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जमीन खरीदने वाला आसपुर का, भुगतान सागवाडा की बैंक से और गवाह बांसवाड़ा से

कडाणा विभाग की बेशकीमती जमीन के नामांतरण व विक्रय का मामला

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जमीन खरीदने वाला आसपुर का, भुगतान सागवाडा की बैंक से और गवाह बांसवाड़ा से

जमीन खरीदने वाला आसपुर का, भुगतान सागवाडा की बैंक से और गवाह बांसवाड़ा से

सागवाड़ा. कडाणा विभाग की भूमि का नामांतरण खोले जाने और रजिस्ट्री के मामले में एक और बड़ा खुलासा हुआ है। •ामीन बेचने और खरीदने वाला व्यक्ति भले ही डूंगरपुर जिले के सागवाडा और आसपुर से हैं लेकिन इसके तार बांसवाड़ा जिले से जुड़ रहे हैं।
रजिस्ट्री में गवाह के रूप में बांसवाड़ा जिले से कांग्रेस के एक जिला परिषद सदस्य का नाम सामने आया है। इस पूरे प्रकरण में आश्चर्य की बात ये है कि सागवाडा की इस बेशकीमती भूमि की खरीद फरोख्त डीएलसी दर से कम में हुई है। भूमि 2 करोड़ 81 लाख में खरीदी गई है, जबकि इसकी डीएलसी दर 693 रुपए है। इसके मुताबिक इसकी कीमत 3 करोड़ 62 लाख रुपए बनती है। 52,200 स्क्वायर फीट जमीन का सौदा यदि डीएलसी दर से भी हुआ होता तो 81 लाख 16 ह•ाार रुपया ज्यादा देने पड़ते हैं। हालांकि रजिस्ट्री में स्टॉम शुल्क और कमी सरचार्ज डीएलसी दर के अनुसार ही 31 लाख 87 हजार 320 रुपए चुकाया गया है। इसमें मजे की बात यह भी है कि जमीन को खरीदने वाला आसपुर के रामा गांव का है जबकि उसने भुगतान सागवाड़ा के अपने एक्सिस बैंक के एकाउंट से किया है।
इस जमीन खरीद-फरोख्त में गवाह के रूप में एक नाम सागवाडा के मक़बूल पिता शफी मोहम्मद का आ रहा है वहीं दूसरा नाम बांसवाड़ा जिले के गनोडा के राजेंद्र पुत्र गौतमलाल जैन का है। जैन कांग्रेस से जिला परिषद सदस्य बताए जा रहे हैं। राजेंद्र कुमार जैन का नाम सामने आने के बाद जांच का विषय यह भी है कि राजेंद्र के तार कांग्रेस के किसी बड़े नेताओं से जुड़े हुए तो नहीं है। रजिस्ट्री की पड़ताल की गई तो पता चला कि •ामीन खरीदने वाले आसपुर के रामा निवासी हरिङ्क्षसह पिता राम ङ्क्षसह चौहान ने सागवाडा के अपने एक्सिस बैंक के अकाउंट से राशि का भुगतान किया है। इसके लिए चेक नंबर 152776 से वन 16 ए 152779 तक 40 लाख का एक चेक दिया गया है। इसी तरह चेक नंबर 152780 और152781 से भी भुगतान किया गया है।
इधर, जमीन बेचने वाली नजमा शेख और फातेमा पुलिस की पकड़ में अभी तक नहीं आए हैं। साथ ही जमीन खरीदने वाले हरिङ्क्षसह भी पुलिस की पकड़ से बाहर हैं। इधर, जांच अधिकारी जयपुर के लिए रवाना हो गए हैं और इस अनुसंधान में जुटे हैं कि फर्जी आदेश कैसे आया?
इधर, इस पूरे मामले में कडाणा विभाग की भूमिका भी संदिग्ध नजर आ रही है क्योंकि जिस भूमि का नामांतरण खोल कर रजिस्ट्री की गई थी उस भूमिका मूल मालिक कडाणा विभाग है लेकिन इस विभाग की ओर से अभी तक किसी भी प्रकार की कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है।