
टीकाकरण परिवार और समुदाय के लिए सुरक्षा कवच है। यह शिशुओं के जीवन और भविष्य को सुरक्षित रखने के लिए टीकाकरण सबसे प्रभावी और कम लागत का तरीका है। टीकाकरण कार्यक्रमों की वजह से ही भारत में स्वास्थ्य सूचकांक खासकर शिशु स्वास्थ्य में अच्छे परिणाम प्राप्त किए हैं। स्मॉलपॉक्स व पोलियो टीकाकरण की सफलता का बड़ा उदाहरण हैं।
कैसे काम करते हैं टीके
टीके में वायरस/बैक्टीरिया के उस हिस्से को लेते हैं जो इम्युनिटी प्रदान करते हैं। जब टीका लगवाते हैं तो प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर आक्रमणकारियों के प्रति प्रतिक्रिया करती है और भविष्य में संक्रमण से बचाने के लिए एंटीबॉडी बनाती है।
शिशुओं के लिए...
(राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम के अनुसार)
डेढ़ माह की आयु पर... बी.सी.जी. का टीका, हेपेटाइटिस बी का प्रथम टीका, डी.पी.टी.का प्रथम टीका, पोलियो की प्रथम खुराक
ढाई माह की आयु पर... डी.पी.टी. का दूसरा टीका, हेपेटाइटिस का दूसरा टीका, पोलियो की दूसरी खुराक
साढ़े तीन माह की आयु पर... डी.पी.टी का तीसरा टीका, हेपेटाइटिस का तीसरा टीका, पोलियो की तीसरी खुराक
9-12 माह की आयु पर... खसरा का टीका
16-24 माह की आयु पर... डी.पी.टी.का बूस्टर डोज, पोलियो का बूस्टर डोज
5-6 वर्ष की आयु पर... डी.पी.टी का टीका
10-16 वर्ष की आयु पर... टी.टी. का टीका
अन्य वैक्सीन
रोटावायरस वैक्सीन : पहला टीका डेढ़ माह की उम्र पर लगाया जाता है।
इंफ्लुएंजा वैक्सीन: छह माह की उम्र के बाद लगाया जा सका है।
हेपेटाइटिस ए : एक वर्ष की उम्र के बाद बच्चों को यह वैक्सीन लगवाना चाहिए।
वैरिसेला वैक्सीन : चिकनपॉक्स का पहला टीका 15 माह की उम्र में देते हैं।
एमएमआर टीका: इसका पहला बूस्टर डोज डेढ वर्ष की उम्र में दिया जाता है।
बालिकाओं
के लिए...
एचपीवी वैक्सीन कैंसर सर्विक्स से बचाव के लिए लगाते हैं। यह 10 वर्ष से अधिक उम्र की बच्चियों को लगता है।
गर्भवती
के लिए...
टिटनेस (टी.टी.) के 2 टीके लगाए जाते हैं। यह टीका जननी व शिशु दोनों के लिए जरूरी है।
(जानकारी, डॉ. घनश्याम राठी, शिशु रोग विशेषज्ञ से बातचीत पर आधारित)
Published on:
26 Jun 2023 06:26 pm
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