
Menopause
सभी महिलाओं को उम्र के एक पड़ाव के बाद रजोनिवृत्ति से गुजरना होता है। जब माहवारी बंद हो जाती है तो अंडाशय में अंडे बनने की प्रक्रिया बंद होने के साथ एस्ट्रोजन हार्मोन का स्तर भी कम हो जाता है। आमतौर पर भारतीय महिलाओं में अमरीकी व यूरोपीय देशों की अपेक्षा जल्दी (औसतन 46-47 वर्ष में) मेनोपॉज होता है और इस पूरे बदलाव में 2 से 10 वर्ष तक लग सकते हैं। ऐसे में कई बार बहुत सी महिलाओं को एस्ट्रोजन का स्तर गिरने के कारण बेचैनी, चिंता व अन्य परेशानियों का सामना करना पड़ता है। जानते है इनके बारे में-
मानसिक बदलाव
नींद में कमी, उदासीनता, वैवाहिक संबंधों में अनिच्छा व स्मरणशक्ति का कमजोर होना, रजोनिवृत्ति के साथ हुए मानसिक बदलाव के संकेत हैं।
सामाजिक संपर्क बढ़ाएं
मस्तिष्क के प्रभावों को रोकने के लिए अकेले रहने के बजाय लोगों के बीच समय बिताएं। संगीत सुनें, वाद्ययंत्र बजाएं व सामाजिक कार्यों में हिस्सा लें। इससे आपमें आत्मविश्वास बढ़ेगा। साथ ही मानसिक गतिविधियां जैसे शतरंज खेलना, साहित्य पढऩा आदि से मानसिक रूप से स्वस्थ रहने में मदद मिलेगी।
ऐसे रखें मानसिक स्वास्थ्य दुरुस्त
शोध बताते हैं कि मानसिक, शारीरिक व सामाजिक गतिविधियों के साथ अच्छे पोषण से मानसिक स्वास्थ्य मेंसुधार हो सकता है।
जैतून के तेल के साथ एंटीऑक्सीडेंट व मेडिटेरियन आहार जैसे फल, सब्जियां, साबुत अनाज, सूखे मेवे आदि से मानसिक स्वास्थ्य सही रहता है।
विटामिन-डी व बी से भरपूर खाद्य पदार्थ और व्यायाम करने से भी मानसिक स्वास्थ्य में सुधार की संभावना होती है।
अन्य पूरक आहार जैसे सोया आइसो-फ्लेवन्स् (सोयाबीन, सोयाबीन आटा, दूध व पनीर) से याददाश्त बढ़ती है।
शारीरिक गतिविधियां जैसे तेज चलने, जॉगिंग व ऐरोबिक्स आदि से डिमेंशिया के जोखिम को कम किया जा सकता है।
ध्यान और योग से मन शांत होता है साथ ही याददाश्त में कमी की समस्या दूर करने में मदद मिलती है।
शराब, धूम्रपान व अन्य नशीलेपदार्थों से बचकर मानसिक स्वास्थ्य बेहतर रखा जा सकता है।
मानसिक गतिविधियां मस्तिष्क की उत्तेजना को बढ़ाने के लिए महत्त्वपूर्ण हैं।
ये हो सकती हैं परेशानियां
जोड़ों में दर्द व मांंसपेशियों में जकडऩ।
अनियमित मासिक रक्तस्राव।
हॉट फ्लैशिज होना।
सुकून की नींद न आना।
दिल की अनियमित धडक़न।
चक्कर आना व सिरदर्द।
बार-बार पेशाब आने की समस्या
चिड़चिड़ापन।
अवसाद, बेचैनी और चिंता।
एकाग्रता में कमी
अत्यधिक थकान।
वजन बढऩा।
शरीर में सूजन।
हार्मोन थैरेपी
मेनोपॉज हार्मोन थैरेपी से भी रजोनिवृत्ति के लक्षण व प्रभावों को कम करने के साथ भविष्य में होने वाली अन्य बीमारियों से बचा जा सकता है। इसमें गोलियों व क्रीम आदि के माध्यम से शरीर में एस्ट्रोजन के स्तर को बनाए रखा जाता है। चिकित्सक की सलाहानुसार आप इस थैरेपी का विकल्प चुन सकती हैं।
विशेषज्ञ की राय
तनावरहित जीवनशैली अपनाकर मानसिक संतुलन बनाए रखें और अवसाद से बचें। नए शौक अपनाएं, सामाजिक कार्यों में रुचि रखें। बढ़ती आयु के प्रति सकारात्मक सोच बनाएं। अपनी पुरानी बीमारियों की नियमित जांच व इलाज करवाएं, स्वयं रिपोर्ट देखकर इलाज बंद न करें। आत्मविश्वास बनाए रखें। आप अपनी सोच में यह बदलाव लाएं कि मेनोपॉज अभिशाप नहीं वरदान है। यह कोई बीमारी नहीं बल्कि बदलाव है।
Published on:
30 May 2018 04:08 am
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