
मिर्गी रोग को लेकर आज भी आम लोगों में गलतफहमियां देखने को मिलती है। लोग इसे बीमारी मानने के बजाय ऊपरी असर का नाम देते हुए टोने-टोटकों और भोपों के जाल में उलझ जाते हैं। ऐसे में इस बीमारी का सही समय और इलाज नहीं हो पाता और बीमारी बढ़ती जाती है।
बिगड़ी जीवनशैली
डब्ल्यूएचओ के अनुसार विश्व में करीब 5 करोड़ लोग मिर्गी रोग से पीडि़त हैं, इसमें से 80 प्रतिशत लोग विकासशील देशों में रहते हैं। भागदौड़ वाले इस जीवन में बिगड़ी जीवनशैली युवाओं को भी मिर्गी का रोगी बना रही है। काम का तनाव, देर रात तक सोना और तनाव से बचने के लिए शराब व धूम्रपान का सेवन करना इस बीमारी के कारणों में शामिल हंै। समय पर इलाज न होने पर यह घातक रूप ले सकती है। मिर्गी किसी भी आयु के व्यक्ति को हो सकती है। कुछ प्रकार की मिर्गी बचपन में होती है तो कुछ बचपन बीतने के बाद समाप्त हो जाती है। बचपन में मिर्गी से पीडि़त ७० फीसदी बच्चे बड़े होने पर इस इस रोग से छुटकारा पा जाते हैं। मिर्गी के कुछ ऐसे दौरे हैं जैसे फेब्राइल जो बचपन में केवल बुखार के दौरान आते हैं बाद में कभी नहीं आते।
दो प्रकार की मिर्गी
मिर्गी रोग दो प्रकार का होता है। पहले तरह के आंशिक मिर्गी रोग में दिमाग के एक भाग में दौरा पड़ता है और व्यापक मिर्गी में दिमाग के पूरे भाग में दौरा पड़ता है। दो से तीन साल तक दवाइयां खाने से मिर्गी की बीमारी ठीक हो जाती है। सिर्फ कुछ लोगों को ही मिर्गी रोग ठीक करने के लिए जिंदगीभर दवाई खानी पड़ती है। डॉक्टर को दिखाने के बाद ही मिर्गी की दवाइयां शुरू करनी चाहिए। इसमें सिर्फ 10 से 20 फीसदी लोगों को ही ऑपरेशन की जरूरत पड़ती है। ब्रेन ट्यूमर और ब्रेन हैमरेज से भी मिर्गी होने की आशंका रहती हैं।
भ्रांतियां
मिर्गी को लेकर लोगों में कई तरह की भ्रांतियां फैली होती है। लेकिन यह मिर्गी रोग मस्तिष्क का क्रोनिक डिसऑर्डर है। इस रोग में मस्तिष्क की विद्युतीय प्रक्रिया में व्यवधान पडऩे से शरीर के अंगों में दौरा पडऩे लगता है। दौरा पडऩे पर शरीर अकड़ जाता है। आंखों की पुतलियां उलट जाती हैं। हाथ, पैर और चेहरे के मांसपेशियों में खिंचाव होने लगता है।
मिर्गी के लक्षण
बात करते हुए शून्य में खो जाना।
बॉडी के किसी अंग की मांसपेशियां अचानक फडक़ने लगना।
तेज रोशनी से आंखों में परेशानी होना।
अचानक से बेहोश हो जाना।
अचानक से मांसपेशियों पर नियंत्रण खो देना।
मिर्गी के प्रमुख कारण
मिगी के मुख्य कारणों में सिर पर चोट लगना, दिमागी बुखार आना, दिमाग में कीड़े की गांठ बनना, ब्रेन ट्यूमर और ब्रेन स्ट्रोक, शराब या नशीली दवाइयों का ज्यादा इस्तेमाल करना आदि शामिल हैं।
दौरा पडऩे पर सावधानी
जब किसी मिर्गी रोगी को दौरा आता है तो उस समय उस व्यक्ति का ध्यान रखना बहुत जरूरी है। दौरा पडऩे पर रोगी को सुरक्षित जगह पर एक करवट लेटा दें। उसके कपड़े ढीले कर दें तथा उसे खुली हवा में रखें। आसपास भीड़ ना लगाएं और उसे हवा लगने दें, सिर के नीचे मुलायम कपड़ा रखें। मिर्गी के दौरे के समय रोगी के मुंह में कुछ न डालें।
Published on:
11 Feb 2018 04:54 am
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