ऐसे बच्चों में होती दिक्कत जो नवजात मां का दूध नहीं पीते हैं, बड़े होकर उनमें यह समस्या ज्यादा होती है। बच्चों में बार-बार टॉन्सिल की समस्या का कारण आयोडीन की कमी भी हो सकती है।
फ्रिज के खाने से बचें फ्रिज में रखा खाना बार-बार गर्म न करें। पोषक तत्व कम होते हैं। इम्यून सिस्टम पर भी बुरा असर डालता है। पाचन क्रिया भी प्रभावित करता है। साल में 5 बार से ज्यादा तो सर्जरी
टॉन्सिल की पहचान के लिए उपकरण का उपयोग कर गले और कान को देखते हैं। साथ ही सूजन ग्रंथियों (लिम्फ नोड्स) की जांच के लिए गर्दन को छूकर महसूस करता है। सांस की जांच स्टेथोस्कोप से करता हैं। यदि बच्चे को संक्रमण साल भर में ५-७ बार से ज्यादा हो तो टॉन्सिल की सर्जरी करते हैं। यदि टॉन्सिल का कारण बैक्टीरियल इंफेक्शन है तो एंटीबायोटिक दवाओं का कोर्स देते हैं। गले को नम रखने के लिए हर दो घंटे में नमक-पानी का गरारा कराते हैं।
बढ़ाएं प्रतिरोधकता ये उपाय भी कारगर अदरक : गर्म पानी में नींबू का रस और ताजा अदरक पीस कर मिला दें। इससे हर आधे घंटे में गरारे करें। गरम तासीर होने से आराम मिलेगा। अदरक वाली चाय पीने से भी आराम मिलता है।
दूध : कच्चे पपीते को दूध में मिलाकर गरारा करना फायदेमंद है। एक कप गर्म दूध में आधा चम्मच पिसी हल्दी मिलाकर पीने से भी टॉन्सिल की तकलीफ में आराम मिलता है। लहसुन : उबलते पानी में कुछ लहसुन की कलियां डालें। उबलने पर छान लें। जब यह ठंडा हो जाए तो गरारा कर लें। इससे मुंह की बदबू भी दूर होती है।
सेंधा नमक : गुनगुने पानी में एक चम्मच सेंधा नमक मिलाकर गरारा करने से बैक्टीरिया खत्म हो जाते हैं। गले के दर्द में आराम मिलता है। बेकिंग सोडा : बेकिंग सोडा या पोटैशियम कार्बोनेट को पानी में अच्छे से मिलाकर गरारा करें। दो-तीन बार करने से गले के दर्द में आराम मिलेगा।
शहद : गुनगुने पानी में नींबू के साथ शहद प्रयोग करने से गले का दर्द ठीक हो जाता है। साथ ही टॉन्सिल की सूजन भी जल्दी ठीक हो जाती हैं। आयुर्वेद में ऐसे करें बचाव
10 से 15 तुलसी व पुदीने के पत्ते, 50 ग्राम अदरक को आधा भगौना पानी में उबालें। पानी को तब तक उबालें, जब वह एक-चौथाई रह जाए। पानी को छानकर शहद मिलाकर पीएं। सात दिनों तक तीन से चार बार पीने से आराम मिलेगा। यदि आयोडीन की कमी से यह दिक्कत हो रही है तो ऐसे बच्चे को सिंघाड़े को गाय के घी में तलकर दें, आराम मिलेगा।
– डॉ. राकेश पांडेय, प्राचार्य, आयुर्वेद मेडिकल कॉलेज एंड रिसर्च सेन्टर, भोपाल