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Spinal cord injury : रीढ़ की हड्डी में लगी चोट से हो सकती है ये गंभीर समस्याएं

Health news and health tips : Spinal cord injury: 72 घंटे चोट लगने के बाद अहम होते हैं। इसमें रिकवरी न होना बुरा संकेत है। 80 % बेहोशी में रहने वाले रोगी की रिकवरी कम ही हो पाती है।

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Health news and health tips : Spinal cord injury

Health news and health tips : Spinal cord injury: 72 घंटे चोट लगने के बाद अहम होते हैं। इसमें रिकवरी न होना बुरा संकेत है। 80 % बेहोशी में रहने वाले रोगी की रिकवरी कम ही हो पाती है।

रीढ़ की हड्डी (Spinal cord injury) शरीर का सपोर्ट सिस्टम है जिसमें शरीर के हर अंग को चलाने के लिए नसों का गुच्छा होता है। किसी कारण इस हड्डी पर चोट लगने से जब नसों पर दबाव बढ़ता है तो दिक्कतें होती हैं। इस हड्डी में शरीर को चलाने वाले तार होते हैं जिससे दिमाग तक सिग्नल जाता है और हमारा शरीर काम करता है।

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इस कारण दिक्कत : तंत्रिका की कोशिकाओं पर चोट लगने से नस पर बन रहे दबाव से परेशानी होती है। ऊंचाई से गिरने पर सीवियर स्पाइन इंजरी होती है। यह स्थिति आंशिक लकवे की होती है जिसमें रोगी को 4-5 माह आराम करना होता है।

लक्षण : गर्दन व कमर में दर्द का समय के साथ बढ़ना, हाथ व पैर में कमजोरी महसूस होना, यूरिन व स्टूल करने पर नियंत्रण खत्म होना, हाथ-पैर में सुन्नपन व झनझनाहट होना, चलने में परेशानी और कंपन होना।

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सावधानी बरतें-
यदि बैठकर भारी वजन उठाना है तो संतुलन के साथ उठाएं। कंप्यूटर पर काम करते या ड्राइविंग के समय सीधे बैठें। छोटे बच्चे को गोद में उठाने के लिए बैठ जाएं, फोन का प्रयोग करते समय गर्दन न झुकाएं, कंधे के बजाय पीठ पर बैग टांगें।


सड़क हादसे में खतरा-
सड़क हादसे में रोगी को इंजरी के बाद अस्पताल पहुंचाने में जल्दबाजी करने से उसकी चोट गंभीर हो जाती है। उसे उठाते समय सिर, कमर व पैर के नीचे हाथ लगाकर सीधे उठाएं व क्रैश कार्ट, लकड़ी का पट्टा या हार्ड कार्ड बोर्ड प्रयोग में लेें। रीढ़ की हड्डी सीधी रहेगी व अंदरूनी नसों को नुकसान नहीं होगा।

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ऐसे होगा इलाज-
एमआरआई, सीटी स्कैन जांच से रीढ़ की हड्डी (Spinal cord injury) में चोट का पता लगाते हैं। चोट के बाद फ्रैक्चर के दौरान हुए टुकड़ों को फिक्स कर जोड़ते हैं। गंभीर स्थिति में सर्जरी करते हैं। इलाज के कुछ दिन बाद से रिकवरी के लिए फिजियोथैरेपी देते हैं। मेडिकल जगत में इलाज के लिए स्टेम सेल थैरेपी भी ले सकते हैं।

डिसक्लेमरः इस लेख में दी गई जानकारी का उद्देश्य केवल रोगों और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के प्रति जागरूकता लाना है। यह किसी क्वालीफाइड मेडिकल ऑपिनियन का विकल्प नहीं है। इसलिए पाठकों को सलाह दी जाती है कि वह कोई भी दवा, उपचार या नुस्खे को अपनी मर्जी से ना आजमाएं बल्कि इस बारे में उस चिकित्सा पैथी से संबंधित एक्सपर्ट या डॉक्टर की सलाह जरूर ले लें।