scriptNipah Virus: जानें निपाह वायरस के लक्षण और बचाव के उपाय | Nipah virus symptoms and treatment | Patrika News

Nipah Virus: जानें निपाह वायरस के लक्षण और बचाव के उपाय

Published: Sep 07, 2021 10:03:36 pm

Submitted by:

Deovrat Singh

Nipah Virus: निपाह वायरस के संक्रमण को ध्यान में रखते हुए केरल के स्वास्थ्य विभाग ने 251 व्यक्तियों की पहचान की है, जो निपाह वायरस के संक्रमण से जान गंवाने वाले 12 वर्षीय लड़के के संपर्क में आए थे।

nipaah.png

Nipah Virus: निपाह वायरस के संक्रमण को ध्यान में रखते हुए केरल के स्वास्थ्य विभाग ने 251 व्यक्तियों की पहचान की है, जो निपाह वायरस के संक्रमण से जान गंवाने वाले 12 वर्षीय लड़के के संपर्क में आए थे। इनमें से 38 लोग कोझिकोड मेडिकल कॉलेज अस्पताल में अलग रह रहे हैं और 11 लोगों में लक्षण नजर आए हैं।

इसके इलाज का एकमात्र तरीका कुछ सहायक दवाइयां और पैलिएटिव केयर है। वायरस की इनक्यूबेशन अवधि 5 से 14 दिनों तक होती है, जिसके बाद इसके लक्षण दिखाई देने लगते हैं। सामान्य लक्षणों में बुखार, सिर दर्द, बेहोशी और मतली शामिल होती है। कुछ मामलों में, व्यक्ति को गले में कुछ फंसने का अनुभव, पेट दर्द, उल्टी, थकान और निगाह का धुंधलापन महसूस हो सकता है। लक्षण शुरू होने के दो दिन बाद पीडि़त के कोमा में जाने की संभावना बढ़ जाती है। वहीं इंसेफेलाइटिस के संक्रमण की भी संभावना रहती है, जो मस्तिष्क को प्रभावित करता है।

यह भी पढ़ें

यह एक्सरसाइज अपनाएं और बैली फैट घटाएं

इस तरह बच सकते हैं वायरस से
सुनिश्चित करें कि आप जो खाना खा रहे हैं वह किसी चमगादड़ या उसके मल से दूषित नहीं हुआ हो। चमगादड़ के कुतरे हुए फल न खाए। पाम के पेड़ के पास खुले कंटेनर में बनी टोडी शराब पीने से बचें। बीमारी से पीडि़त किसी भी व्यक्ति से संपर्क न करें। यदि मिलना ही पड़े तो बाद में साबुन से अपने हाथों को अच्छी तरह से धो लें। आमतौर पर शौचालय में इस्तेमाल होने वाली चीजें, जैसे बाल्टी और मग को खास तौर पर साफ रखें। निपाह बुखार से मरने वाले किसी भी व्यक्ति के मृत शरीर को ले जाते समय चेहरे को ढंकना महत्वपूर्ण है। मृत व्यक्ति को गले लगाने से बचें और उसके अंतिम संस्कार से पहले शरीर को स्नान करते समय सावधानी बरतें।

यह भी पढ़ें

सुबह खाली पेट स्प्राउट्स खाने से मिलेंगे कई शानदार फायदे

जब इंसानों में इसका संक्रमण होता है, तो इसमें एसिम्प्टोमैटिक इन्फेक्शन से लेकर तीव्र रेस्पिरेटरी सिंड्रोम और घातक एन्सेफलाइटिस तक का क्लिनिकल प्रजेंटेशन सामने आता है। एनआईवी की पहचान पहली बार 1998 में मलेशिया के कैम्पंग सुंगई निपाह में एक बीमारी फैलने के दौरान हुई थी। यह चमगादड़ों से फैलता है और इससे जानवर और इंसान दोनों ही प्रभावित होते हैं।

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो