.आर टीबी के रोगी की दवा शुरू करने के छह माह बाद भी यदि उसका बलगम कल्चर पॉजिटिव आता है तो उसे एक्स.डी.आर टीबी का आशंकित रोगी मानते हैं। ऐसे में रोगी की सेंसिटिविटी की जाती है, दोनों से रेजिस्टेंट आने पर एक्सडीआर टीबी की पुष्टि की जाती है। इस टीबी का उपचार 24 से 30 माह तक चलता है।

टीबी के कितने प्रतिशत रोगियों को एमडीआर टीबी हो सकती है ?
एक शोध के अनुसार टीबी के नए रोगियों में 2-3 प्रतिशत और पहले से टीबी की समस्या से पीड़ित मरीजों में 12-17 प्रतिशत तक यह बीमारी हो सकती है।

इस टीबी के क्या कारण हैं ?
आमतौर पर टीबी के मरीज जब दवाओं को नियमित रूप से नहीं लेते तो एमडीआर की समस्या बढ़ी सकती है। लेकिन कुछ मामलों में डॉक्टर द्वारा दवाओं के सही चयन न करने या उन्हें सही मात्रा में नहीं देने से भी यह रोग हो सकता है।

एमडीआर का खतरा किन मरीजों को हो सकता है ?
टीबी के वे रोगी जो एचआईवी से पीड़ित हैं, जिन्हें फिर से टीबी रोग हुआ हो, टीबी की दवा लेने पर भी बलगम में इस रोग के कीटाणु आ रहे हैं या टीबी से प्रभावित वह मरीज जो एमडीआर टीबी रोगी के संपर्क में रहा है, उसे एमडीआर टीबी का खतरा हो सकता है।

इसका उपचार क्या है ?
एमडीआर टीबी का पता चलने पर उसके पहले से चल रहे टीबी के इलाज को बंद किया जाता है और विशेषज्ञ की देखरेख में उसकी लिवर, किडनी, थायरॉइड और शुगर संबंधी जांचें होती हैं। इस बीमारी का इलाज लगभग 24 से 27 माह तक रोजाना होता है। इलाज में प्रयोग होने वाली कुछ दवाओं के गंभीर दुष्प्रभाव हो सकते हैं। इसलिए मरीज समय-समय पर जांच जरूर कराएं।