Symptoms of Bronchitis: ब्रोंकाइटिस रोग में फेफड़ों तक हवा पहुंचाने वाली ब्रोंकियल ट्यूब में सूजन आ जाती है। इसके शुरुआती लक्षणों में बुखार के साथ जहां सात से दस दिन तक सूखी खांसी रहती है, वहीं बीमारी पुरानी होने पर यह क्रॉनिक ऑब्स्ट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) के रूप मेंबदल जाती है।
Symptoms of Bronchitis: ब्रोंकाइटिस रोग में फेफड़ों तक हवा पहुंचाने वाली ब्रोंकियल ट्यूब में सूजन आ जाती है। इसके शुरुआती लक्षणों में बुखार के साथ जहां सात से दस दिन तक सूखी खांसी रहती है, वहीं बीमारी पुरानी होने पर यह क्रॉनिक ऑब्स्ट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) के रूप मेंबदल जाती है।
इन लक्षणों से पहचानें
ब्रोंकाइटिस में सांस लेने में घरघराहट की आवाज और सांस लेने में दिक्कत होती है। लगातार खांसी, सांस में कमी, बलगम आना, गले में खराश, थकान, नाक बंद रहना या पानी आना, शरीर में दर्द, उल्टी-दस्त आदि इसके प्रमुख लक्षण हैं। अगर बीमारी पहले से है तो थूक के साथ खून आ सकता है। थोड़े परिश्रम में थकान या सांस चढऩा, सिरदर्द, टखने या पैर में दर्द रहना भी इसके लक्षण हैं। सांस लेते समय सीटी की आवाज आ सकती और खांसी एक महीने तक रह सकती है।
ऐसे करें बचाव...
शुरुआती अवस्था में बीमारी पूरी तरह से ठीक हो जाती है,वहीं क्रोनिक ब्रोंकाइटिस गंभीर होता है। इससे बचाव जरूरी है-
सर्दी में सुबह जल्दी बाहर न निकलें।
शरीर की नियमित रूप से मालिश करें।
इनहेलर हमेशा अपने साथ रखें।
तनाव वाले काम न करें, पर्याप्त नींद लें।
विशेषज्ञ की देखरेख में ही व्यायाम करें।
घर से बाहर निकलें तो मास्क जरूर लगाएं। इससे धूल, धुआं और दूसरे प्रदूषण से बचाव होता है।
नमक के गुनगुने पानी के गरारे करें।
किसी भी स्थिति में घबराएं नहीं।
डॉक्टरी सलाह के बिना दवाइयां न लें।
हैल्दी डाइट...
ब्रोंकाइटिस में हैल्दी डाइट बहुत ही अहम है। जानते हैं कि किन चीजों को डाइट का हिस्सा बनाएं।
संतुलित आहार व साबुत अनाज लें।
पॉलीअनसैचुरेटेड फैट काम में लें यानी चिकनाई वाली चीजें कम खाएं।
बादाम, अखरोट जैसे ड्राई फ्रू ट्स लें।
हर्बल टी, सूप आदि का इस्तेमाल करें।
एंटीऑक्सीडेंट्स के लिए बेरी, पालक, गाजर सहित हरी सब्जियां खाएं।
गुनगुना पानी पीएं एवं बीच-बीच में भाप लेते रहें। शरीर में पानी कमी न होने दें।
डिसक्लेमरः इस लेख में दी गई जानकारी का उद्देश्य केवल रोगों और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के प्रति जागरूकता लाना है। यह किसी क्वालीफाइड मेडिकल ऑपिनियन का विकल्प नहीं है। इसलिए पाठकों को सलाह दी जाती है कि वह कोई भी दवा, उपचार या नुस्खे को अपनी मर्जी से ना आजमाएं बल्कि इस बारे में उस चिकित्सा पैथी से संबंधित एक्सपर्ट या डॉक्टर की सलाह जरूर ले लें।