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World AIDS Day – बंदराें से पूरी दुनिया में फैला था ये राेग, आज भी है लाइलाज

एड्स आज के समय की सबसे बड़ी स्वास्थ्य समस्याओं में से एक है यानी कि यह एक महामारी है

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World AIDS Day - बंदराें से पूरी दुनिया में फैला था ये लाइलाज राेग

एड्स आज के समय की सबसे बड़ी स्वास्थ्य समस्याओं में से एक है यानी कि यह एक महामारी है। एचआर्इवी वायरस की वजह से एड्स होता है, अभी तक इसे लाइलाज माना जाता है लेकिन दुनियाभर में इसके इलाज पर शाेध किए जा रहे हैं। दुनियाभर में हर साल कर्इ लोग एड्स की चपेट में आते हैं। लेकिन भारत में पिछले सालाें में एड्स के मरीजाें की संख्या में गिरावट आर्इ है। असल में सुरक्षा ही एड्स से बचाव है। तो आइए जानते हैं एड्स के बारे में : -

क्या होता है एड्स ?
एड्स स्वयं कोई बीमारी नहीं है पर एड्स से पीड़ित मानव शरीर संक्रामक बीमारियों, जो कि जीवाणु और विषाणु आदि से होती हैं, के प्रति अपनी प्राकृतिक प्रतिरोधी शक्ति खो बैठता है क्योंकि एच.आई.वी (वह वायरस जिससे कि एड्स होता है) रक्त में उपस्थित प्रतिरोधी पदार्थ लसीका-कोशो पर आक्रमण करता है। एड्स पीड़ित के शरीर में प्रतिरोधक क्षमता के क्रमशः क्षय होने से कोई भी अवसरवादी संक्रमण, यानि आम सर्दी जुकाम से ले कर क्षय रोग जैसे रोग तक सहजता से हो जाते हैं और उनका इलाज करना कठिन हो जाता हैं। एच.आई.वी. संक्रमण को एड्स की स्थिति तक पहुंचने में 8 से 10 साल या इससे भी अधिक समय लग सकता है। एच.आई.वी से ग्रस्त व्यक्ति अनेक वर्षों तक बिना किसी विशेष लक्षणों के बिना रह सकते हैं।

कहां से आया एड्स ?
माना जाता है कि सबसे पहले इस रोग का विषाणु: एच.आई.वी, अफ्रीका के खास प्राजाति की बंदर में पाया गया और वहीं से ये पूरी दुनिया में फैला। अभी तक इसे लाइलाज माना जाता है लेकिन दुनिया भर में इसका इलाज पर शोधकार्य चल रहे हैं। 1981 में एड्स की खोज से अब तक इससे लगभग 30 करोड़ लोग जान गंवा बैठे हैं।

कैसे फैलता है एड्स ?
एड्स के संक्रमण के तीन मुख्य कारण हैं - असुरक्षित यौन संबंधो, रक्त के आदान-प्रदान तथा माँ से शिशु में संक्रमण द्वारा।

असुरक्षित यौन संबंध
एचआईवी संक्रमण की सबसे ज्यादा विधा संक्रमित व्यक्ति के साथ यौन संपर्क के माध्यम से है। दुनिया भर में एच. आई. वी. प्रसार के मामलों के सबसे अधिक मामले विषमलैंगिक संपर्क (यानी विपरीत ***** के लोगों के बीच यौन संपर्क जैसे कि पुरुष एवं स्त्री के बीच) के माध्यम से होते हैं। हालांकि, एच. आई. वी. प्रसार भिन्न भिन्न देशों में भिन्न भिन्न तरीकों से हुआ है।

रक्त के आदान-प्रदान
एचआईवी के संक्रमण का दूसरा सबसे बड़ा स्रोत रक्त और रक्त उत्पाद के द्वारा हैं। रक्त के द्वारा संक्रमण नशीली दवाओ के सेवन के दौरान सुइयों के साझा प्रयोग के द्वारा, संक्रमित सुई से चोट लगने पर, दूषित रक्त या रक्त उत्पाद के माध्यम से या उन मेडिकल सुइयों के माध्यम से जो एच. आई. वी. संक्रमित उपकरणों के साथ होते हैं।

माँ से शिशु में संक्रमण
एचआईवी माँ से बच्चे को गर्भावस्था के दौरान, प्रसव के दौरान और स्तनपान के दौरान प्रेषित हो सकता है। एचआईवी दुनिया भर में फैलने का यह तीसरा सबसे आम कारण है। इलाज के आभाव में जन्म के पहले या जन्म के समय इसके संक्रमण का जोखिम 20% तक होता है और स्तनपान के द्वारा यही जोखिम 35% तक होता है।

एड्स के लक्षण
अक्सर एच.आई.वी से संक्रमित लोगों में लम्बे समय तक एड्स के कोई लक्षण नहीं दिखते। लम्बे समय तक (3, 6 महीने या अधिक) एच.आई.वी मेडिकल जांच में सामने नहीं आता।अधिकांशतः एड्स के मरीज़ों को ज़ुकाम या वायरल बुखार हो जाता है पर इससे एड्स होने की पहचान नहीं होती। एड्स के कुछ प्रारम्भिक लक्षण हैं:
बुखार
सिरदर्द
थकान
हैजा
मतली व भोजन से अरुचि
लसीकाओं में सूजन

एड्स से बचाव
- अपने जीवनसाथी के प्रति वफादार रहें। एक से अधिक व्यक्ति से यौनसंबंध ना रखें।
- यौन संबंध (मैथुन) के समय कंडोम का सदैव प्रयोग करें।
- यदि आप एच.आई.वी संक्रमित या एड्स ग्रसित हैं तो अपने जीवनसाथी से इस बात का खुलासा अवश्य करें। बात छुपाये रखनें तथा इसी स्थिती में यौन संबंध जारी रखनें से आपका साथी भी संक्रमित हो सकता है और आपकी संतान पर भी इसका प्रभाव पड़ सकता है।
- यदि आप एच.आई.वी संक्रमित या एड्स ग्रसित हैं तो रक्तदान कभी ना करें।
- रक्त ग्रहण करने से पहले रक्त का एच.आई.वी परीक्षण कराने पर ज़ोर दें।
- यदि आप को एच.आई.वी संक्रमण होने का संदेह हो तो तुरंत अपना एच.आई.वी परीक्षण करा लें। उल्लेखनीय है कि अक्सर एच.आई.वी के कीटाणु, संक्रमण होने के 3 से 6 महीनों बाद भी, एच.आई.वी परीक्षण द्वारा पता नहीं लगाये जा पाते। अतः तीसरे और छठे महीने के बाद एच.आई.वी परीक्षण अवश्य दोहरायें।