
सामान्य आंख की तुलना में यह आंख की ऐसी स्थिति है जिसमें एक आंख के देखने की दिशा केंद्रित होती है लेकिन दूसरी आंख ऊपर-नीचे या दाएं-बाएं की ओर मुड़ी होती है।
आंखों में तिरछापन होने या आंखों का एक सीध में न होकर अलग-अलग दिशा में केंद्रित होने को भेंगापन या स्ट्रैबिस्मस कहते हैं। सामान्य आंख की तुलना में यह आंख की ऐसी स्थिति है जिसमें एक आंख के देखने की दिशा केंद्रित होती है लेकिन दूसरी आंख ऊपर-नीचे या दाएं-बाएं की ओर मुड़ी होती है। आंखों की मांसपेशियों में असंतुलन की वजह से वयस्कों की तुलना में बच्चों में यह दिक्कत ज्यादा होती है। कुछ मामलों के अलावा समय पर इलाज लेने से अवस्था स्थायी नहीं बन पाती।
मांसपेशियों में असंतुलन से भेंंगापन -
एक दिशा में देखना : प्रत्येक आंख में 6 मांसपेशियां होती हैं। आमतौर पर आंखों से जुड़ी ये मांसपेशियां दोनों आंखों को एकसाथ एक दिशा में दिखाने व काम करने के लिए मिलकर काम करती हैं। जिन्हें दिमाग कंट्रोल करता है। प्रत्येक आंख से उभरी छवि मस्तिष्क के स्तर पर एक रूप होती है जिससे एक थ्री-डी छवि बनती है। जिसे व्यक्ति देखता है।
कारण : मोतियाबिंद से पहुंची क्षति की पूर्ति के लिए भी आंखें भेंगी हो जाती हैं। समय पूर्व जन्म, सिर पर लगी चोट, दूर दृष्टि दोष वालों में इसकी आशंका ज्यादा होती है। क्योंकि वे दृष्टि केंद्रित करने के लिए अधिक प्रयास करते हैं।
रोग से प्रभावित होती दृष्टि-
तिरछी आंख का प्रयोग कम होने से दिमाग प्राप्त छवि को नकारता है। ऐसे में सुस्त आंखों से कम दिखता है। लंबे समय का रोग बारीक चीजों को देखने से रोकता है। मरीज को खेलने, गाड़ी चलाने में दिक्कत होती है।
इलाज : सबसे पहले दृष्टि वापस लाने, आंखों की एक सीध में दिशा करने, बायनाकुलर विजन, गहराई जानने की क्षमता में सुधार, लेजी आई का उपचार करते हैं। अधिकांश मामलों में सर्जरी कर रोग का इलाज करते हैं।
इलाज की जरूरत कब-
बच्चों में आंखों के तिरछे होने की समस्या पैदा होते ही या एक साल के अंदर दिखने लगती है। ऐसे में माता-पिता को चाहिए कि वे बच्चे की आंखों की संरचना पर समय-समय पर नजर बनाए रखें। आंख से जुड़ी किसी भी तरह की समस्या यदि उसे हो तो विशेषज्ञ से जरूर संपर्क करें।
Published on:
10 Jun 2019 03:56 pm
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