
Why early cholesterol testing is important
Cholesterol Testing : भारत में उच्च कोलेस्ट्रॉल , जिसे डिस्लिपिडेमिया (Dyslipidemia) के नाम से जाना जाता है, बिना किसी लक्षण के एक साइलेंट किलर साबित हो सकता है और हृदय रोगों का प्रमुख कारण है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने रविवार को यह बात कही।
हाल ही में जारी भारतीय डिस्लिपिडेमिया (Dyslipidemia) प्रबंधन के पहले दिशानिर्देशों में भारतीय हृदय रोग समाज (सीएसआई) ने 18 वर्ष की आयु में ही कोलेस्ट्रॉल जाँच (Cholesterol Test) की सिफारिश की है ताकि जीवन के शुरुआती चरणों में ही हृदय रोगों के जोखिम की पहचान की जा सके।
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के हालिया आंकड़ों के अनुसार, भारत में 2022 में दिल के दौरे के मामलों में 12.5 प्रतिशत की चौंकाने वाली वृद्धि देखी गई। 2023 के ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज (जीबीडी) रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 100,000 जनसंख्या पर 272 की आयु-मानकीकृत सीवीडी मृत्यु दर वैश्विक औसत 235 प्रति 100,000 जनसंख्या से अधिक है, जो देश में महत्वपूर्ण सीवीडी बोझ को इंगित करता है।
"इसलिए, यह सिफारिश की जाती है कि जब एक बच्चा कॉलेज जाता है, तो 18 वर्ष की आयु में पहली बार लिपिड प्रोफाइल करवाई जानी चाहिए," डॉ. सॉहनी ने कहा, "डिस्लिपिडेमिया हृदय रोग का सबसे शक्तिशाली जोखिम कारक है।"
डॉ. सॉहनी ने समझाया कि "कम घनत्व वाले लिपोप्रोटीन (LDL) कोलेस्ट्रॉल/गैर-उच्च घनत्व वाले लिपोप्रोटीन-सी (मूल रूप से खराब कोलेस्ट्रॉल) धमनियों की दीवार में प्रवेश कर प्लाक (अवरोध) के निर्माण के लिए जिम्मेदार होता है।"
उच्च रक्तचाप, मधुमेह, तंबाकू सेवन और तनाव जैसे जोखिम कारक खराब कोलेस्ट्रॉल को धमनियों की दीवार में धकेलते हैं।
कार्डियोलॉजिस्ट ने कहा, "चूंकि उच्च कोलेस्ट्रॉल (High cholesterol) का कोई लक्षण नहीं होता है, लिपिड प्रोफाइल (Non fasting) ही इसका पता लगाने का एकमात्र तरीका है। लिपिड प्रोफाइल टेस्ट को चार सप्ताह के उपचार के बाद दोबारा किया जाना चाहिए ताकि यह पता चल सके कि मरीज ने अपने जोखिम के अनुसार लक्ष्य एलडीएल-सी स्तर को प्राप्त किया है या नहीं,"।
डॉ. बागिरथ रघुरामन, निदेशक, हार्ट ट्रांसप्लांट, नारायणा हेल्थ सिटी, बेंगलुरु ने कहा, "नई लिपिड दिशानिर्देश प्रारंभिक कोलेस्ट्रॉल जाँच की सिफारिश करते हैं ताकि जीवन के प्रारंभिक चरणों में ही हृदय रोगों के जोखिम की पहचान की जा सके। प्रारंभिक पहचान समय पर हस्तक्षेप की अनुमति देती है जिससे जोखिमों को कम किया जा सकता है। रोकथाम सर्वोपरि है। हमें लक्षण विकसित होने से पहले जोखिम कारकों को संबोधित करना चाहिए।"
"प्रारंभिक जाँच के अलावा, विशेषज्ञ ने देश में बढ़ती हृदय रोगों की दर को नियंत्रित करने के लिए अन्य सार्वजनिक स्वास्थ्य उपायों की भी मांग की। स्वस्थ आहार, नियमित व्यायाम और धूम्रपान से बचने के बारे में लोगों को शिक्षित करने के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य अभियानों की आवश्यकता है। स्कूलों, कार्यस्थलों और समुदायों में नियमित स्क्रीनिंग कार्यक्रम लागू करना जोखिम में लोगों की पहचान कर आवश्यक हस्तक्षेप प्रदान कर सकता है।" डॉ. रघुरामन ने कहा।
"लोगों को नए उपचार और रोकथाम के उपायों के बारे में शिक्षित करना हृदय स्वास्थ्य का समर्थन कर सकता है," डॉ. रघुरामन ने कहा। प्रारंभिक हस्तक्षेप के माध्यम से हृदय रोग को रोकना न केवल स्वास्थ्य देखभाल के कुल बोझ को कम कर सकता है, बल्कि उन्नत सीवीडी से संबंधित महंगे उपचार और अस्पताल में भर्ती की आवश्यकता को भी कम कर सकता है।
(आईएएनएस) -
Published on:
29 Jul 2024 11:20 am
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